बीजेपी विधायक पर गलत मामला दर्ज कराने वाले को मिली जमानत, दिल्ली पुलिस ने आरोपी की क्यों नहीं मांगी रिमांड?
Delhi Police Registered False Case Against BJP MLA Jitender Mahajan Update : दिल्ली के बीजेपी विधायक जितेंद्र महाजन के खिलाफ 2 करोड़ रूपए की फिरौती मांगने वाला गलत मुकदमा दर्ज कराने वाले आरोपी बंसत गोयल को अदालत ने जमानत दे दी है।
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BJP MLA Jitender Mahajan
14 Jun 2023 (अपडेटेड: Jun 14 2023 5:25 PM)
दिल्ली पुलिस ने बीजेपी विधायक जितेंद्र महाजन के खिलाफ गलत मुकदमा दर्ज किया था
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Delhi Police Registered False Case Against BJP MLA Jitender Mahajan Update : दिल्ली के बीजेपी विधायक जितेंद्र महाजन के खिलाफ 2 करोड़ रूपए की फिरौती मांगने वाला गलत मुकदमा दर्ज कराने वाले आरोपी बंसत गोयल को अदालत ने जमानत दे दी है। पुलिस ने उसे अरेस्ट किया, लेकिन कोर्ट से कोई रिमांड नहीं मांगा, लिहाजा अदालत ने उसे बेल दे दी। हालांकि दूसरे आरोपी शंकर को 15 जून तक पुलिस रिमांड पर भेज दिया। पुलिस का कहना है कि शंकर के कहने पर दो और लोग इस अपराध में शामिल हुए थे। उन्हें पकड़ने के लिए शंकर की रिमांड जरूरी है।
ऐसे में अब पुलिस पर ही कई सवाल खड़े हो रहे हैं?
सवाल ये है कि
आरोपी बंसत गोयल के खिलाफ पुलिस ने कोई रिमांड अर्जी क्यों दायर नहीं की, जब कि सह आरोपी के खिलाफ रिमांड अर्जी दाखिल की गई?
जब पुलिस का ये मानना है कि दोनों ने झूठे मुकदमें दर्ज करने की साजिश रची थी तो क्या ये काम दिल्ली पुलिस का नहीं है कि वो दोनों केसों की जड़ तक जाए और सच का पता लगाए?
कानून के जानकारों का मानना है कि किसी भी केस में पुलिस की कोशिश रहती है कि आरोपी को रिमांड पर लिया जाए और पूछताछ की जाए, लेकिन ऐसा कम नहीं देखने को मिलता है कि जब पुलिस ने आरोपी को अरेस्ट किया हो और अगले ही पल उसे बिना रिमांड पर लिए बेल मिल गई हो, क्योंकि अमूमन पुलिस आरोपी से पूछताछ करने के लिए रिमांड मांगती है। फिर कई बार आरोपी को रिमांड खत्म होने के बाद बेल भी मिल जाती है, लेकिन इस केस में कुछ अलग हुआ। पुलिस ने न तो अदालत से रिमांड मांगी, बल्कि आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेजने की गुजारिश की। आरोपी ने बेल अर्जी दाखिल की, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।
हालांकि पुलिस की हमेशा ये कोशिश होती है कि चाहे सबूत न भी हो तो भी आरोपी का रिमांड मिले ताकि कुछ सबूत मिलने की गुजाइंश हो, लेकिन कई बार जब जांच खत्म हो जाती है तो आरोपी को रिमांड पर लेने का कोई औचित्य नहीं लगता, ऐसे में पुलिस न्यायिक हिरासत के लिए अर्जी दाखिल करती है, लेकिन इस केस में सवाल ये है कि क्या बंसत गोयल के खिलाफ जांच खत्म हो गई है ?
मसलन, उसने गलत मुकदमा क्यों दर्ज कराया?
किसको मोहरा बनाया?
कितने पैसे दिए?
