मैं बोलूंगा तो होगी फांसी, अपने हाथ से आतंकवादी पकड़ने वाले धर्मा ने दी बड़े अफसरों को सीधी चुनौती..

धर्मा का सीधा आरोप है कि उसने खुद एक आतंकी को पकड़ कर पुलिस को सौंपा, इसके बावजूद मामले में उसकी गवाही नहीं ली गई। इसके अलावा जांच एजेंसियों ने पैसे लेकर केस कमजोर किया इसीलिए आतंकवादी को फांसी नहीं हो पाई। धर्मा का दावा है कि अगर अब भी उसे मौका दिया जाए तो वो आतंकवादियों को फांसी के तख्ते तक पहुंचा सकता है।

CrimeTak

• 07:00 PM • 12 Sep 2024

follow google news

Patna:िंदुस्तान में वर्दी वालों को छोड़ दें तो ऐसे आम लोग कम ही होंगे जिनका वास्ता आतंकवादियों से पड़ा हो। उसमें भी ऐसे लोग विरले ही होंगे जिन्होंने किसी आतंकवादी को अपने हाथ से पकड़ा हो। जी हां, पर ऐसे लोगों की भी कमी नहीं जो देश और समाज की खातिर अपनी जान पर खेल कर आतंकवादियों से भी दो-दो हाथ करने में परहेज नहीं करते। इन्हीं में से एक हैं धर्मनाथ यादव। धर्मनाथ यादव उर्फ धर्मा पटना रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करते हैं। लेकिन अब इनकी पहचान ये है कि इन्होंने बिना किसी हथियार, बस अपनी बाजुओं के दम पर, एक आतंकवादी को पकड़ा है। न सिर्फ उसे पकड़ा बल्कि पकड़ कर पुलिस के हवाले भी कर दिया।

अकेले पकड़ लिया था भागता आतंकवादी 

ाकया है 27 अक्टूबर 2013 का। पटना के गांधी मैदान में बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की रैली थी। उस वक्त तक 2014 में होने वाले लोक सभा चुनावों को लेकर राजनीतिक माहौल जोर पकड़ चुका था। सुबह सवेरे का वक्त था जब लोग रैली स्थल की ओर कूच कर रहे थे। जहां बड़ी तादाद में लोग बसों पर चढ़ कर सड़क के रास्ते गांधी मैदान जा रहे थे वहीं बहुत से लोग रेल के जरिये भी पटना पहुंच रहे थे। तभी सुबह 9:30 बजे के आसपास पटना रेलवे स्टेशन के पब्लिक टॉयलेट में एक धमाका होने से अफरातफरी मच गई। लोग धमाके वाली जगह से दूर भाग रहे थे लेकिन प्लेटफॉर्म पर कुली का काम करने वाले धर्मनाथ यादव उर्फ धर्मा उसी दिशा में भागे जहां से धमाके की आवाज आई थी। मौके पर पहुंच कर धर्मा ने देखा कि एक शख्स मौके से तेजी से बाहर की ओर भाग रहा है। उसकी कमर पर विस्फोटक भी बंधे थे। धर्मा को समझते देर नहीं लगी कि बम धमाक के पीछेसी शख्स का हाथ है। बस जान की परवाह किए बगैर धर्मा ने उसे पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया।

हाईकोर्ट ने पलटा फांसी का फैसला

मगर इस घटना के 11 साल बाद आज धर्मनाथ यादव बेहद नाराज हैं। वजह है बुधवार यानी 11 सितंबर को पटना हाईकोर्ट से आया एक फैसला जिसने उन्हें जुबान खोलने पर मजबूर कर दिया है। दरअसल 2013 पटना सीरियल ब्लास्ट केस में सुबह से शाम तक पटना शहर में कुल 8 बम धमाके हुए थे जिनमें 6 लोगों ने अपनी जान गंवाई और 80 से ज्यादा जख्मी हुए। इसी मामले में घटना के 11 साल बाद अदालत ने आरोपी आतंकवादियों को मिली मौत की सजा बदल कर उन्हें उम्र कैद की सजा सुना दी है। धर्मनाथ यादव का आरोप है कि ऐसा एनआईए यानी नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के अधिकारियों के भ्रष्ट रवैये से हुआ है।

