जौनपुर से आदित्य प्रकाश भारद्वाज और सुल्तानपुर से नितिन श्रीवास्तव के साथ संतोष शर्मा की रिपोर्ट
बाइक ने उधेड़ दी UP STF की एनकाउंटर थ्योरी, पकड़ा गया मंगेश यादव के एनकाउंटर में पुलिस का खेल
मंगेश यादव का एनकाउंटर UP STF के लिये गले की ऐसी हड्डी साबित हुआ है जो न निगलते बनती है और न गले से नीचे उतरती है। ताजा सवाल है उन मोटरसाइकिलों से जुड़ा जिनके बीच मंगेश के एनकाउंटर की थ्योरी घूम रही है। पहली बाइक वो जिस पर एनकाउंटर के वक्त मंगेश भाग रहा था। बाइक नंबर दो और तीन वो जिन पर शो रूम के बाहर लुटेरे सीसीटीवी कैमरे में नजर आ रहे हैं। और बाइक नंबर चार वो जिसकी चोरी की FIR पुलिस ने दर्ज की है। इन मोटरसाइकिलों से जुड़े सवाल अहम हैं क्योंकि इन्हीं सवालों के जवाब में छुपा है मंगेश यादव के एनकाउंटर का बड़ा सवाल।
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• 08:29 PM • 11 Sep 2024
Sultanpur:मंगेश यादव के एनकाउंटर के ठीक बाद की ये तस्वीरें जरा गौर से देखिये। जमीन पर गिरी जो मोटरसाइकिल दिखाई दे रही है ये वही है जिस पर बकौल यूपी एसटीएफ मंगेश यादव अपने साथी के साथ भाग रहा था। और दाईं तरफ दूसरी तस्वीर है 28 अगस्त की दोपहर ठीक उस वक्त की जब सुल्तानपुर के भरत ज्वेलर्स में डाका पड़ा था। दुकान के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे में ये दोनों बाइक कैद हो गई हैं। ये दोनों बाइक वही हैं जिन पर सवार हो कर पांचों लुटेरे यहां डाका डालने पहुंचे थे। इनसे अलग एक और मोटरसाइकिल है जिसकी चोरी की एफआईआर 20 अगस्त को हुई थी, लेकिन एफआईआर 8 दिन बाद 28 अगस्त की रात 8 बज कर 11 मिनट पर दर्ज हुई। यानी सुल्तानपुर में भरत ज्वेलर्स के यहां डाका पड़ने के लगभग आठ घंटे बाद।
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मोटरसाइकिल में उलझी मंगेश के एनकाउंटर की गुत्थी
अब सवाल है कि जिस मोटरसाइकिल पर मंगेश यादव भाग रहा था और भागते हुए उसका एनकाउंटर हुआ, वो मोटरसाइकिल किसकी है? और ये जो शो रूम के बाहर लुटेरों की दो मोटरसाइकिल नजर आ रही हैं, ये किसकी हैं? और मोटरसाइकिल की जिस चोरी की एफआईआर दर्ज की गई है, उसका इस लूट से क्या ताल्लुक है? तो चलिए सिलसिलेवार तरीके से आपको इन तमाम सवालों के जवाब देते हैं। और इन्हीं जवाबों में छुपा है मंगेश यादव के एनकाउंटर का बड़ा सवाल। मगर इन सवालों के जवाब देने से पहले इस कहानी से जुड़े एक और अहम किरदार के बारे में बताते हैं। ये किरदार है नसीम। सुल्तानपुर के कादीपुर इलाके के रहने वाले नसीम 20 अगस्त को अपनी मां मदीना खातून को जौनपुर के पार्थ अस्पताल में हड्डी के डॉक्टर, डॉ सुभाष सिंह को दिखाने गए थे। अपनी मोटरसाइकिल अस्पताल के बाहर ही पार्क कर दी थी। थोड़ी देर बाद आकर देखा तो मोटरसाइकिल गायब थी। जिस दिन ये मोटरसाइकिल चोरी हुई थी, उस दिन से लेकर अगले कई दिनों तक चोरी की रिपोर्ट लिखाने ये लगातार कोतवाली थाने के चक्कर काटते रहे। लिखित शिकायत भी दी। यहां तक कि मोटरसाइकिल चोरी होने के फौरन बाद 112 पर नंबर पुलिस को फोन भी किया। लेकिन क्या मजाल जो पुलिस रिपोर्ट लिख लेती? और कमाल देखिए जब इन्होंने उम्मीद छोड़ दी, तब खुद पुलिस वाले इनके घर पर दस्तक देते हैं और बड़ी इज्जत से कहते हैं, चलो, तुम्हारी मोटरसाइकिल की चोरी की एफआईआर लिख लेते हैं।