ये सब पुलिस को पता चला चुका है, लिहाजा अब जांच के लिए क्या उसकी कोई आवश्यकता नहीं थी ? अदालत के समक्ष पुलिस जो सबूत पेश करती है, अदालत उसके आधार पर ही फैसला लेने को बाध्य है। हालांकि कई बार अदालत स्वत: संज्ञान भी ले सकती है। आरोपी बंसत गोयल जेल के सलाखों के पीछे नहीं पहुंच सके उससे पहले ही उसे बेल मिल गई। बताया जा रहा कि आरोपी बंसल गोयल के बीजेपी के बड़े नेताओं से संबंध है, जिनमें उसकी एक तस्वीर भी वायरल हो रही है, जो सासंद मनोज तिवारी के साथ है।
तो क्या बीजेपी के कुछ बड़े नेताओं और बड़े अधिकारियों की मिलीभगत से बसंत को राहत मिली?
पुलिस का बयां था कि दोनों केस फर्जी दर्ज हुए है, ऐसे में क्या आरोपी को पुलिस रिमांड पर लेने के लिए अदालत से गुजारिश नहीं करनी चाहिए थी। सवाल बहुत है, जिनके जवाब क्या वाकई में मिलेंगे या फिर ये केस भी ठंडे बस्ते में चला जाएगा।
इस बाबत डीसीपी नॉर्थ ईस्ट Joy Tirkey का कहना है कि आरोपी को बेल मिल गई है।
ये था पूरा मामला
पूरा माजरा आपको बताते हैं। ज्योति नगर थाना अंतर्गत एक दवा कारोबारी है, जिसका नाम बंसत गोयल है। उसकी दुर्गापुरी चौक पर मेनरोड पर दवा की बड़ी दुकान है। कोरोना के समय में उसकी दुकान के कर्मी के खिलाफ एक मुकदमा दर्ज हुआ था, जिसमें उस पर दवा की कालाबाजारी करने का आरोप था। अब ये मुकदमा किसके कहने पर दर्ज हुआ था और क्यों हुआ था, ये जांच का विषय है।
इसके बाद कहानी ने करवट ली
दरअसल, ज्योति नगर थाने में 6 फरवरी 2023 को एक मुकदमा दर्ज हुआ था। संदीप ने ये मुकदमा दर्ज कराया था, जिसमें उसका कहना था कि उस पर फायरिंग की गई थी और वो भी बंसत गोयल के दफ्तर के बाहर। ये फायरिंग किसने की थी और क्यों थी? जांच जारी है।
28 मई को ये मुकदमा दर्ज कराया गया। अब शिकायतकर्ता था बंसत गोयल। यानी जिसके दफ्तर के बाहर गोलियां चली थी। बसंत गोयल का आरोप है कि उसे फोन पर धमकी दी गई थी और दो करोड़ रुपए की मांग की गई थी। साथ-साथ बीजेपी विधायक जितेंद्र महाजन के नाम से उसे डराया गया था।
यहां कई सवाल उठते हैं -
जो दूसरा मामला दर्ज हुई विधायक के खिलाफ, उसमें सच्चाई क्या थी?
बंसत गोयल और विधायक जितेंद्र महाजन के बीच क्या विवाद है?
यहां दिल्ली पुलिस पर भी कई सवाल खड़े होते हैं - मसलन
पुलिस ने पहला मुकदमा और दूसरा किस आधार पर दर्ज किया?
इन दोनों मामलों के जांच अधिकारियों के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज करने का मामला नहीं बनता क्या?
क्या किसी के दबाव में या बिना जांच किए दिल्ली पुलिस मुकदमें दर्ज कर लेती है?
हालांकि पुलिस का कहना है कि मुकदमा दर्ज करने का मतलब ये कतई नहीं होता कि कोई दोषी है। पहला काम मुकदमा दर्ज करना होता है। जब जांच की गई तो सच्चाई सामने आई, इसके बाद कार्रवाई की गई।
बसंत गोयल और उसके सहयोगी शंकर को सोमवार को गिरफ्तार कर लिया गया था। बसंत गोयल विवेक विहार का रहने वाला है। उसकी उम्र 42 साल है, जब कि गौरी शंकर अशोक नगर का रहने वाला है। उसकी उम्र 47 साल है।
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