Bihar News : लालू प्रसाद की परछाई और हनुमान कहे जाने वाले पूर्व OSD भोला यादव गिरफ्तार

CBI News : सीबीआई ने लालू यादव (Lalu Yadav) के पूर्व ओएसडी भोला यादव (Bhola yadav) को गिरफ्तार किया. भोला यादव को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया है.

CrimeTak

27 Jul 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:23 PM)

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Bihar-Delhi News : केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद (Lalu Prasad) के सहयोगी भोला यादव (Bhola Yadav) को गिरफ्तार कर लिया है. ये भोला यादव वही अधिकारी है जिन्हें लालू का परिवार भोला बाबू कहता है. मीडिया में लोग उन्हें लालू का हनुमान या परछाई के रूप में संबोधित करते रहे हैं. भोला यादव को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया है.

इन्हें रेलवे में ‘‘जमीन के बदले नौकरी’’ घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है। लालू प्रसाद जब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में रेल मंत्री थे तब यह कथित घोटाला हुआ था। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।

अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने बुधवार को यादव के चार परिसरों में छापेमारी भी की। इनमें दरभंगा और पटना में दो-दो परिसर शामिल हैं। भोला यादव 2005 और 2009 के बीच तत्कालीन रेल मंत्री प्रसाद के विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) थे।

यादव को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) समर्थकों के बीच प्रसाद के ‘‘हनुमान’’ या ‘‘परछाई’’ के रूप में जाना जाता है। सीबीआई ने यादव से घोटाले के संबंध में पूछताछ की थी। इस घोटाले में नौकरी के आकांक्षी उम्मीदवारों के परिवारों से पटना में एक लाख वर्ग फुट से अधिक भूमि कथित तौर पर रेलवे में ग्रुप-डी की नौकरियों के बदले में प्रसाद के परिवार के सदस्यों के नाम खरीदी गई या उसे हस्तांतरित किया गया।

सीबीआई को संदेह है कि यादव ने नौकरियां दिलाने और बाद में प्रसाद के परिवार को जमीन हस्तांतरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। प्रसाद के ‘‘दाहिने हाथ’’ माने जाने वाले यादव ने चुनावी राजनीति में कदम रखा था और 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में राजद के टिकट पर दरभंगा की बहादुरपुर सीट पर जीत दर्ज की थी। उन्होंने 2020 में सीट को उसी जिले के हयाघाट से बदलने का फैसला किया, हालांकि वह चुनाव हार गए।

अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने 18 मई को लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटियों मीसा भारती और हेमा यादव के अलावा मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर के रेलवे जोन में नौकरी लेने वाले 12 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। एजेंसी ने आरोप लगाया है कि पटना में करीब 1.05 लाख वर्ग फुट जमीन प्रसाद के परिवार के सदस्यों ने विक्रेताओं को नकद भुगतान करके अधिग्रहित की थी।

प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है, ‘‘उपरोक्त सात भूखंडों का वर्तमान मूल्य, जिसमें उपहार विलेख के माध्यम से प्राप्त भूमि भी शामिल है, मौजूदा सर्कल रेट के अनुसार लगभग 4.39 करोड़ रुपये है। पूछताछ में पता चला है कि जमीन के भूखंड को मौजूदा सर्किल दरों से कम दरों पर खरीदा गया था और इसे लालू प्रसाद यादव के परिवार के सदस्यों द्वारा सीधे विक्रेताओं से खरीदा गया था।

इसने कहा कि जाली दस्तावेजों के आधार पर बिना किसी विज्ञापन या सार्वजनिक नोटिस जारी किए रेलवे में लोगों की नियुक्ति की गई। एजेंसी ने 20 मई को पटना में प्रसाद के आवास और अन्य स्थानों पर भी छापेमारी की थी। राजद ने छापेमारी के बाद आरोप लगाया था, ‘‘हम दोहराते हैं कि सीबीआई का ताजा मामला और इसके सिलसिले में देश भर में की गई छापेमारी केंद्र में शासन करने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा प्रायोजित है।’’

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