अपने पिता वाली गलती दोहरा रहे हैं जस्टिन ट्रूडो, कनाडा के पत्रकार का ये बड़ा दावा

Canadian Journalist Exclusive: भारत और कनाडा के रिश्तों और हाल में आई उनके रिश्तों में तल्खी को लेकर चर्चा सुर्खियों में है। दावा किया जा रहा है कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो एक बार फिर अपने पिता वाली गलती दोहरा रहे हैं।

खालिस्तान के मुद्दे पर कनाडा और भारत के तल्ख होने लगे हैं रिश्ते

खालिस्तान के मुद्दे पर कनाडा और भारत के तल्ख होने लगे हैं रिश्ते

20 Sep 2023 (अपडेटेड: Sep 24 2023 10:00 PM)

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Trudeau legitimised anti-India acts: इस समय हिन्दुस्तान में भारत और कनाडा के रिश्तों और हाल में आई उनके रिश्तों में तल्खी को लेकर चर्चा सुर्खियों में है। दोनों देशों के बीच आई इस तल्खी की वजह एक आतंकवादी को ही माना जा रहा है। लेकिन जब ये बात शुरू हुई तो पुराने गड़े मुर्दे भी उखाड़े जाने लगे हैं। 

भारतीय खुफिया एजेंसियों पर आरोप

असल में कनाडा की पार्लियामेंट में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सरे के एक गुरुद्वारा के सामने एक खालिस्तानी समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए भारतीय खुफिया एजेंसियों को कसूरवार मान लिया और उसे कनाडाई नागरिक बताते हुए एक तरह से निज्जर का समर्थन ही कर दिया। इतना ही नहीं कनाडा के प्रधानमंत्री के बयान के बाद भारत और कनाडा के बीच तनाव बढ़ गया है। इसी बीच कनाडा ने एक और बड़ा कदम उठाकर एक तरह से इस तनाव को कम करने की वजाए उसे और बढ़ाया ही है। कनाडा ने भारत के सीनियर डिप्लोमेट को निकाल भी दिया। जवाब में भारत ने भी कनाडा के सीनियर डिप्लोमेट को बाहर का रास्ता दिखाते हुए पांच दिन के भीतर देश छोड़ने का फरमान सुना दिया। 

खालिस्तान के मुद्दे पर भारत और कनाडा के रिश्तों में आई तल्खी

खालिस्तानियों के हाथों का खिलौना

दरअसल ट्रूडो खालिस्तानियों के हाथों का खिलौना बन रहे हैं...और भारत पर ये बेबुनियाद आरोप लगाकर वो पूरी तरह से बेनकाब हो गए। ये बात कोई और नहीं बल्कि कनाडा के ही वरिष्ट पत्रकाल टेरी माइलवस्की ने आजतक से exclusive बातचीत में कही। 

कनाडा के पत्रकार का दावा

ये इल्जाम भी टेरी माइलवस्की का ही है कि खालिस्तानियों की साजिश के तहत ही कनाडा ने भारतीय राजनयिक को निकाला, बल्कि भारत के नक्शे से भी छेड़छाड़ की। इसके अलावा कश्मीर, मणिपुर न जाने को लेकर अपने नागरिकों को एडवाइजरी जारी की। पत्रकार टेरी माइलवस्की कहते हैं कि ये सब एक ही झूठ को जबरन सच बताने का प्रोपेगेंडा है।

कनाडा के पत्रकार टेरी माइलवस्की का कहना है कि ट्रूडो खालिस्तानियों के हाथ का खिलौना बन गए

पिता वाली गलती दोहरा रहे प्रधानमंत्री

जाहिर है भारत के लिए ये मामला बेहद संगीन और संजीदा है। और इसी के साथ ही भारत ने कनाडा को एक तरह से चेताया है कि जस्टिन ट्रूडो एक बार फिर वही गलती दोहरा रहे हैं जो उनके पिता सीनियर ट्रूडो ने की थी, और जिसका अंजाम ये हुआ था कि दुनिया ने एक भयानक हवाई हादसा देखा था। ऐसे में ये बात भी उठने लगी है कि कहीं कनाडा और भारत का मौजूदा विवाद फिर कहीं 1985 के उस विमान हादसे जैसे किसी अंजाम तक तो नहीं पहुँच जाएगा। 

माइलवस्की की किताब में बड़े दावे

इसी बीच कनाडा के एक वरिष्ट पत्रकार और खालिस्तान आंदोलन पर लंबे समय तक रिपोर्टिंग करने वाले टेरी माइलवस्की की किताब के हिस्से में मौजूदा झगड़े के अक्स दिखाई दे रहे हैं। टेरी माइलवस्की ने अपनी किताब में लिखा है कि बीते 40 सालों के दौरान कनाडा में खालिस्तानी  अच्छी तरह से फले फूले हैं। इसके बावजूद कनाडा की तुलना पाकिस्तान से नहीं की जा सकती। मगर कनाडा ने खालिस्तान को कानूनी और राजनीतिक रूप से माहौल मुहैया करवाया है। 