रातों रात लिखी बाइक चोरी की FIR का राज़
तो सुना आपने? मोटसाइकिल चोरी हुई 20 अगस्त को नसीम ने 112 नंबर पर भी पुलिस को कॉल किया। कोतवाली के चक्कर भी काटे पर रिपोर्ट नहीं लिखी गई। नसीम थाने के चक्कर काट काट कर जब परेशान हो गया, तो फिर थाने जाना ही छोड़ दिया। उसने मान लिया था कि अब मोटरसाइकिल दोबारा नहीं मिलेगी। लेकिन तभी 28 अगस्त को सुल्तानपुर के भरत ज्वेलर्स के यहां डाका पड़ता है।एसटीएफ मामले की जांच करती है। ये डाका 28 अगस्त की दोपहर करीब साढ़े 12 बजे पड़ा था। और ठीक उसी दिन यानी 28 अगस्त की रात 8 बज कर 11 मिनट पर अचानक नसीम की चोरी हुई मोटरसाइकिल की एफआईआर दर्ज हो जाती है। है न कमाल?? ये उसी एफआईआर की कॉपी है। इसमें दर्ज तारीख और वक़्त आप खुद देख लीजिए। पर इस एफआईआर की खास बात ये है कि पुलिस ने इसमें कहीं ये नहीं लिखा है कि नसीम लगातार थाने के चक्कर काटता रहा और उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई। एफआईआर में सीधे सपाट बस यही लिखा गया कि 20 अगस्त की दोपहर दो बजे मोटरसाइकिल चोरी हुई थी और अब उसका मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
पुलिस की बनाई कहानी में दर्जनों छेद
तो एफआईआर तो आपने देख ली। लेकिन अचानक इसके दर्ज होने के पीछे की कहानी भी जान लीजिए। दरअसल, सुल्तानपुर में हुए लूटपाट के बाद जौनपुर के पुलिस वाले नसीम के घर पहुंचे। फिर उसे अपने साथ ले गए। 28 अगस्त की पूरी रात नसीम पुलिस वालों के साथ था। फिर 29 अगस्त की दोपहर वो घर लौटा। लेकिन 29 अगस्त की शाम पुलिस उसे फिर से अपने साथ ले गई। और रात को छोड़ दिया। अब सवाल ये है कि जिस मोटरसाइकिल की चोरी की रिपोर्ट लिखाने के लिए नसीम लगातार थाने के चक्कर काटता रहा, आनन-फानन में ऐन सुल्तानपुर में हुए डाके के बाद उसकी रिपोर्ट क्यों और किस मकसद से लिखी गई? तो इसकी भी दो कहानी है। पहली कहानी पुलिस की है। पुलिस की कहानी के मुताबिक भरत ज्वेलर्स में डाके के लिए पांच लुटेरे दो अलग-अलग मोटरसाइकिल पर आए थे। शो रूम के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे में वो दोनों मोटरसाइकिल साफ नजर आ रहे हैं। लूटपाट के बाद दो लुटेरे एक मोटरसाइकिल पर और तीन लुटेरे दूसरी मोटरसाइकिल पर मौके पर फरार होते हुए नजर आते हैं। दोनों ही मोटरसाइकिल पर कोई नंबर प्लेट नहीं है। कम से कम आगे की तरफ तो बिल्कुल नहीं। पीछे का नंबर प्लेट कैमरे में कैद नहीं है। आगे वाली मोटरसाइकिल के दायीं तरफ डिग्गी लगा हुआ है। हालांकि एकाउंटर के बाद की जो मोटरसाइकिल की तस्वीर है, उसमें कोई डिग्गी नहीं है। लिहाजा बहुत मुमकिन है कि लूटपाट के लिए इस्तेमाल किए गए दोनों मोटरसाइकिल में से एक मोटरसाइकिल वही हो, जो 20 अगस्त को चोरी हुई थी। यानी नसीम की मोटरसाइकिल।
एनकाउंटर के सवाल पर क्यों खामोश है यूपी पुलिस