"पैसे लेकर नहीं देने दी गवाही"

धर्मनाथ यादव का आरोप है कि अपनी जान जोखिम में डालकर जिन आतंकवादियों को उन्होंने पकड़ा था, उनके खिलाफ जांच एजेंसियों ने पैसे लेकर उन्हें गवाही नहीं देने दी। और इसी वजह से आतंकवादियों को फांसी की सजा के बजाए उम्र कैद की सजा दी जा रही है। धर्मा का सीधा आरोप है कि आतंकी हमले का चश्मदीद होने के साथ-साथ उसने खुद एक आतंकवादी को पकड़ कर पुलिस को सौंपा, इसके बावजूद मामले में उसकी गवाही नहीं ली गई। इसी के चलते केस अदालत में जाकर कमजोर पड़ गया।

NIA और विजिलेंस के खिलाफ ठोका केस

धर्मनाथ यादव ये भी दावा करते हैं कि उन्होंने अपनी गवाही देने के लिये कम से कम 20 बार जांच एजेंसियों को लिखा लेकिन इसके बावजूद उनके कान पर जूं तक नहीं रेंगी। मगर धर्मनाथ यादव भी मानने वाले कहां थे। उन्होंने गवाही की दर्ख्वास्त खारिज होने के बावजूद अपना मोर्चा नहीं छोड़ा और एनआईए और विजिलेंस के खिलाफ हाईकोर्ट में केस दायर कर दिया। यहां भी उन्होंने जांच एजेंसियों पर सीधा-सीधा इल्जाम लगाया कि उन्होंने केस को कमजोर करने के लिये पैसे लिये हैं। ये दावा करते हुए धर्मनाथ यादव ये भी बताते हैं इस मामले में गवाही से पीछे हटने के एवज में खुद उन्हें फोन के जरिये पाकिस्तान से 50 लाख रुपये का ऑफर आया था जिसे उन्होंने फौरन ठुकरा दिया।

आतंकी पकड़ा तो मिली जान की धमकी

िलचस्प बात ये है कि धर्मनाथ यादव की बहादुरी का किस्सा आम होने के बाद उन्हें धमकियां मिलने लगीं। बल्कि 2016 में तो उनके ऊपर जानलेवा हमला भी हुआ। इसी के मद्देनजर काफी मशक्कत के बाद उन्हें सुरक्षा दी गई मगर धर्मा की नाराजगी अब भी कायम है। वो कहते हैं कि जांच एजेंसियों ने ये केस कमजोर कर दिया वरना आतंकवादियों को फांसी की सजा से कम कुछ नहीं मिलता। इसे लेकर धर्मा ने कोर्ट में हलफनामा भी दिया है कि इस मामले में उनकी गवाही तुरंत ली जाए। धर्मनाथ यादव का कहना है कि उन्होंने आतंकी इम्तियाज अंसारी को शौचालय से पकड़ा था जिसके बाद कड़ी से कड़ी जोड़ कर एजेंसियों ने बाकी आतंकवादियों की गिरफ्तारी की।

"मारा गया तो अफसर होंगे जिम्मेदार"

धर्मा को दूसरी नाराजगी रेलवे के आला अफसरों से है। उनका कहना है कि देश के लिये अपनी जान पर खेल जाने के बावजूद जीएम और डीआरएम सरीखे अफसरों ने आवेदन के बावजूद न तो उन्हें घर देने की जहमत की न ही पक्की नौकरी या दुकान देने का कोई इंतजाम किया। इस बाबत वो रेल मंत्री को भी लिख चुके हैं लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया है। धर्मनाथ यादव कहते हैं कि आतंकवादियों के खिलाफ खड़े होने को लेकर उन्हें कई बार धमकियां मिल चुकी हैं, ऐसे में अगर उनका अपहरण होता है या उन्हें जान से मारने के लिये उन पर कोई हमला होता है तो उसके जिम्मेदार रेलवे के यही आला अफसर होंगे।

    यह भी पढ़ें...
    follow google newsfollow whatsapp