Sonia Gandhi : मनी लॉन्ड्रिंग केस में ED के सामने 21 जुलाई को पेश हो सकतीं हैं सोनिया गांधी

Sonia Gandhi ED News : नेशनल हेराल्ड (National Herald) से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) मामले में सोनिया गांधी से पूछताछ होगी. 21 जुलाई को ED के सामने सोनिया गांधी हो सकती हैं पेश.

CrimeTak

11 Jul 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:22 PM)

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ED Sonia Gandhi News : नेशनल हेराल्ड (National Herald) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) केस में अब जल्द ही कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से पूछताछ होगी. सोनिया गांधी 21 जुलाई को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के सामने पेश हों सकती हैं.

इससे पहले ईडी की टीम राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से कई बार पहले ही पूछताछ कर चुकी है. कई घंटे की राहुल गांधी से पूछताछ की जा चुकी है. ईडी ने जून में ही सोनिया गांधी को भी पूछताछ के लिए पेश होने के लिए कहा था. मगर कोरोना पॉजिटिव होने की वजह से वो पेश नहीं हो सकीं थीं.

ED Rahul Gandhi News : प्रवर्तन निदेशालय (Ed) ने ‘नेशनल हेराल्ड’ (National Herald Case) अखबार से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग केस (Money Laundering Case) में 5 दिनों में 50 घंटे से ज्यादा की पूछताछ की जा चुकी है.

न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, वायनाड से कांग्रेस के सांसद गांधी ने ईडी कार्यालय में पांच दिन पूछताछ में लगभग 50 घंटे गुजारे हैं. अधिकारियों ने उनसे कई सत्रों में पूछताछ की और मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर उनके बयान दर्ज किए थे.

What is National Herald Money Laundering Case : सबसे पहले ये जान लीजिए कि नेशनल हेराल्ड अखबार पर कांग्रेस पार्टी का मालिकाना हक है. असल में 1937 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड की स्थापना की थी. उसी संस्था के तहत तीन अखबारों का प्रकाशन शुरू किया गया था. ये तीनों अखबार थे कि नवजीवन, उर्दू का अखबार क़ौमी आवाज़ और अंग्रेजी का अखबार नेशनल हेराल्ड. लेकिन साल 2008 में एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड के बोर्ड ने अखबार न छापने का फैसला किया.

कहा जाता है कि साल 2010 में कांग्रेस ने यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के नाम से एक कंपनी बनाई जिसमें कांग्रेस ने 50 लाख रुपये का निवेश किया था. कंपनी का मकसद लाभ कमाने का नहीं था. और इस कंपनी में 76 फीसदी की हिस्सेदारी राहुल गांधी और उसकी मां सोनिया गांधी की थी.

जबकि बाकी बचे 24 फीसदी के हिस्से पर मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिज़ का अधिकार था. और इत्तेफ़ाक़ से अब ये दोनों ही इस दुनिया में नहीं हैं. यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड यानी YIL ने एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड का अधिग्रहण किया था. सुमन दुबे और सैम पित्रौदा को इस YIL का निदेशक बनाया गया था. यहां तक सब ठीक था.

इसके बाद साल 2012 में भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी इस मामले को लेकर अदालत पहुँच गए. उन्होंने एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल की. ये दावा किया कि कांग्रेस ने नेशनल हेराल्ड अखबार छापने वाली कंपनी एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड के अधिग्रहण में धोखा किया है. याचिका में दावा किया गया था कि महज 50 लाख रुपये लगाकर 90 करोड़ रुपये की वसूली की गई है.

सुब्रमण्यम स्वामी ने इनकम टैक्स एक्ट (Income Tax Act) का हवाला देते हुए कहा कि कोई भी राजनीतिक पार्टी किसी भी थर्ड पार्टी के साथ पैसों का लेन देन नहीं कर सकती. स्वामी का दावा था कि कांग्रेस ने पहले यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड यानी YIL को 90 करोड़ रुपये का कर्ज दिया और फिर उन्हीं पैसों से कंपनी AJL का अधिग्रहण कर लिया. आरोप ये भी लगा कि अकाउंट बुक्स में हेराफेरी करके उस रकम को ही 50 लाख में तब्दील कर दिया गया और 89 करोड़ 50 लाख रुपये हड़प कर लिए

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