Supreme court on Bail: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि जांच एजेंसी को किसी आरोपी को उसे मिलने वाली स्वत: जमानत (डिफॉल्ट बेल) से वंचित करने के लिए जांच पूरी किये बिना अदालत में आरोप पत्र दाखिल नहीं करना चाहिए।
आरोपी को जमानत से इनकार करने के लिए जांच पूरी किए बिना आरोपपत्र दाखिल नहीं करना चाहिए : न्यायालय
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि जांच एजेंसी को किसी आरोपी को उसे मिलने वाली स्वत: जमानत (डिफॉल्ट बेल) से वंचित करने के लिए जांच पूरी किये बिना अदालत में आरोप पत्र दाखिल नहीं करना चाहिए।
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Chargesheet should not be filed without completion of investigation to deny bail to accused: Court
27 Apr 2023 (अपडेटेड: Apr 27 2023 6:00 AM)
आपराधिक दंड संहिता (सीआरपीसी) की धारा 167 के अनुसार, अगर जांच एजेंसी आरोपी को हिरासत में लिए जाने की तारीख से 60 दिनों के भीतर आरोप पत्र दाखिल करने में विफल रहती है तो वह आरोपी स्वत: जमानत का हकदार होगा। अपराध की कुछ श्रेणियों के लिए, निर्धारित अवधि को 90 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है।
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अपनी व्यवस्था में न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा, ‘‘अगर कोई जांच एजेंसी जांच पूरी किए बिना आरोपपत्र दाखिल करती है, तो इससे आरोपी का स्वत: जमानत पाने का अधिकार खत्म नहीं होगा।’’
शीर्ष अदालत ने यह फैसला एक आपराधिक मामले में आरोपी की जमानत मंजूर करते हुए दिया।
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