छापेमारी के दौरान सरकारी अधिकारियों ने किया था 18 महिलाओं का रेप, अब 215 अधिकारियों को जेल की सजा

1992 Vacathi rape case: एक ही मामले में अब 215 सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को जेल की हवा खानी पड़ेगी.

1992 Vacathi rape case Full Story

1992 Vacathi rape case Full Story

30 Sep 2023 (अपडेटेड: Sep 30 2023 10:50 AM)

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1992 Vacathi rape case: एक ही मामले में अब 215 सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को जेल की हवा खानी पड़ेगी. यह मामला तमिलनाडु के वाचथी गांव का है, जहां 1992 में एक ही दिन में 18 महिलाओं को रेप का शिकार होना पड़ा था. मद्रास हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट में दोषी ठहराए गए सभी 215 सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की सजा को बरकरार रखा है. साथ ही हाई कोर्ट ने दोषी पक्षों की अपील खारिज कर दी है.

 जस्टिस पी. वेलुमुरुगन ने फैसले में कहा, "इस अदालत ने सभी पीड़ितों और गवाहों की गवाही को ठोस और विश्वसनीय पाया है. अभियोजन पक्ष ने उनकी गवाही के माध्यम से अपने मामले को साबित किया है."

क्या है पूरा मामला ? | 1992 Vacathi rape case Full Story

1992 में तमिलनाडु के आदिवासी गांव वाचाटी में अठारह महिलाओं के साथ बलात्कार का जघन्य अपराध किया गया था. उस समय, तमिलनाडु प्रशासन के सरकारी अधिकारियों ने गांव पर छापा मारा था, जिसमें कई ग्रामीणों को गंभीर पिटाई का शिकार होना पड़ा था. चंदन तस्करी अभियान में ग्रामीणों की संलिप्तता को लेकर संदेह जताया गया. उन्हें सबक सिखाने के प्रयास में, पुलिस, वन और राजस्व विभाग के अधिकारी, कई अन्य सरकारी अधिकारियों के साथ, गाँव में उतरे.

पश्चिमी तमिलनाडु के धर्मपुरी जिले में सिथेरी पर्वत की तलहटी के नीचे स्थित, वाचाटी एक गाँव है जिसमें मुख्य रूप से आदिवासी और दलित समुदाय रहते हैं. सिथेरी पर्वत अपने चंदन के पेड़ों के लिए प्रसिद्ध है.20 जून 1992 को वाचाटी की अठारह महिलाएं बलात्कार के साथ-साथ क्रूर शारीरिक हमले का शिकार हुईं. आतंक का यह राज लगातार दो दिनों तक कायम रहा.

1992 Vacathi rape case

उस मनहूस दिन पर क्या हुआ था? | 1992 Vacathi rape case Horror

वाचाती में मुख्य रूप से आदिवासी और दलित समुदाय रहते हैं

20 जून 1992 को वाचाटी में आदिवासी और दलित समुदायों के कम से कम एक सौ ग्रामीण निवासियों घर में घुसकर मारा गया और इन अधिकारियों ने कई महिलाओं के साथ बलात्कार भी किया. उनके घरों में तोड़फोड़ की गई और उनके मवेशियों को जब्त कर लिया गया.

2011 में एक विशेष ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में 269 सरकारी अधिकारियों में से 215 को दोषी पाया. पुलिस और वन विभाग के अधिकारियों को 'दलितों के ख़िलाफ़ अत्याचार' का दोषी ठहराया गया. दोषी ठहराए गए लोगों में से चौवन की मुकदमे के दौरान मृत्यु हो गई थी.

2011 में, मामले में दोषी ठहराए गए लोगों ने अपनी जेल की सजा के खिलाफ अपील दायर की. मद्रास उच्च न्यायालय अब इन अपीलों की समीक्षा करने के लिए तैयार है.

वाचाटी गांव में बरगद के पेड़ के नीचे हुई भयावह घटना को याद करते हुए, बलात्कार पीड़ितों के एक समूह ने कहा, "हमें मौखिक दुर्व्यवहार का शिकार होना पड़ा. उन अधिकारियों  ने पहले हमें पीटा और फिर हमारे साथ बलात्कार किया. हालांकि हम 30 वर्षों से न्याय के लिए लड़ रहे हैं, रक्तपात आज भी हमारे दिलो-दिमाग में ताजा है. वह दृश्य आज भी हमारे दिलो-दिमाग में बसा है"

2011 को ट्रायल कोर्ट का फ़ैसला आया

वाचाटी की घटना एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई. 1990 के दशक में, तमिलनाडु सरकार ने चंदन तस्कर वीरप्पन को पकड़ने के लिए सिथेरी पर्वत की सीमा से लगे गांवों और सत्यमंगलम के जंगलों में कई अभियान चलाए. इन अभियानों के दौरान, ग्रामीणों को अक्सर गहन पूछताछ के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के दुर्व्यवहारों का सामना करना पड़ा. 20 जून को गांव पर छापा ऐसे ही अभियान का हिस्सा था. पुलिस और वन विभाग के अधिकारियों ने गांव में प्रवेश किया और निवासियों से चंदन तस्करी अभियान के बारे में पूछताछ की.

पूछताछ के दौरान तनाव बढ़ गया, जिससे ग्रामीणों और वन विभाग के अधिकारियों के बीच हिंसक झड़प हो गई. कुछ ही घंटों में सैकड़ों पुलिस अधिकारी, वन विभाग के अधिकारी और राजस्व अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे. ग्रामीणों का दावा है कि इन व्यक्तियों ने न केवल उनके घरों में तोड़फोड़ की, बल्कि अठारह महिलाओं (नाबालिगों सहित) के साथ बलात्कार भी किया.

1995 में एफ़आईआर दर्ज हुई, इसी साल ट्रायल कोर्ट का गठन

बलात्कार पीड़िताओं में से एक, जो उस समय स्कूल जा रही थी, ने बताया कि कैसे इस घटना के कारण उसका बचपन छीन लिया गया. उसने कहा, "हमें तालाब के पास ले जाया गया. वहां से हमें रात में पुलिस स्टेशन ले जाया गया. उन्होंने हमें पूरी रात सोने नहीं दिया. जब मैंने दया की भीख मांगी और बताया कि मैं एक छात्र हूं, तो उन्होंने डांटा मुझसे पूछ रहे थे कि अच्छी पढ़ाई से मुझे क्या फायदा होगा. मेरी बहन, चाचा, चाची, मां और मुझे ये लोग सलेम जेल ले गए.''

दुर्व्यवहार की इस भयावह कहानी में महिलाओं के एक समूह के साथ बलात्कार और दूसरों के साथ की गई गंभीर पिटाई शामिल थी. नब्बे से अधिक महिलाओं और बीस बच्चों को एक महीने से अधिक समय तक कैद में रखा गया. कुछ महिलाएँ तीन महीने की कैद के बाद घर लौट आईं.

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