द्वारका एक्सप्रेसवे के एक KM में लगे 251 करोड़!, CAG की चौंकाने वाली रिपोर्ट ने उठाए सवाल

CAG Report on Dwarka-Expressway: दिल्ली में बन रहे द्वारका एक्सप्रेस-वे (Dwarka-Expressway) पर CAG रिपोर्ट ने कई अहम सवाल खड़े किए हैं

CAG Report on Dwarka-Expressway | File Photo

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14 Aug 2023 (अपडेटेड: Aug 14 2023 1:40 PM)

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CAG Report on Dwarka-Expressway: दिल्ली में बन रहे द्वारका एक्सप्रेस-वे (Dwarka-Expressway) पर CAG रिपोर्ट ने कई अहम सवाल खड़े किए हैं. सीएजी रिपोर्ट (CAG Report) में कहा गया है कि इस सड़क की लागत कई गुना है. रिपोर्ट के मुताबिक, जो लागत प्रति किलोमीटर 18 करोड़ रुपये होनी थी, उस पर 250 करोड़ रुपये तक खर्च किए गए हैं. सीएजी ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि कैबिनेट ने इस सड़क के लिए 18.20 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर का बजट प्रस्तावित किया था, लेकिन इसके लिए 251 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर का बजट पारित किया गया. अब इस लागत में भारी अंतर पर सवाल उठ रहे हैं.

भारतमाला प्रोजेक्ट-1 के तहत बन रहा यह द्वारका-एक्सप्रेसवे दिल्ली और गुरुग्राम में आता है. दिल्ली को गुरुग्राम से जोड़ने वाली यह सड़क 29 किलोमीटर लंबी है. यह सड़क दिल्ली के महिपालपुर में शिवमूर्ति के पास से शुरू होती है और गुरुग्राम के खेड़की टोल प्लाजा तक जाती है. यह एक्सप्रेसवे 14 लेन का बनाया जा रहा है. अब इसकी कीमत को लेकर हंगामा खड़ा हो गया है और विपक्षी नेता भी इस पर सवाल पूछने लगे हैं.

CAG Report on Dwarka-Expressway | File Photo

क्या कहती है CAG रिपोर्ट?

CAG ने द्वारका एक्सप्रेसवे के इस प्रोजेक्ट की 2017 से 2021 तक की रिपोर्ट का ऑडिट किया है. द्वारका एक्सप्रेसवे के साथ-साथ दिल्ली-वडोदरा एक्सप्रेसवे पर भी सवाल उठाए गए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, यह पूरा प्रोजेक्ट सीसीईए द्वारा स्वीकृत प्रोजेक्ट की सूची में नहीं था और एनएचएआई ने अपने स्तर पर 33,000 करोड़ रुपये खर्च किये. CAG रिपोर्ट के मुताबिक, भारतमाला प्रोजेक्ट-1 के तहत करीब 76,999 किलोमीटर लंबी सड़कें बनाई जा रही हैं. इसमें से 70,950 किमी सड़क का निर्माण एनएचएआई कर रहा है.

NHAI को लेकर कई खुलासे हुए हैं, जिनमें 50 में से 35 प्रोजेक्ट ऐसे हैं, जहां टेंडर से जुड़ी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है. उदाहरण के लिए, शामली-मुजफ्फरनगर, दिल्ली-वडोदरा एक्सप्रेसवे समेत कुछ परियोजनाएं हैं, जहां परियोजना मूल्यांकन-तकनीकी जांच समिति में नीति आयोग के किसी भी सदस्य को शामिल नहीं किया गया था.

 

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