चीन की लैब में इंसान और बंदर का हाइब्रिड (Human-Monkey Hybrids) तैयार हो रहा है, जो सुपर सोल्जर बनेंगे। ये ऐसे सोल्जर होंगे, जिन्हें न तो कभी भूख-प्यास लगेगी और न कभी नींद आएगी। इन्हें स्पेस से लेकर समुद्र की लड़ाई में उतारा जा सकता है, 'द सन' की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एक ह्यूमनजी का जन्म अमेरिका में एक हाइब्रिडाइजेशन प्रोजेक्ट के दौरान हुआ था, लेकिन उसे लैब कर्मियों ने ही मार दिया था। इस प्रोजेक्ट पर अभी भी चीन की एक लैब काम कर रही है जहां कानूनी मुद्दे कम हैं।
चीन लैब में तैयार कर रहा 'सुपर सोल्जर', इंसानों के मुकाबले कहीं ज़्यादा होंगे कारगार
चीन (China) लैब में तैयार कर रहा 'सुपर सोल्जर', इंसानों के मुकाबले कहीं ज़्यादा होंगे कारगार, Get the latest updates on crime news in Hindi, world news, crime story and more on CrimeTak.
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29 Dec 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:11 PM)
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वैज्ञानिकों को कहना है कि लोगों की जिंदगी बचाने के लिए ऑर्गन ट्रांसप्लांट में इस हाइब्रिड का उपयोग किया जा सकता है, 2019 में यूएस साल्क इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकल स्टडीज के प्रोफेसर जुआन कार्लोस इजपिसुआ बेलमोंटे के नेतृत्व में वैज्ञानिकों को बड़ी कामयाबी हासिल हुई थी। इस टीम ने एक मानव और बंदर का हाइब्रिड तैयार किया था, जो 19 दिनों तक जीवित रहा था, प्रयोग करने वाली वैज्ञानिकों की टीम ने बताया कि उन्होंने ऐसी मानव कोशिकाओं के बंदर में इंजेक्ट किया, जो उसमें भ्रूण बना सके। बच्चे के जन्म लेने से पहले ये प्रयोग रोक दिया गया। दरअसल रूस के वैज्ञानिकों ने ये प्रयोग चीन में किया, क्योंकि उनके देश में ऐसा करने की अनुमति नहीं है।
रूस में सोवियत वैज्ञानिकों को 1920 के दशक में तानाशाह स्टालिन ने एक हाइब्रिड एप-मैन (बंदर-मानव) 'सुपर सैनिक' बनाने का आदेश दिया था, जो चरम परिस्थितियों में भी काम करने में सक्षम हो जहां आम इंसानों के लिए जीवित रहना भी मुश्किल था। उस समय के गुप्त दस्तावेज, जिन्हें 1990 के दशक में सार्वजिनक किया गया था, बताते हैं कि क्रेमलिन प्रमुख 'बेहद ताकतवर लेकिन अविकसित दिमाग वाली' मानव-बंदरों की एक सेना चाहते थे जो 'लचीली और भूख-प्रतिरोधी' हो। 1967 में चीन में किए गए मानव-चिंपैंजी क्रॉसब्रीडिंग के एक प्रयोग की जानकारी दी गई. कहा जाता है कि चीनी सरकार ने इस परियोजना को दोबारा शुरू करने के लिए कहा था. इसमें शामिल वैज्ञानिकों में से एक डॉ जी योंगजियांग ने बताया कि उनका लक्ष्य एक ऐसा जानवर पैदा करना था, जो बोल सके और उसमें चिंपैंजी जैसी ताकत हो.
इसके बाद 1970 के दशक में मानवीय विशेषताओं के साथ एक कथित 'म्यूटेंट' चिंपैंजी ने 'ह्यूमनज़ी' विचार को एक बार फिर हवा दी. सर्कस में परफॉर्म करने वाला एक वानर ओलिवर के मानव-चिंपैंजी हाइब्रिड होने की सूचना मिली थी। ये दूसरे चिंपैंजी की तुलना में ज्यादा बुद्धिमान प्रतीत होता था और इसके शरीर पर कम बाल थे।
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