Shraddha Murder: शातिर दिमाग आफताब का होगा ब्रेन मैपिंग टेस्ट? कातिल का दिमाग पढ़ेगी ये तकनीक

Shraddha Murder Case: जानकार मानते हैं कि दिल्ली पुलिस यदि आफताब का नारको एनालिसिस और पॉलीग्राफी टेस्ट करवा रही है तो उसे आफताब की ब्रेन मैपिंग भी करवानी चाहिए, आफताब बेहद शातिर दिमाग है।

CrimeTak

23 Nov 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:30 PM)

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Shraddha Murder Case: दिल्ली के श्रद्धा हत्याकांड (Shraddha Murder) में पुलिस ने आरोपी आफताब (Aftab) पूनावाला का पॉलिग्राफ (Polygraph) टेस्ट करवा लिया है। अब पुलिस आफताब का नारको एनालिसिस टेस्ट कराएगी। जाहिर है पॉलिग्राफ टेस्ट के परिणाम आने के बाद तय किया जाएगा कि आखिर नारकों में आफताब से कौन से सवाल किए जाएंगे।

जाहिर है कुछ सवालों की लिस्ट तो दिल्ली पुलिस पहले ही तैयार कर चुकी है लेकिन पॉलीग्राफी के बाद कुछ नए सवालों को लिस्ट में शामिल किया जा रहा है। फॉरेंसकिक के जानकारों का मानना है कि पॉलीग्राफ और नारको एनालिसिस टेस्ट के बाद पुलिस की जांच और भी पुख्ता हो जाएगी। जानकार मानते हैं कि दिल्ली पुलिस यदि आफताब का नारको एनालिसिस और पॉलीग्राफी टेस्ट करवा रही है।

ऐसा में पुलिस को आफताब की ब्रेन मैपिंग भी करवानी चाहिए। ऐसा इस लिए भी कहा जा रहा है कि आफताब बेहद शातिर दिमाग है। श्रद्धा की हत्या की पूरी साजिश की एक एक कड़ी उसकी शातिर दिमाग का ही नतीजा है। यहीं वजह है कि दिल्ली पुलिस को सबूतों को जुटाने में नाकों चने चबाने पड़ रहे हैं।

ब्रेन मैपिंग क्या होती है?

अब सवाल ये है कि ब्रेन मैपिंग क्या होती है? ब्रेन मैपिंग कैसे नारको एनालिसिस और पॉलीग्राफी टेस्ट से अलग है? आमतौर पर ऐसे केस में देखा जाता है कि पुलिस आरोपी का ब्रेन मैपिंग टेस्ट करती है जिसके जरिए वह कितना सच बोल रहा है कितना झूठ बोल रहा है उसकी जानकारियां हासिल की जाती हैं। इस प्रक्रिया में दिमाग में उठने वाली तरंगों का एनालिसिस किया जाता है। ब्रेन मैपिंग में आरोपी को एक कुर्सी पर बैठा दिया जाता है।

आरोपी के सिर में हेड कैप्चर लगाया जाता है जिसमें ट्रायोड्स लगे होते हैं। ये ट्रायोड्स मस्तिष्क की गतिविधियों का संकेत कंप्यूटर को देते हैं। आरोपी के सामने एक स्क्रीन लगा होता है जिस स्क्रीन पर उसे हत्या से जुड़े ऑडियो, वीडियो व तस्वीरें दिखाई जाती हैं। इन तस्वीरों, वीडियो व ऑडियो को देखकर दिमाग कैसी प्रतिक्रिया दे रहा है उसका अध्ययन किया जाता है।

इस प्रक्रिया के बाद परिणामों का कंप्यूटराइज्ड एनालिसिस किया जाता है और बताया जाता है की तस्वीरों और वीडियो या वह जगह जहां वारदात को अंजाम दिया गया देखने के बाद आरोपी का दिमाग किस तरह रिएक्ट कर रहा था।  इस टेस्ट में किसी भी प्रकार की दवा का प्रयोग नहीं होता है।

श्रद्धा केस का आरोपी आफताब बेहद तेज दिमाग और चालाक है। यही वजह है कि वैज्ञानिक मानते हैं कि आफताब का ब्रेन मैपिंग टेस्ट होता है तो जांच में पुलिस को मदद मिलेगी। गौरतलब है कि आफताब बार बार अपने बयान बदल रहा है। जाहिर है पुलिस के पास वक्त की कमी है और आफताब पुलिस का वक्त खराब कर रहा है।  पुलिस की जरा सी चूक आफताब के लिए कोर्ट में मददगार साबित हो सकती है।

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