Wrestlers Controversy With Delhi Police: जो रो रहा है, क्या इसका मतलब वो सही है? और जो रुला रहा है, क्या वो गलत है? क्या बारिश में गीले गद्दे पर सोया जा सकता है? दरअसल, हम बात करे रहे हैं पहलवानों और दिल्ली पुलिस के बीच देर रात जंतर मंतर पर हुई गुत्थमगुत्था की। यानी मिड नाईट ड्रामे की। बस, यही तो मुद्दा था। मानवता के नजरिए से देखे तो फोल्डिंग बेड ही तो लाया गया था, लेकिन इसके बाद जो हुआ, वो हम सब ने देखा। इस कहानी के तीन पात्र है आम आदमी पार्टी, पहलवान और दिल्ली पुलिस। अब सवाल है कि कटघरे में किसे खडे़ करे?
क्या फोल्डिंग बेड से कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती थी? पहलवानों ने क्या दिल्ली पुलिस को पटखनी दी?
Wrestlers Controversy With Delhi Police: आइये आपको मिड नाईट ड्रामा का सच बताते हैं, जो ड्रामा दिल्ली पुलिस, पहलवानों और आम आदमी पार्टी के बीच हुआ।
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Wrestlers Controversy With Delhi Police
04 May 2023 (अपडेटेड: May 4 2023 2:25 PM)
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हम सब ने देखा कि रात में जंतर-मंतर पर ड्रामा हुआ। आम आदमी पार्टी वाले पहलवानों के लिए फोल्डिंग बेड लाए थे। वो चाहते थे इन बेड्स पर पहलवान सोए और पहलवान भी यही चाहते थे, क्योंकि बारिश हुई थी, लिहाजा गद्दे गीले थे। फिर विवाद हो गया। दिल्ली पुलिस वाले कानून की दुहाई देने लगे, क्योंकि दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के अंतर्गत आती है। और ये वो ही पुलिस है, जिसने सुप्रीम कोर्ट के आडर-आडर के बाद पहलवानों की शिकायत पर मुकदमा दर्ज किया था, लेकिन आरोपी बृज भूषण शरण सिंह को गिरफ्तार नहीं किया। जांच चल रही है, क्योंकि आरोपी पक्ष वाला 'बड़ा आदमी' है। समय लगता है जांच में। अगर कोई गरीब होता तो तुरंत मुकदमा, तुरंत गिरफ्तारी होती। हालांकि आरोपों में सच्चाई कितनी है? अभी नहीं कहा जा सकता। लिहाजा इस बात से फिलहाल दिल्ली पुलिस को कटघरे में नहीं खड़ा करते।
Wrestlers Protest at Jantar Mantar: चलिए मु्द्दे पर आते है और मुद्दा है गीले गद्दे। क्या गीले गद्दे में सोया जा सकता है? जवाब है नहीं, तो फिर विवाद क्यों है? इसलिए क्योंकि और गद्दे मंगाए जा सकते थे, बेड क्यों मंगा लिया? और तब जब पता है कि दिल्ली पुलिस से पहलवानों का छत्तीस का आंकड़ा है। तो फिर वो कैसे परमिशन देंगे? हालांकि अब पुलिस कानून की दुहाई दे रही है? अगर गद्दे आते तो तब परमिशन की जरूरत नहीं थी। पता नहीं तब दिल्ली पुलिस क्या डिमांड करती? तो क्या फोल्डिंग बेड से कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती थी?
