Delhi Liquor Policy: सीबीआई से शुरुआत ईडी तक सुराग! कौन हैं दिल्ली की शराब नीति के गुनहगार! किसने खेला खेल! कितना सच और कितना झूठ? सब जानिए

सीबीआई के बाद जब ईडी ने जांच शुरु की तो जांच का दायरा बढ़ता गया और फिर ईडी ने मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और के कविता को गिरफ्तार किया और अब अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी हुई।

जांच जारी

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21 Mar 2024 (अपडेटेड: Mar 21 2024 10:53 PM)

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Delhi ED Kejriwal: शराब नीति को लेकर मनीष सिसोदिया के खिलाफ जो शुरुआती FIR दर्ज हुई उसमें उनके साथ साथ 15 लोग के नाम शामिल थे, जिनमें दो कंपनियों के नाम भी दर्ज है। अब आपको समझाते है कि दरअसल, ये घोटाला था क्या? मसलन किसका कितना रोल था ?और किसको कितना रुपया असम में मिला? जांच की शुरुआत में पूरा मामला 15 लोगों के इर्द-गिर्द घूम रहा था। एफआईआर के मुताबिक वो नाम हैं :

1. मनीष सिसोदिया

2. आबकारी आयुक्त आरव गोपी कृष्ण,

3.तत्कालीन उप आबकारी आयुक्त आनंद कुमार तिवारी,

4. सहायक आबकारी आयुक्त पंकज भटनागर,

5. विजय नायर

6. मनोज राय

7. अमनदीप ढल, डायेक्टर, M/s Brindco Sales pvt. ltd.

8. समीर महेंद्रू

9. अमित अरोड़ा

10. m/s buddy retail p. limited

11. दिनेश अरोड़ा

12. m/s mahadev liquors

13. सन्नी मारवाह

14. अरुण रामचंद्रन पिल्लई

15. अर्जुन पांडेय

तो क्या ये 15 लोग कर रहे थे शराब नीति में खेल ? अगर कोई घोटाला नहीं हुआ था ? तो फिर एक ने दूसरे को एक करोड़ रुपए और फिर एक ने दो से चार करोड़ रुपए दूसरे को कहां से दिए और क्यों दिए ? क्या ये पैसा रिश्वत का नहीं था और अगर नहीं दिए तो फिर सीबीआई ने fir में ये आरोप क्यों लगाए?

आरोप नंबर 1 - अब आपको सिलसिलेवार तरीके से FIR में दर्ज आरोपों के बारे में बताते है। आरोप है कि मनीष सिसोदिया और उनके तीन अधिकारियों (आबकारी आयुक्त आरव गोपी कृष्ण, तत्कालीन उप आबकारी आयुक्त आनंद कुमार तिवारी और सहायक आबकारी आयुक्त पंकज भटनागर) ने शराब नीति के संदर्भ में निर्णय लिए और लागू किए। इसके लिए इन्होंने एलजी से भी APPROVAL नहीं लिया। तो पहला आरोप इन पर है कि इन्होंने उपराज्यपाल से स्वीकृति नहीं ली। लेकिन यहां सवाल खड़ा होता है कि किन निर्णयों को लेकर उपराज्यपाल से स्वीकृति नहीं ली गई ?

मनीष सिसोदिया के तीन दोस्त

आरोप है कि सिसोदिया के खासमखास अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडेय ने ये अवैध पैसा न सिर्फ इक्टठा किया, बल्कि इसे सिसोदिया और तीन अधिकारियों को दिया। दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के एक सहयोगी द्वारा संचालित कंपनी को एक शराब कारोबारी ने कथित तौर पर एक करोड़ रुपये का भुगतान किया। यहां सवाल है कि मनीष सिसोदिया का ये सहयोगी कौन है ? जिसको एक शराब कारोबारी ने एक करोड़ रुपए दिए।

उस कंपनी का क्या नाम है ?

पहले आपको बताते है कि वो तीन दोस्त कौन है ? एजेंसी ने आरोप लगाया कि गुड़गांव में बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे, सिसोदिया के ‘‘करीबी सहयोगी’’ हैं और आरोपी लोक सेवकों के लिए ‘‘शराब लाइसेंसधारियों से एकत्र किए गए अनुचित आर्थिक लाभ के प्रबंधन और स्थानांतरण करने में सक्रिय रूप से शामिल थे।’’ यानी ये लोग पैसा इकट्ठा करते थे और सिसोदिया समेत तीन और अधिकारियों तक पैसा पहुंचता था। अमित की कंपनी भी इस मामले में आरोपी है । उसकी कंपनी का नाम है . m/s buddy retail p. limited। अब सवाल ये उठता है कि

ये पैसा कैसे पहुंचता था, किसने पहुंचाया? 

