Mira Road Murder: नीलगिरी तेल की पांच छोटी बोतल
एक टाइल कटर
एक हथौड़ा
200 वोल्ट का एक वुड कटर
एक प्रेशर कुकर जिसमें लाश के कुछ टुकड़े
दो स्टील का चम्मच जिस पर मांस के लोथड़े चिपके हुए
प्लास्टिक की दो बाल्टी जिसमें उबाल कर रोस्ट किए गए इंसानी अंग
प्लास्टिक का एक टब जिसमें लाश के कुछ टुकड़े
तांबे का एक तवा जिसमें रोस्ट किए हुए लाश के कुछ टुकड़े
प्लास्टिक की एक थैली
रूम फ्रेशनर
बालों की चोटी का एक गुच्छा
और हां...
फ्रिज बिल्कुल साफ
मुंबई के किचन से निकल कर आया प्यार का उबलता-भुनता हुआ सच, सुनने के लिए भी चाहिए हिम्मत
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10 Jun 2023 (अपडेटेड: Jun 10 2023 10:50 AM)
Mira Road Murder: मुंबई के मीरा रोड का वो सच जिसे सुनकर हो जाएंगे हैरान, जहां किचन से निकल कर आया खूनी का खौफनाक चेहरा.
Mumbai Murder: मुंबई में ठाणे की मीरा रोड पर मौजूद गीता आकाशदीप अपार्टमेंट की सातवीं मंजिल के फ्लैट नंबर 704 से कुल मिलाकर यही सारे सामान बरामद हुए। और इन्हीं सारे सामान में छुपी है हैवानियत, दहशत, वहशत और दरिंदगी की वो कहानी जो टुकड़ों में अब देश के अलग-अलग शहरों से किश्तों में सामने आ रही है। दिल्ली की श्रद्धा और आफताब पूनावाला को अखबारों और टीवी के जरिए पूरे देश ने देखा। ज्यादातर ने देखा पर उनमें से कुछ ने आफताब का आइडिया चुरा लिया। और इन्हीं में से एक है 56 साल का मनोज साने। इस मनोज साने की श्रद्धा बनी 34 साल की सरस्वती वैद्य। सामान की लिस्ट आपने देख ली। अब चलिए पूरी कहानी जानते हैं।
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मुंबई के ठाणे में मौजूद ये गीता आकाशदीप अपार्टमेंट है। इस अपार्टमेंट की हर मंजिल पर चार फ्लैट हैं। सातवीं मंजिल पर भी चार ही फ्लैट थे। फ्लैट नंबर 701 702, 703 और 704. फ्लैट नंबर 704 लिफ्ट के बिल्कुल करीब था। इस 704 नंबर फ्लैट में 56 साल का मनोज साने 34 साल की सरस्वती वैद्य के साथ रहता था। पिछले चार सालों से। फ्लैट का किराया था 10 हजार रुपये महीना। बात 5 जून यानी सोमवार की है। फ्लैट नंबर 703 में रहनेवाले सोमेश श्रीवास्तव ने महसूस किया कि लिफ्ट के करीब बदबू आ रही है। इसके बाद 701 और 702 नंबर फ्लैट में रहनेवाले लोगों ने भी तेज बदबू महसूस करना शुरू कर दिया। शुरू में सभी को लगा कि शायद कोई चूहा वगैरह मर गया है। और बदबू उसी से आ रही है। सबने अपने अपने फ्लैट से लेकर छत तक को खंगाल डाला। लेकिन कुछ नहीं मिला। पर बदबू अब और तेज होती जा रही थी। मंगलवार को बदबू और तेज हो गई। लेकिन बदबू का सोर्स पता नहीं चल रहा था। सातवीं मंजिल के तीनों पड़ोसी आपस में घुले-मिले थे। सबने एक दूसरे से बात की। लेकिन फ्लैट नंबर 704 में रहनेवाले कपल से किसी की बात नहीं हुआ करती थी। दोनों कभी फ्लैट से बाहर भी एक साथ नहीं निकलते थे। सोसायटी के किसी फंक्शन या धार्मिक समारोह में भी हिस्सा नहीं लेते थे।
Mira Road Murder Full story: अब बुधवार आ चुका था। बदबू अब बर्दाश्त के बाहर थी। ऊपर से अब सोसायटी का डेनेज सिस्टम भी चोक हो गया था। यानी नालियां बंद थी। इस बदबू का सबसे ज्यादा असर फ्लैट नंबर 703 पर पड़ रहा था। फ्लैट में रहनेवाले सोमेश ने बुधवार की शाम फ्लैट नंबर 704 के दरवाजे पर दस्तक देनी शुरू की। इस फ्लैट में कोई डोरबेल नहीं था। सोमेश जब दरवाजे पर खड़ा था, तब उसे तेज बदबू आ रही थी। फिर उसने महसूस किया कि अचानक फ्लैट के अंदर से रूम फेशनर की खुशबू आ रही है। उसी पल सोमेश को कुछ शक हुआ। आफताब श्रद्धा की कहानी सोमेश भी सुन चुका था। सोमेश को तो जब सोमवार को पहली बार फ्लैट नंबर 704 से बदबू आई, तभी से श्रद्धा की कहानी जेहन में कौंध गई थी।
