कांवड़ यात्रा पर योगी अटल, दुकानों के बाहर लिखना होगा मालिक का नाम, यूपी-उत्तराखंड में लागू आदेश

यूपी में कांवड़ यात्रा रूट पर पड़ने वाली दुकानों पर मालिकों और संचालकों का नाम लिखने को लेकर शुरु हुआ विवाद अब थम गया है। क्योंकि यूपी सरकार ने साफ कर दिया है कि कांवड़ रूट पर दुकानों, ढाबों और ठेले वालों को उन्हें चलाने वालों का नाम लिखना पड़ेगा। सरकार का कहना है कि ये फैसला कांवड़ियों की आस्था और कानून-व्यवस्था के मद्देनजर लिया गया है।

CrimeTak

19 Jul 2024 (अपडेटेड: Jul 19 2024 2:27 PM)

follow google news

न्यूज़ हाइलाइट्स

point

कांवड़ रूट की हर दुकान पर लगानी होगी नेमप्लेट 

point

लिखना होगा मालिक और संचालक का नाम

point

यूपी, उत्तराखंड में कांवड़ मार्ग पर लागू आदेश

Lucknow: यूपी सरकार ने अब साफ कह दिया है कि कांवड़ रूट पर पड़ने वाले होटलों, ढाबों, दुकानों और ठेले वालों को तख्ती पर अपना नाम लिख कर लगाना होगा ताकि कांवड़ यात्रियों को पता चल सके कि वो जिस दुकान से सामान खरीद रहे हैं उसे कौन चला रहा है। सरकार का कहना है कि ये फैसला कांवड़ियों की श्रद्धा और कानून-व्यवस्था के मद्देनजर लिया गया है। इससे पहले अपने दो दिन पुराने आदेश पर यू-टर्न लेते हुए गुरुवार को  मुजफ्फरनगर पुलिस ने स्पष्टीकरण जारी कर कहा था कि दुकानों पर मालिक और संचालक के नाम की तख्ती लगाना अनिवार्य नहीं है, अगर दुकानदार चाहे तो दुकान पर वो अपना नाम अपनी मर्जी से लिख कर लगा सकते हैं पर ऐसा न करने वाले के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाएगी। मगर यूपी सरकार की ओर से आए ताजा निर्देश के बाद अब स्थिति साफ हो गई है।

देवबंद की प्रतिक्रिया आई सामने

इस मामले पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश से मुस्लिम उलेमाओं की तरफ से भी बयान आया है। देवबंद से उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने कहा है कि इससे अलग अलग धर्म के मानने वाले लोगों के बीच दूरियां पैदा होंगी और जो फिरका परस्त लोग हैं, उन्हें दूरियों को बढ़ाने का मौका मिलेगा कि वो सार्वजनिक स्थानों पर लोगों के बीच हिंदू-मुस्लिम के आधार पर बंटवारा कर सकें। मुफ्ती असद कासमी ने सीएम योगी से अपील करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री अपने इस निर्देश पर एक बार और गौर करें। 

इस मुद्दे को लेकर जमकर राजनीति भी हो रही है। शुरुआत मुज्जफरनगर पुलिस ने की थी। पहले पुलिस ने कहा था कि कांवड़ रूट पर जितने भी दुकानदार और ठेले वाले हैं, वो अपना नाम दुकान के बाहर लिखें। इसका विरोध होना शुरू हुआ तो मुज्जफरनगर पुलिस ने अपना आदेश बदल दिया और कहा कि पुलिस का ये निर्देश स्वैच्छिक है, यानी जो दुकानदार चाहें वो ऐसा करें, मगर नाम लिखना किसी भी दुकानदार के लिये अनिवार्य नहीं है। 

कांवड़ रूट की हर दुकान पर लगानी होगी नेमप्लेट 

अब यूपी सरकार ने शुक्रवार को नया आदेश जारी कर दिया। सिर्फ मुज्जफरनगर में ही नहीं, बल्कि पूरे यूपी में ये व्यवस्था लागू हो गई है। हालांकि कांवड़िये हरिद्वार में गंगा से जल लेकर जाते हैं। कांवड़िये देश के कोने-कोने से हरिद्वार पहुंचते हैं, इस लिहाज से सरकार ने पूरे यूपी में ये व्यवस्था की है, क्योंकि ज्यादातर लोग यूपी क्रॉस करते हुए ही हरिद्वार पहुंचते हैं। उत्तराखंड पुलिस की तरफ से भी यही आदेश जारी किया गया है। हरिद्वार के एसएसपी ने कहा, 'ऐसे सभी लोगों को जो होटल ढाबे का संचालन करते हैं या फिर रेहड़ी- ठेली लगाते हैं, उनको आदेशित किया गया है कि वो अपने-अपने प्रतिष्ठान पर प्रोपराइटर का नाम, क्यूआर कोड और मोबाइल नंबर लिखकर आवश्यक रूप से लगाएं। जो व्यक्ति ऐसा नहीं करेगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।'

जुलाई से सावन का पावन महीना शुरू हो रहा है। सावन के पहले दिन से कांवड़ यात्रा शुरू हो जाएगी। मुख्यमंत्री कार्यालय के मुताबिक, यह फैसला  इसलिये लिया गया है ताकि कांवड़ यात्रियों की आस्था आहत न हो और न ही कांवड़ मार्गों पर किसी तरह का विवाद हो। सरकार की ओर से ये भी कहा गया है कि हलाल सर्टिफिकेशन वाले प्रोडक्ट बेचने वालों पर भी कार्रवाई की जाएगी। आपको बता दें कि मुजफ्फरनगर जिले से होते हुए कांवड़िए हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और यूपी के अलग अलग जिलों में जाते हैं। हरिद्वार से हर साल 4 करोड़ कांवड़िए कांवड़ उठाते हैं। ढाई करोड़ से ज्यादा कांवड़िए मुजफ्फरनगर से होकर जाते हैं। इस साल कांवड़ यात्रा 22 जुलाई से शुरू हो रही है।

विवाद खड़ा होने पर क्या कहा था मुजफ्फरनगर पुलिस ने?

मुजफ्फरनगर पुलिस ने कहा था -  श्रावण के पवित्र महीने के दौरान, कई लोग, विशेष रूप से कांवड़िएं, अपने आहार में कुछ खाद्य पदार्थों से परहेज करते हैं। अतीत में, ऐसे उदाहरण सामने आए हैं, जहां कांवड़ मार्ग पर सभी प्रकार के खाद्य पदार्थ बेचने वाले कुछ दुकानदारों ने अपनी दुकानों का नाम इस तरह रखा, जिससे कांवड़ियों के बीच भ्रम पैदा हुआ, जिससे कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा हुई। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए, होटल, ढाबों और कांवड़ मार्ग पर खाद्य सामग्री बेचने वाले दुकानदारों से स्वेच्छा से अपने मालिकों और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने का अनुरोध किया गया है। यह प्रथा पहले भी प्रचलित रही है।
 

    यह भी पढ़ें...
    follow google newsfollow whatsapp