ऐसा कौन सा सबूत है कि जिससे ये सिद्ध हो रहा है कि तीनों ने पैसा सिसोदिया और उनके तीन अधिकारियों तक पहुंचाया ? क्या कोई बैंक एंट्री है ? क्या कैश बरामद हुआ है ? क्या इन्होंने अपने किसी खासमखास के यहां रकम रखवाई है , अगर हां तो किसने यहां और कितनी रकम ? क्या रिश्वत कोई सीधे खुद से और एक नंबर में लेता है ? क्या ये संभव है कि जो शख्स रिश्वत ले रहा हो, वो खुद सारा पैसा या सोना या कीमती सामान अपने घर में संभाल कर रखे ? तो फिर क्या गरंटी है कि चारों ने पैसा अपने पास रखा हो, अगर इस आरोप में सच्चाई है तो ? 

सीबीआई के पास क्या सबूत 

क्या शराब के व्यवसायियों ने रिश्वत देते वक्त जो पैसे रिश्वतखोरों के एकाउंट्स में जमा कराए, उसकी एवज में अपनी balance sheet में गलत एंट्रियां की दर्ज की? तो क्या m/s buddy retail p. limited को भी लाभ पहुंचाया गया ? आरोप है कि ये कंपनी सिसोदिया के दोस्त अमित अरोड़ा की कंपनी है, जो शराब व्यवसायी है। विजय नायर, मनोज राय, अमनदीप ढल और समीर महेंद्रू का क्या रोल है ? प्राथमिकी में कहा गया है कि मनोरंजन और इवेंट मैनेजमेंट कंपनी ‘ओनली मच लाउडर’ के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विजय नायर, पर्नोड रिचर्ड के पूर्व कर्मचारी मनोज राय, ब्रिंडको स्पिरिट्स के मालिक अमनदीप ढल और इंडोस्पिरिट्स के मालिक समीर महेंद्रू सक्रिय रूप से पिछले साल नवंबर में लाई गई आबकारी नीति का निर्धारण और क्रियान्वयन में अनियमितताओं में शामिल थे। 

कौन है विजय नायर? 

सीएम अरविदं केजरीवाल और मनीष का खासमखास। विजय नायर मुंबई से उपरोक्त कंपनी चलाते थे। तो क्या विजय नायर की पैसे की डिलिंग करता था ? सीबीआई ने आरोप लगाया है कि दिनेश अरोड़ा द्वारा प्रबंधित राधा इंडस्ट्रीज को इंडोस्पिरिट्स के मालिक समीर महेंद्रू से एक करोड़ रुपये मिले। अब सवाल यहां ये उठता है कि सरकार की indo spirit के मालिक पर इतनी मेहरबानी क्यों ? FIR के मुताबिक, indo spirit के मालिक समीर(शराब व्यवसायी) ने दिनेश राधा इंडस्ट्रीज के एकाउंट में एक करोड़ रुपए स्थानातरित किए। दिनेश राधा इंडस्ट्रीज के मालिक है दिनेश अरोड़ा। दिनेश अरोड़ा सिसोदिया के खासमखास हैं। जिस एकाउंट में पैसे आए, उसका नंबर है 10220210004647। ये एकाउंट UCO बैंक का है और इसकी शाखा दिल्ली के राजेंद्र प्लेस में है। 

क्या दिनेश सिसोदिया का खासमखास है? 

किस आधार पर सीबीआई ये आरोप लगा रही है ? क्या दोनों में दोस्ती होना सबूतों की नजर से काफी है ? क्या दिनेश के एकाउंट में पैसा आ जाने से ये साफ हो जाता कि ये पैसा रिश्वत के तौर पर उनके एकाउंट में आया था ? क्या कोई रिश्वत के पैसे अपने एकाउंट में लेता है ? क्या सिसोदियन के खासमखास अर्जुन ने विजय नायर के निर्देशानुसार समीर से कई करोड़ रुपए लिए ?FIR के मुताबिक, अर्जुन पांडे नाम के एक व्यक्ति ने विजय नायर की ओर से समीर महेंद्रू से लगभग 2-4 करोड़ रुपये की बड़ी नकद राशि एकत्र की।’’ अर्जुन पांडे, सिसोदिया का खासमखास, ने समीर से दो से चार करोड़ रुपए एकत्र किए। 

क्या रिश्ता है अर्जुन और सिसोदिया का ? 