1985 में एयर इंडिया हादसा

उसी किताब के हिस्से में 1985 में हुए एयर इंडिया हादसे का भी जिक्र है जिसके पीछे आतंकवादी तलविंदर सिंह का हाथ था। टेरी माइलवस्की लिखते हैं कि तलविंदर सिंह के बारे में उस समय भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कनाडा में पियरे ट्रूडो की सरकार से शिकायत की थी। ये किस्सा 1982 का है। जब तलविंदर सिंह को प्रत्यर्पण करने का अनुरोध भी किया गया था लेकिन उसे उस वक्त की कनाडाई सरकार ने ठुकरा दिया था। बाद में उसी तलविंदर सिंह ने 1985 में एयर इंडिया के कनिष्क विमान को टाइम बम से उड़ा दिया था। और उस हादसे में सभी 329 लोगों की मौत हो गई थी। इस हादसे में सबसे ज़्यादा 268 लोग कनाडा के नागरिक थे। 

कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री पियरे ट्रूडो भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की शिकायत को नजरअंदाज किया था

पियरे ट्रूडो के खिलाफ हवा

एयर इंडिया के कनिष्क विमान हादसे को सबसे बड़े आतंकी हमलों में से एक माना जाता है। इससे बड़ा हमला केवल 9/11 का माना जाता है जिसमें विमान से हमला किया गया था। इस हमले के बाद कनाडा में पियरे ट्रूडो के खिलाफ हवा बहने लगी थी। लोगों ने पियरे ट्रूडो यानी मौजूदा प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के पिता को दोषी ठहराने लगे थे क्योंकि लोग यही मानते हैं कि आतंकी परमिंदर परमार को भारत के हवाले न करने और उसके प्रत्यर्पण की मांग को अस्वीकार करने के लिए कनाडा सरकार ने गलत कर दिया था।

परमिंदर सिंह परमार की धमकी

टेरी माइलवस्की की किताब में लिखी इबारत के मुताबिक कनाडा की सरकार के प्रत्यर्पण की मांग को ठुकराने के बाद ही परमिंदर सिंह परमार ने हमले की तैयारी शुरू कर दी थी। टेरी माइलवस्की ने 1984 में परमार के उस बयान का हवाला लिया है जिसमें परमार और उसके समर्थकों ने एक सम्मेलन में कहा था कि अब तो भारत के जहाज आसमान से गिरेंगे। जबकि परमिंदर के खास अजायब सिंह ने यहां तक धमकी दे डाली थी कि जब तक हम 50 हजार हिंदुओं को नहीं मार डालेंगे तब तक हमें आराम नहीं मिलेगा। भारत की तरफ से कहा जा रहा है कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने जिस तरह से आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में अपना रुख दिखाया है और उसकी हत्या के लिए भारत का हाथ होने का इल्जाम लगा दिया है, उसने एक तरह से अपने पिता और उस वक्त के प्रधानमंत्री पियरे ट्रूडो की याद को ताजा कर दिया। 

निज्जर के मामले में ट्रूडो भी पिता वाली गलती दोहरा रहे

हिंसा की नुमाइश को जगह नहीं

ये बात गौर तलब है कि पियरे ट्रूडो 1968 से लेकर 1979 और फिर 1980 से 1984 तक दो बार कनाडा के प्रधानमंत्री रहे। ऐसे में अब ये बात खुलकर कही जाने लगी है कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकियों का साथ देकर एक बार फिर अपने पिता वाली गलती दोहरा दी है। इसी साल जून के महीने में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की झांकी ब्रैंपटन में निकाली जाती है । लेकिन कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो इसका विरोध करने के बजाए इसे अभिव्यक्ति की आजादी करार देते हैं।  जबकि भारत में कनाडा के राजदूत कैमरन मैके इसकी निंदा करते हैं, तर्क ये है कि ऐसी हिंसा के महिमामंडन और नफरत की कनाडा में कोई जगह नहीं होनी चाहिए। 

खालिस्तानियों के हमले पर चुप्पी

क्या अजीब इत्तेफाक है कि जिस कनाडा में रूल ऑफ लॉ की दुहाई जस्टिन ट्रूडो देते हैं, उसी कनाडा में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद खालिस्तानी समर्थक भारतीय राजनयिकों की हत्या करने के पोस्टर लगाते हैं। जो जस्टिन ट्रूडो एक आतंकी की हत्या के मामले में भारत की खुफिया एजेंसियों का हाथ होने का बेबुनिया आरोप लगाते हैं वही ट्रूडो कनाडा से अमेरिका तक भारत के कॉन्सुलेट पर खालिस्तानियों के हमले पर चुप्पी भी साध लेते हैं।

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