अगर पुलिस की ये कहानी सही है तो मतलब साफ है कि मोटरसाइकिल की इंजन और चेसिस नंबर के ज़रिए वो इसके मालिक यानी नसीम तक पहुंचे और फिर आनन-फानन में 28 अगस्त की रात को ही मोटरसाइकिल की चोरी की रिपोर्ट दर्ज कर ली। जिसके लिए नसीम 8 दिनों से भटक रहा था। अब आइए एक बार फिर से उस बाइक पर नजर डालते हैं, जिस पर भागते हुए मंगेश का एनकाउंटर हुआ था। ये वो बाइक नहीं है, जो नसीम की थी। जो 20 अगस्त को जौनपुर के अस्पताल से चोरी हुई थी। नसीम की बाइक ग्रे कलर की है। ये वो बाइक है, जो 28 अगस्त की दोपहर लूटपाट के दौरान शो-रूम के बाहर आगे ख़ड़ी हुई थी। जिस पर ये दो लुटेरे लूट के माल के साथ भाग रहे हैं। इस बात की पुष्टि खुद नसीम ने आजतक से की। तो फिर सवाल है कि एनकाउंटर में जो मोटरसाइकिल दिखाई गई है, वो किसकी है? और क्या ये वही बाइक है, जो सीसीटीवी कैमरे में शो रूम के बाहर कैद हुई और जिस पर ये तीन लुटेरे भाग रहे हैं? फिलहाल इस बारे में यूपी पुलिस खामोश है।
मंगेश के पास नहीं थी कोई मोटरसाइकिल
अगर लूटपाट के दौरान सचमुच नसीम की ही बाइक का इस्तेमाल हुआ और उसी बाइक पर मंगेश यादव का एनकाउंटर.. तो फिर सवाल ये है कि क्या 20 अगस्त को जौनपुर के पार्थ अस्पताल से मंगेश यादव ने ही नसीम की मोटरसाइकिल चुराई थी? अगर हां, तो फिर अगले आठ दिनों तक यानी 28 अगस्त तक ये मोटरसाइकिल किसके पास थी? मंगेश की बहन का दावा है कि मंगेश के पास कोई मोटरसाइकिल नहीं थी। 28 अगस्त की सुबह जब वो मंगेश के साथ फीस जमा करने स्कूल गई थी, तब मंगेश ने अपने एक पड़ोसी से उसकी बाइक मांगी थी। जिस पर वो दोनों स्कूल गए थे। और लौटने के बाद बाइक पड़ोसी को लौटा दी थी।
सीसीटीवी में कैद है बाइक की चोरी
क्राइम तक से फोन पर बातचीत के दौरान नसीम ने बताया कि 20 अगस्त की दोपहर जब उसकी बाइक चोरी हुई, तब उसने खुद अस्पताल के सीसीटीवी कैमरे में बाइक चुराते तीन लड़कों को देखा। ये तीनों लड़के उसी मोटरसाइकिल के करीब खड़े थे और फिर मोटरसाइकिल लेकर चले गए। लेकिन सीसीटीवी फुटेज इतनी धुंधली है कि ये पता नहीं चल रहा है कि वो लड़के कौन हैं। नसीम के मुताबिक एनकाउंटर की खबर के बाद उसने मंगेश यादव की तस्वीर मीडिया में देखी थी। लेकिन सीसीटीवी फुटेज की धुंधली इमेज की वजह से वो ये नहीं बता सकता कि उन तीन लड़कों में मंगेश यादव था या नहीं।
बुरी तरह उलझी है चोरी गई बाइक की कहानी
अब यहां सवाल ये है कि पुलिस को कैसे पता चला कि नसीम की चोरी की बाइक का इस्तेमाल शो रूम लूटने में किया गया? यहां भी कहानी बड़ी अजीब है। खुद नसीम के मुताबिक यूपी पुलिस या एसटीएफ ने अब तक उसे उसकी मोटरसाइकिल नहीं दिखाई है। ना ही ये बताया है कि उसकी मोटरसाइकिल कब और कहां से बरामद हुई। आज तक से फोन पर बातचीत के दौरान नसीम ने कहा कि पुलिस ने सिर्फ इतना बताया कि लूटपाट के दिन एक मोटरसाइकिल सुल्तानपुर में ही लावारिस खड़ी मिली थी। जिसके बाद पुलिस की टीम नसीम के घर पहुंची थी। यानी कुल मिलाकर, नसीम की मोटरसाइकिल की कहानी बुरी तरह से उलझी हुई है। हद तो ये है कि यूपी पुलिस के दस्तावेज में नसीम की मोटरसाइकिल की बरामदगी अब भी नहीं दर्ज है।
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