तो क्या विजय नायर मीडिएटर था ? तो क्या विजय नायर ने डील की और उसने समीर को पैसे अर्जुन को देने के लिए कहा ? क्या इन सबमें फोन पर कई बार बातचीत हुई ? क्या इस बाबत कोई मीटिंग हुई ? इसको लेकर क्या सबूत है सीबीआई के पास ? समीर का रोल, क्यों वो इन लोगों को इतनी बढ़ी रकम दे रहा है ? क्या समीर से खुलेंगे सारे राज ? समीर ने दिनेश को एक करोड़ रुपए दिए और अर्जुन को करीब दो से चार करोड़ रुपए दिए। 2 करोड़ को लेकर क्या सीबीआई के पास कोई सबूत है ? एजेंसी का आरोप है कि सनी मारवाह की महादेव लिकर को योजना के तहत एल-1 लाइसेंस दिया गया था। यह भी आरोप लगाया कि दिवंगत शराब कारोबारी पोंटी चड्ढा की कंपनियों के बोर्ड में शामिल मारवाह आरोपी लोक सेवकों के निकट संपर्क में था और उन्हें नियमित रूप से रिश्वत देता था।

सनी मारवाह रिश्वत देता था, इसका क्सा सबूत है ?

क्या फायदा मिला सनी को इससे ?

सनी को कौन सा शख्स डील करा रहा था ?

पोंटी चड्ढा की कितनी कंपनियों के बोर्ड में शामिल है सनी ?

क्या पोंटी चड्ढा की कंपनी या कंपनियों को भी फायदा पहुंचा ?

अब ये यहां ये सवाल उठता है कि क्या इन सबके एकाउंट डिटेल्स एजेंसी के पास है।

इनके परिवार के एकाउंट डिटेल्स क्या एजेंसी के पास है, जिसकी तहकीकात हो रही है ?

कितना कैश, कितने जेवरात और कितनी प्रार्पटिस हैं सिसोदिया के खासमखास इन चारों के पास

ये तो पहले से ही पता था कि छापा पड़ने वाला है। ऐसे में जाहिर तौर पर आरोपी ने अपने सारे दस्तावेज पहले ही ठिकाने नहीं लगा दिए होंगे ? तो फिर ये नाटक बाजी क्यों हो रही है ?

FIR के मुताबिक, बात आरोपी अरुण रामचंद्न पिल्लई की। अरुण समीर से पैसे लेता था। इसमें मीडिएटर विजय नायर था। आखिर में ये पैसा जाता था लोक सेवकों के पास।

अब यहां सवाल है कि

कौन है रामचंद्न पिल्लई ?

रामचंद्र पिल्लई के मार्फत रिश्वत की रकम पकड़ी जा रही थी। तो क्या पिल्लई की सरकार में अच्छी दखलअंदाजी है ?

कैसे ये पैसा लिया गया ?

रामचंद्र पिल्लई बैंगलूर का रहने वाला है, लेकिन इसका स्थायी पता तेलंगाना का है। ये शराब व्यवसायी है।

ये ऐसे सवाल है कि जिनका जवाब हर कोई जानना चाहता है।

ध्यान रहे कि गृह मंत्रालय के माध्यम से उपराज्यपाल वी के सक्सेना के कार्यालय को भेजे गए एक संदर्भ पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि सिसोदिया और अन्य आरोपी लोक सेवकों ने ‘‘निविदा के बाद लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ देने के इरादे से’’ सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना उत्पाद नीति 2021-22 से संबंधित सिफारिश की और निर्णय लिया। सीबीआई के बाद जब ईडी ने जांच शुरु की तो जांच का दायरा बढ़ता गया और फिर ईडी ने संजय सिंह को गिरफ्तार किया। संजय सिंह के बाद ईडी ने के कविता को गिरफ्तार किया और अब अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की गई है।  

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