Sandeshkhali Accuse Arrested: 'भाई', 'माफिया' 'रॉबिनहुड', 'शेख' और 'दादा' ये सारे नाम शाहजहां शेख के हैं और पश्चिम बंगाल के संदेशखाली शाहजहां शेख के बारे में जब भी लोग बात करते हैं तो उनकी जुबान पर यही नाम होते हैं। आखिर ये नाम सुर्खियों में क्यों और कैसे आया। इस नाम की वो कौन की खासियत है जिसकी वजह से केंद्रीय जांच एजेंसियों के साथ साथ पश्चिम बंगाल की सरकार की भी नींद हराम थी। ऐसा क्या है इस नाम में कि इसकी वजह से देश का सारा कारोबार ही ठप पड़ा हुआ था और ED से लेकर CBI तक हाथ धोकर इसके पीछे पड़ी हुईं थी और तमाम जांच एजेंसियों की पूरे 57 दिन की दौड़ भाग के बाद शाहजहां शेख अपने सारे उर्फ के साथ आखिरकार गिरफ्तार हो गया। जिस इलाके में उसका दबदबा था यानी पश्चिम बंगाल का संदेशखाली का इलाका, शेख शाहजहां पकड़ा भी वहीं से गया।
संदेशखाली के 'दादा' शाहजहां शेख को सोते से उठा लाई पुलिस, 57 दिन बाद पकड़ा गया 'शेख'
Shahjahan Sheikh Arrested: पूरे 57 दिन की भागदौड़ के बाद पश्चिम बंगाल की पुलिस ने टीएमसी नेता शाहजहां शेख को संदेशखाली से गिरफ्तार किया है।
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शाहजहां शेख की फरारी खत्म अब मुंह खुलवाने की होगी तैयारी
29 Feb 2024 (अपडेटेड: Feb 29 2024 8:10 AM)
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न विधायक न सांसद फिर भी रसूख जबरदस्त
शाहजहां शेख TMC का नेता है। लेकिन उसके दूसरे भी गोरखधंधे हैं जिसकी वजह से उसे बंगाल का 'भाई', मछली पालकों का 'माफिया', ईंट भट्टा का 'दादा', सियासी हैसियत में वो खुद को 'रॉबिनहुड' समझता था, जबकि सत्ता के गलियारे में उसकी एंट्री किसी 'शेख' की तरह होती थी। शाहजहां शेख न तो ही विधायक है और न ही सांसद, फिर भी उसके नाम और उसका रसूख कुछ ऐसा है कि उसका नाम जुबान पर आते ही गांववालों की बोलती बंद हो जाया करती थी।
सुबह सुबह कर लिया गिरफ्तार
अब सवाल यही उठता है कि आखिर शाहजहां शेख को सुरक्षा एजेंसियां क्यों पकड़ना चाहती थीं, और बंगाल की सत्ताधारी पार्टी पर उसे बचाने के इल्जाम क्यों लगते रहे। तो सबसे पहले यही समझ लें कि उसे पकड़ा कैसे गया। असल में बंगाल पुलिस ने कोलकाता हाई कोर्ट के आदेश के बाद उसे गिरफ्तार किया है। आज सुबह सुबह शाहजहां शेख को सरबेरिया इलाके से उस वक़्त उठाया गया जब वो सोकर उठा भी नहीं था। फिलहाल उसे बशीरहाट में पुलिस लॉकअप में रखा गया है।
गुर्गों ने ED की टीम पर किया था हमला
असल में शाहजहां शेख की पहचान टीएमसी के एक ताकतवर और असरदार नेता के तौर पर बन चुकी है। अपनी हैसियत की बदौलत शाहजहां शेख संदेशखाली यूनिट का टीएमसी अध्यक्ष भी रह चुका है। लेकिन पहली बार शाहजहां शेख का नाम उस वक्त सुर्खियों में आया, जब इसी साल पश्चिम बंगाल में 5 जनवरी को ED की टीम हमला किया गया था। असल में ईडी की टीम शाहजहां से बंगाल राशन वितरण घोटाला मामले में पूछताछ करने पहुंची थी, लेकिन उस समय इस माफिया के गुर्गों ने ईडी की टीम पर हमला कर दिया था। हालांकि उस हमले के बाद भी ईडी लगातार पूछताछ के लिए शाहजहां शेख को समन जारी करती रही लेकिन शाहजहां शेख फरार ही रहा। और गिरफ्तारी से पहले उसकी फरारी को 57 दिन हो चुके थे।
जब हुआ फरार तो लोगों को हिम्मत आई
कहते तो यही है कि पिछले 11 साल से पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में तो किसी की हिम्मत नहीं हुई कि वो शाहजहां शेख के खिलाफ ऊंची आवाज में भी बात कर सके। लेकिन जब वो गिरफ्तारी से बचने के लिए फरार हुआ तो गांव के कुछ लोगों ने हिम्मत जुटाई और तब उसके खिलाफ जो इल्जामों की बौछार हुई तो देखते ही देखते इलाके का नायक लगने वाला शाहजहां शेख अचानक खलनायक नज़र आने लगा।
शेख का सारा कच्चा चिट्ठा खुला
