आज भी इस मामले में पहले वाले दिन की ही स्थिति है। दो आरोपियों के अलावा सीबीआई के पास कुछ भी नहीं है। सीबीआई की जांच से ऐेसा लगता है कि वह इस मामले में प्रोफेशनल तरीके से जांच नहीं कर रही है। हाईकोर्ट की अनुमति के बिना चार्जशीट फाइल कर दी गयी। हत्या और साजिश के मामले में चार्जशीट फाइल की गयी है।
बाबुओं की तरह से काम कर रही है सीबीआई: झारखंड हाईकोर्ट
crime news Ranchi high court not happy with the cbi investigation in judge uttam anand murder case
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29 Oct 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:08 PM)
कोर्ट का कहना था कि सीबीआई को अभी तक यह पता नहीं चल सका कि साजिश में कौन-कौन शामिल है। किसने साजिश रची और हत्या करने के पीछे क्या कारण था? एक प्रोफेशनल जांच एजेंसी से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती। जांच के लिए जितना समय सीबीआई ने मांगा, कोर्ट ने दिया। लेकिन हर बार रटा-रटाया जवाब दिया जा रहा है कि जांच जारी है।
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इससे पुलिस और सीबीआई की जांच में क्या फर्क रह गया है। अदालत ने सीबीआई को 12 नवंबर को अगली प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है । जज हत्याकांड मामले में चीफ जस्टिस ने सीबीआई पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सीबीआई की चार्जशीट उपन्यास की तरह है।
चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इस केस में जहां हम पहले थे आज भी वही हैं। धारा 302 चार्जशीट में लगाया गया लेकिन मकसद का पता नहीं है। इस बड़े केस का यह हाल होगा तो देश में क्या संदेश जाएगा इस मामले में अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी।
पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने सीबीआई की दायर चार्जशीट पर नाराजगी जाहिर करते हुए फटकार लगाई थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि अदालत को अंधेरे में रखते हुए स्टेरियोटाइप चार्जशीट दाखिल की गई है।
चार्जशीट में अंकित हत्या की धारा 302 का कोई प्रमाण नहीं है। चार्जशीट दाखिल करने का मोटिव को अदालत ने गलत करार दिया था। सीबीआई की कार्रवाई पर अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सीबीआई बाबुओं की तरह काम कर रही है।
क्या है मामला ?
जज उत्तम आनंद की मौत उस वक्त हो गई थी जब वो अपने घर से बाहर सुबह टहलने के लिए निकले थे। सीसीटीवी तस्वीरों में दिख रहा था कि कैसे एक ऑटो ने जानबूझकर जज उत्तम आनंद को टक्कर मारी थी जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई।
इस मामले में पुलिस ने ऑटो चला रहे दो लोगों को गिरफ्तार किया था लेकिन इतने दिन बीत जाने के बाद भी ना तो स्थानीय पुलिस और ना ही सीबीआई इस बात को बताने में कामयाब हो पाए हैं कि जज के कत्ल के पीछे का मकसद क्या था।
देश के तमाम जज और वकील संगठन भी इस मामले में अपना रोष जता चुके हैं कि जांच ठीक तरह से नहीं की जा रही है। इतना हाईप्रोफाइल मामला होने के बावजूद भी इस केस को उतनी गंभीरता से नहीं जांचा जा रहा है जितना जाना चाहिए।
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