सोमेश के ये कहने पर भी कि बदबू उसी के फ्लैट से आ रही है मनोज ने ये कह कर कि वो अभी जल्दी में है, शाम को आकर चेक कर लेगा, सोमेश का शक यकीन में बदल गया। इसी के बाद वो बिल्डिंग की सोसायटी के जिम्मेदार लोगों के पास पहुंचा और उन्हें सारी बात बता दी। सोसायटी के लोगों को भी आफताब श्रद्धा की कहानी मालूम थी। लिहाजा बिना देरी किए हुए उन्होंने पुलिस को फोन कर दिया। पुलिस फौरन मौके पर पहुंची। दरवाजे का ताला तोड़ा। दरवाजा खोल दिया। दरवाजा खोलते ही जो तेज बदबू बाहर आई, उसी पल हरेक का शक यकीन में बदल चुका था। पुलिस अब अंदर दाखिल होती है। लेकिन अंदर बेड खाली। वॉशरूम साफ। फर्श साफ सूथरा। सिवाय बदबू के कोई ऐसी चीज नहीं मिली, जिससे शक यकीन में बदलता। मगर फिर तभी पुलिस के कदम घर के किचन की तरफ बढे। और इसके साथ ही सबकुछ साफ हो गया। सारे सबूत एक साथ किचन में ही मिले। और सबसे ज्यादा बदबू भी इसी किचन में मिली।
Vardaat Full story: किचन का मंजर दहला देनेवाला था। पुलिस और पड़ोसियों की नजर सबसे पहले किचन में रखी प्लास्टिक की दो बाल्टियों पर पडी। बाल्टी में पानी में मांस के लोथडे तैर रहे थे। पहली नजर में देख कर कोई ये बता ही नहीं सकता था कि मांस किसके हैं। फिर तभी प्लास्टिक के टब पर नजर पडी। मामला साफ हो गया। टब में दो इंसानी पैर कटे हुए पडे थे। इसके बाद स्टोव पर रखे तांबे के एक तवे पर पुलिस की नजर गई। तवे पर मांस के कुछ टुकडे थे। दो स्टील के चम्मच रखे थे, उससे भी मांस के टुकडे लिपटे हुए थे। पर अब भी ये साफ नहीं था कि लाशों के ये टुकडे किसके हैं? तभी बेडरूम की तलाशी लेने पर एक कोने से बालों की कटी हुई एक चोटी मिली। अब साफ हो चुका था कि लाश के टुकडे किसी महिला के हैं। और इस फ्लैट में सिर्फ एक महिला रहती थी। सोमेश का शक सच साबित हो चुका था। मनोज साने इस फ्लैट का आफताब था और साने के साथ रहनेवाली सरस्वती वैद्य श्रद्धा। अभी जब पुलिस फ्लैट के अंदर ही थी, तभी इस बात से बेखबर मनोज अपार्टमेंट में दाखिल होता है। पुलिस को देख कर वो वापस भागने लगता है। मगर तभी पडोसी उसे पहचान जाते हैं। इसके बाद उसे पकड लिया जाता है।
मनोज अब पुलिस की गिरफ्त में था। और कहानी सुना रहा था। कुछ झूठी। कुछ सच्ची। ये झूठी सच्ची कहानी, कुछ यूं थी…
Manoj Sane full story: इंडस्टियल टेनिंग इंस्टीट्यूट से पास मनोज साने अहमद नगर का रहनेवाला है। दस साल पहले दो साल के अंदर मां-बाप दोनों की मौत हो चुकी थी। तभी से मनोज अकेले रहा करता था। मनोज का बोरीवली इलाके में अपना फ्लैट है। मां-बाप की मौत के बाद उसने ये फ्लैट 35 हजार रुपये महीने किराये पर चढ़ा दिया और खुद मीरा रोड में गीता आकाशदीप अपार्टमेंट के जी विंग में एक फ्लैट में रहने लगा। इस फ्लैट का किराया था 10 हजार रुपये। मनोज बोरीवली में ही राशन की एक दुकान में काम करता था। तनख्वाह थी 5 हजार रुपये। उधर, सरस्वती भी अहमद नगर की रहनेवाली थी। सरस्वती कुल पांच बहन है। मां-बाप अलग रहते थे। मां की मौत के बाद सरस्वती अपनी बहनों के साथ एक अनाथ आश्रम में रहने लगी। 2008 में वो मुंबई आई। मुंबई में बोरीवली के उसी राशन की दुकान में सरस्वती की मुलाकात पहली बार मनोज से हुई। चूंकि दोनों अहमदनगर के थे, इसलिए जल्द ही दोनों में दोस्ती हो गई। फिर दोनों में प्यार हो गया। इसके बाद सरस्वती अब मनोज के साथ गीता आकाशदीप अपार्टमेंट में लिव-इन में साथ रहने लगी।