जनवरी में ईडी की टीम पर हमला होने के बाद संदेशखाली सुर्खियों में आ चुका था। मीडिया के कैमरे और खबरनवीसों के अलावा अपनी अपनी नेतागीरी चमकाने के लिए भी लोग पहुंचने लगे थे। उस दौरान शाहजहां शेख का सारा कच्चा चिट्ठा खुल गया। क्योंकि संदेशखाली की महिलाओं ने ताबड़तोड़ इल्जामों की झड़ी लगा दी। शाहजहां शेख पर जमीन हड़पने और उसके गुर्गों पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। और इसी बात को लेकर लेफ्ट और बीजेपी ने ममता सरकार को पूरी तरह से सवालों से घेर लिया। और इस बात का विरोध भी किया कि आखिर क्यों सत्ता एक गुंडे और मवाली और एक विलेन को बचाने पर आमादा है। यहां तक कि संदेशखाली में धारा 144 लगाकर विपक्ष के नेताओं को वहां जाने से रोका गया। बीजेपी के नेताओं ने बंगाल से लेकर दिल्ली तक इस मामले को उठाया और ममता सरकार पर दबाव बनाया कि संदेशखाली के सभी आरोपियों की गिरफ्तारी हो।
हाथ डालने से पुलिस डरी
बंगाल पुलिस ने शाहजहां शेख के गुर्गों को पहले ही गिरफ्तार कर लिया था, मगर कहा तो यहां तक जा रहा था कि शाहजहां शेख पर हाथ डालने से पुलिस डर रही थी। तब कोलकाता हाई कोर्ट ने जब शाहजहां की गिरफ्तारी का आदेश दिया तो पुलिस ने एक्शन लेते हुए देर रात गिरफ्तार किया। प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी का दावा है कि पश्चिम बंगाल के राशन वितरण घोटाले में करीब 10 हजार करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ है। इस मामले में ईडी पहले ही बंगाल के पूर्व मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक को गिरफ्तार कर चुकी है। लेकिन जांच में इस घोटाले में टीएमसी नेता शाहजहां शेख और बनगांव नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन शंकर आद्या के भी शामिल होने की बात खुली। इसी सिलसिले में 5 जनवरी को ईडी की टीम शाहजहां शेख के आवास पर छापा मारने पहुंची थी लेकिन वहां उसके गुर्गों ने ईडी के अधिकारियों पर हमला कर दिया था।
मछुआरे के रूप में हुई शुरुआत
42 साल का शाहजहां शेख अपनी दबंगई की वजह से लोगों के बीच में 'भाई' के नाम से मशहूर हैं। पश्चिम बंगाल के उत्तरी 24 परगना और बंग्लादेश बॉर्डर के नजदीक रहने वाला शेख एक छोटे से मछुआरे के रूप में काम करता था। संदेशखली में मछली पालन और ईंट भट्टों में एक वर्कर के रूप में शुरुआत की थी। शाहजहां शेख चार भाई-बहनों में सबसे बड़ा है। मत्स्य पालन और ईंट भट्टों के कारोबार के बढ़ने के साथ 2004 में शाहजहां शेख यूनियन का नेता बन गया और लोगों के बीच दादा बनकर काम करने लगा। जान पहचान बढ़ी तो राजनीतिक हैसियत भी बढ़ने लगी और अचानक भीड़ उसे 'रॉबिनहुड' पुकारने लगी।
2006 से शुरु हुआ सियासी सफर
मौजूदा टीएमसी नेता शाहजहां शेख की राजनीतिक शुरुआत साल 2006 में वामपंथी सरकार के दौर में हुई थी। सीपीआई एम के कद्दावर नेता एम शेख का खास सहयोगी बनने के बाद शाहजहां शेख का सियासी कद और ओहदा दोनों बढ़ गए। लेकिन उससे पहले ही उसका अवैध वसूली और अनैतिक हरकतों का काला कारोबार चलता रहा और उसके खिलाफ कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई। शाहजहां शेख, TMC के राष्ट्रीय महासचिव मुकुल रॉय की देखरेख में 2012 में पार्टी में शामिल हुआ। राशन घोटाले मामले में पूर्व वन मंत्री ज्योतिप्रियो मल्लिक ईडी की हिरासत में और कहा जाता है कि शेख शाहजहां उसका बेहद करीबी है। 24 परगना से ताल्लुक रखने वाला शाहजहां शेख अपने तेजाबी भाषणों के लिए भी जाना जाता है। उसके बारे में ये बात भी मशहूर हो चुकी थी कि बंगाल के एक बड़े वोट बैंक पर उसका प्रभाव है तभी उस पर हाथ डालने से सरकार और सरकार की पुलिस दोनों ही कांप रहे थे।
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