पिता की अर्थी को कंधा दे श्मशान तक पहुंचाया, मुखाग्नि देने से ठीक पहले बेटे की भी हुई मौत, बिलख पड़ा गांव

News: नियति का खेल कभी-कभी इतना क्रूर होता है कि इंसान उसके आगे बेबस हो जाता है. राजस्थान के ब्यावर जिले के जालियां द्वितीय गांव में एक ऐसी ही दर्दनाक घटना घटी है, जिसने पूरे गांव को शोक में डुबो दिया. य

श्मशान में पिता को मुखाग्नि देने से पहले बेटे की मौत

श्मशान में पिता को मुखाग्नि देने से पहले बेटे की मौत

• 05:12 PM • 04 Sep 2024

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News: नियति का खेल कभी-कभी इतना क्रूर होता है कि इंसान उसके आगे बेबस हो जाता है. राजस्थान के ब्यावर जिले के जालियां द्वितीय गांव में एक ऐसी ही दर्दनाक घटना घटी है, जिसने पूरे गांव को शोक में डुबो दिया. यहां एक बेटे ने अपने पिता की अर्थी को कंधा देकर श्मशान तक पहुंचाया, लेकिन नियति का ऐसा क्रूर मजाक हुआ कि वह अपने पिता को मुखाग्नि देने से पहले ही उनके सदमे में अचेत हो गया और बाद में उसकी भी मौत हो गई. इस घटना से गांव के हर व्यक्ति की आंखें नम हो गईं, जिसने भी इस घटना के बारे में सुना वह स्तब्ध रह गया.

पिता की मौत के सदमे में बेटा भी हुआ अचेत

यह घटना 2 सितंबर की है, जब ब्रह्मपुरी मोहल्ले में रहने वाले वृद्ध राधा कृष्ण नागला का निधन हो गया. उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को होना तय हुआ. राधा कृष्ण नागला के बेटे महावीर प्रसाद पर पिता की मौत का गहरा सदमा था. वह पिता की अर्थी को श्मशान तक लेकर गया, लेकिन श्मशान के पास पहुंचते ही अचानक वह अचेत होकर गिर पड़ा. इस अप्रत्याशित घटना से वहां मौजूद सभी लोग हैरान रह गए और तुरंत महावीर को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां से उसे विजयनगर के सरकारी अस्पताल रेफर कर दिया गया. इलाज के दौरान महावीर ने दम तोड़ दिया.

श्मशान में पिता को मुखाग्नि देने से पहले बेटे की मौत

गांव में इस घटना की खबर फैलते ही सब लोग स्तब्ध रह गए. कोई भी इस दर्दनाक घटना पर विश्वास नहीं कर पा रहा था. इस घटना से न केवल राधा कृष्ण नागला के परिवार, बल्कि पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई. राधा कृष्ण के अंतिम संस्कार के तुरंत बाद, उनके बेटे महावीर का भी अंतिम संस्कार किया गया। इस तरह, एक ही दिन में परिवार ने दो अपनों को खो दिया.

गांव में शोक की लहर, हर आंख हुई नम

महावीर प्रसाद पर परिवार की पूरी जिम्मेदारी थी, क्योंकि चार साल पहले ही उसके भाई राजकुमार की मौत हो चुकी थी. अब परिवार में सिर्फ महावीर और राजकुमार की पत्नियां और उनके बच्चे ही बचे हैं. इस घटना ने पूरे गांव को हिलाकर रख दिया और परिवार पर गहरा असर छोड़ा है.

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