क्या पहलवान जंतर मंतर पर फोल्डिंग बेड पर लंबे समय के लिए आराम करना चाहते थे? मतलब, यहां सरकार को डर है कि कहीं शाहीन बाग पार्ट 2 तो नहीं हो जाएगा? फिर मीडिया दिखाएगी ? माहौल बनाएगी ? फिर कानून का हवाला देते हुए हटाया जाएगा और फिर पहलवानों को सिमपेथी मिलेगी? सरकार की सिरदर्दी बढे़गी। एक मुहावरा यहां याद आ रहा है कि 'सरहद पर तनाव, क्या चुनाव है'? क्या आसपास चुनाव है ? तभी कुछ पार्टियां ज्यादा एक्टिव है।
Wrestlers Controversy With Delhi Police: इस बीच गीले गद्दे की जगह फोल्डिंग बेड आ गया, लेकिन लाना चाहिए था पहलवानों को, ले आए आम आदमी पार्टी वाले। हो सकता है पहलवानों ने ही कहा हो, लेकिन ये भी हो सकता है कि पार्टी ने जनहित या राजनीतिक हित को ध्यान में रखकर फैसला लिया। और पहुंच गए अखाड़े में। यानी जंतर मंतर। पुलिस ने उन्हें रोका। पहलवानों को लगा इससे ज्यादा शर्म की बात क्या हो सकती है कि सरकार मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित कर रही है और आरोपी को गिरफ्तार भी नहीं कर रही है। अब पहलवान तैयार हो गए, दो-दो हाथ करने के लिए। साथ दिया आम आदमी पार्टी ने। दोनों में पहले बहस हुई, फिर आरोप है कि पुलिस वालों ने गाली-गलौच की, पुलिस पर पिटाई क भी आरोप लगा। अब दूसरे नजरिए से देखें तो भइया पुलिस क्या गलत कह रही है? परमिशन ले लो, लगा लो बेड, लेकिन सवाल ये कि परमिशन देगा कौन? अगर पुलिस से बदसलूकी की जाएगी तो उन्होंने चूड़ियां तो नहीं पहन रखी है? एक्शन तो लेंगे ही और हुआ भी कुछ ऐसा ही।
अभी तक तो लड़ाई बैड की थी, लेकिन अब लड़ाई बैड से हटकर 'शराबी पुलिस वाले' की तरफ बढ़ गई। पुलिस पर दवाब बनाने की कोशिश हुई। एक वीडियो देखी जिसमें कुछ समर्थकों ने एक पुलिस वाले को कालर से पकड़ा, कहा कि ये शराब पिए हुए हैं। फिर बवाल और बढ़ गया। अब दिल की पुलिस बैकफुट पर आ गई, क्योंकि आरोप संगीन था।
Jantar Mantar Drama: हंगामा और लाइव स्ट्रीमिंग जारी थी। देखो ,ये पुलिस वाला शराब पिए हुए हैं, ये सब कुछ कहा जा रहा था। हालांकि क्या वाकई उसने शराब पी रखी थी ? इसकी जांच जारी है, लेकिन क्या सच्ची रिपोर्ट सामने आएगी। ये भी सवाल है , लेकिन उसका कालर पकड़ने की परमिशन किसने किसको दी थी? उस पुलिस वाले ने कोई बदसलूकी नहीं की थी, जिसे कालर से पकड़ा गया? शराब पी थी या नहीं, ये हम कैसे तय कर सकते है?
Delhi Police Clashed With Wrestlers: यानी पहले बैड, फिर बहस और फिर हाथापाई और कथित तौर पर शराबी पुलिस वाले की एंट्री। बदसलूकी किसने किसके साथ की, वीडियो बहुत कुछ बयां कर रही है? सवाल पुलिस से पूछा जाने लगा है कि अगर कोई नहीं मान रहा था तो हल्का-फुल्का बल प्रयोग करना उचित था? क्या पहलवान नहीं समझ रहे थे? सच ये है कि पहलवान नहीं मान रहे थे। तो फिर क्या फोल्डिंग बेड को आराम से पहलवानों को लगाने देते। तब तो पुलिस पर और सवाल खड़े होते या नहीं होते ?
इन सबके बाद एंट्री हुई स्वाति मालिवाल की। एक महिला अफसर उन्हें मौके से हटने के लिए कह रही है। पहले महिला अफसर ने उन्हें मौके से हटने के लिए कहा, जब वो नहीं मानी तो कई महिला कर्मियों ने उन्हें उठाकर गाड़ी में डाल दिया। इस बीच स्वाति ने पुलिस वालों को गाली दी। एक अफसर बोला - you can't abuse me. इसके बाद सुबह होते होते इलाके के डीसीपी प्रणव तायल का बयां सामने आया, 'हमने जतंर मंतर पर जाने से किसी को रोका नहीं है। बस संविधान का पालन होना चाहिए। रात में उनका बयां था कि छोटा-मोटा झगड़ा (Minor Altercation) हुआ था। तीन लोगों को हिरासत में लिया गया था।' वाकई ये माइनर था या फिर मेजर ? जो कहना है कह लो, लेकिन पुलिस को कानून से बंधी हुई है। कानून का पालन कराकर ही रहेगी और यहां इमोशनस की कोई जगह नहीं है। हां, पहलवान आराम से प्रोटेस्ट कर सकते हैं, लेकिन झगड़ा होगा तो मुकदमा तो दर्ज होगा ही। मांग पहलवानों की भी जायज थी और पुलिस का एक्शन भी जायज लग रहा है। बस भाषा बिगड़ी और हाथापाई तक नौबत आने से जंतर मंतर सच में अखाड़ा बन गया।
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