UP News: बरेली के संजयनगर में रहने वाले मुरारीलाल, जिसे लोग प्यार से छन्नू यादव कहते थे, का जीवन एक गहरे दुख में डूब गया था. एक महीने पहले ही, उसकी पत्नी सुमन की बीमारी के चलते मौत हो गई थी, और उसके बाद से मुरारीलाल के लिए जीवन का कोई मतलब नहीं रह गया था. सुमन के बिना वह बिल्कुल टूट गया था. 22 साल की शादीशुदा जिंदगी में वे कभी भी एक-दूसरे से अलग नहीं हुए थे. सुमन की मौत के बाद, मुरारीलाल ने घर से बाहर निकलना बंद कर दिया था.
22 साल तक साथ रहा, उसके बिना नहीं रह सकता, वीडियो बनाकर बयां किया प्यार भरा दर्द, पति-पत्नी की ये कहानी रुला देगी
UP News: बरेली के संजयनगर में रहने वाले मुरारीलाल, जिसे लोग प्यार से छन्नू यादव कहते थे, का जीवन एक गहरे दुख में डूब गया था. एक महीने पहले ही, उसकी पत्नी सुमन की बीमारी के चलते मौत हो गई थी, और उसके बाद से मुरारीलाल के लिए जीवन का कोई मतलब नहीं रह गया था.
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11 Aug 2024 (अपडेटेड: Aug 11 2024 4:24 PM)
पत्नी की मौत के गम में पति ने जान दी
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शुक्रवार की रात, जब दुनिया सो रही थी, मुरारीलाल अपने कमरे में अकेला बैठा था. उसने एक वीडियो बनाया, जिसमें वह रोते हुए अपनी भावनाओं को बयां कर रहा था. "मैं सुमन के बिना नहीं रह सकता," उसने कहा "उसकी बहुत याद आ रही है, 22 सालों में हम कभी अलग नहीं हुए. मुझे माफ कर देना." वीडियो में उसने अपने परिवार के लिए कुछ अंतिम बातें भी कही. "लॉकर में 10 हजार रुपए रखे हैं. उन पैसों से मेरा अंतिम संस्कार कर देना. हमारी अस्थियां एक साथ बहा देना. सब लोग खुश रहना."
रोते हुए वीडियो बनाया
मुरारीलाल ने अपने कमरे में पंखे से फांसी लगा ली. जब पुलिस वहां पहुंची, तो देखा कि उसका शरीर फंदे से लटक रहा था. कमरे में एक सुसाइड नोट भी मिला, जिसमें लिखा था, "मैं सुमन के बिना जिंदा नहीं रह सकता...मुझे माफ कर देना."ॉ
22 साल तक साथ रहा, उसके बिना नहीं रह सकता
मुरारीलाल का जीवन पहले बेहद साधारण था. वह पतंग बनाने का काम करता था, और उसकी पत्नी सुमन घर पर 50-60 बच्चों को कोचिंग पढ़ाती थी. लेकिन जब सुमन बीमार पड़ी और दो अस्पतालों में इलाज के बावजूद उसकी मौत हो गई, तो मुरारीलाल का जीवन पूरी तरह बदल गया. वह अक्सर अपने भाई से कहता, "अब मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है. मैं भी सब कुछ छोड़कर चला जाऊंगा."
पड़ोसी ने बताया कि सुमन की मौत के बाद से मुरारीलाल ने जीने की वजह खो दी थी. वह बार-बार कहता, "अब जीने का कोई फायदा नहीं है." और अंत में, उसने वह कर दिखाया जो उसके दिल में था. मुरारीलाल की अंतिम इच्छा थी कि वह और सुमन हमेशा के लिए एक साथ रहें, और शायद इसलिए उसने अपना जीवन समाप्त कर लिया, ताकि वह अपने जीवनसाथी के पास जा सके.
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