Mira road killing: वक्त बीतने के साथ दोनों ने शादी करने का फैसला किया। हालांकि दोनों की उम के बीच काफी फर्क था। बाद में दोनों ने चुपचाप मंदिर में शादी कर ली। इस बात की खबर सिर्फ सरस्वती की बहनों को थी। यहां तक कि सरस्वती जब अपने पुराने अनाथ आश्रम जाती, तो वहां लोगों को मनोज को अपना मामा कह कर मिलाती थी। सरस्वती अब फिर से पढ़ाई करना चाहती थी। वो दसवीं का इम्तेहान देना चाहती थी। मनोज उसे खुद मैथ पढ़ा रहा था। फ्लैट नंबर 704 की एक दीवार पर एक बोर्ड भी मिला, जिस पर मैथ के कुछ सवाल लिखे थे। अब सवाल ये कि सरस्वती की मौत कैसे हुई? तो पुलिस सूत्रों के मुताबिक अब तक की पूछताछ में मनोज यही कह रहा है कि सरस्वती ने जहर खा कर खुदकुशी की है। उसका कहना है कि जिस राशन की दुकान में वो काम करता था, उसका लाइसेंस खत्म हो जाने की वजह से 29 मई से उसकी नौकरी चली गई। पैसों की तंगी के अलावा सरस्वती का शक था कि मनोज का किसी और से भी रिश्ता है। इसी बात पर दोनों में झगडा होता था। मनोज के मुताबिक इसी वजह से उसने खुदकुशी कर ली। लेकिन सवाल ये है कि अगर सरस्वती ने खुदकुशी की, तो फिर उसने उसकी लाश के टुकडे क्यों किए? तो मनोज के पास इस सवाल का भी जवाब था। उसने कहा कि सरस्वती की खुदकुशी के बाद वो डर गया। इसीलिए लाश को ठिकाने लगाने के वास्ते उसने लाश के टुकडे किए। उन्हें पेशर कुकर में उबाला। फिर उबले हुए उन टुकडों को तवे पर रोस्ट किया, ताकि बदबू ना आए और किश्तों में उबले हुए टुकडों के कुछ हिस्सों को गली के कुत्तों को खिलाता रहा।
Saraswati Murder: लेकिन मनोज की झूठी सच्ची कहानी पुलिस के गले नहीं उतर रही थी। लिहाजा पुलिस उसकी कस्टडी लेकर अब तसल्ली से उससे पूछताछ कर रही है। पुलिस सूत्रों की मानें तो सरस्वती ने खुदकुशी नहीं की है। बल्कि मनोज ने उसका कत्ल किया है। वो भी चाकू से। अब चूंकि लाश तो मिली नहीं, टुकडों को उबाला जा चुका। फिर उन्हें रोस्ट किया जा चुका है। लिहाजा, चाकू के घाव पुलिस कहां ढूंढ पाएगी? और अगर सरस्वती ने जहर खा या पी कर खुदकुशी की है, तो फिर उसका पता लगाने के लिए अब पुलिस विसरा कहां से लाएगी? क्योंकि कुछ हिस्से उबालने, रोस्ट करने और कुत्तों को खिलाने के अलावा फ्लश करके उसने बाथरूम में बहा भी दिया था। पुलिस अपार्टमेंट के सेफ्टी टैंक को भी अब खंगालने की तैयारी कर रही है।
पूछताछ के दौरान मनोज साने ने पुलिस को ये भी बताया कि वो एचआईवी पॉजिटिव है। मनोज की कहानी के मुताबिक करीब 10 साल पहले उसका एक्सीडेंट हो गया था। जिसका इलाज हुआ। फिर वो ठीक हो गया। मगर बाद में जब वो फिर से बीमार पड़ा और उसने अपनी जांच कराई, तो पता चला कि वो एचआईवी पॉजिटिव है। मनोज के मुताबिक एक्सीडेंट के बाद अस्पताल में इलाज के दौरान उसे जो खून चढाया गया था, वो संक्रमित था। और उसी वजह से वो एचआईवी पॉजिटिव हुआ। पुलिस मनोज के इस दावे की भी जांच कर रही है।
Girlfriend Murder: मनोज साने ने पुलिस हिरासत में ये भी बताया कि उसे आफताब और श्रद्धा की पूरी कहानी पता थी। वो इससे जुडी हर खबर देखता था। चूंकि वो अपार्टमेंट की सातवीं मंजिल पर रहता था, इसीलिए पूरी की पूरी लाश को सातवीं मंजिल से नीचे लाकर कहीं ठिकाने लगाना मुश्किल था। वो पकड़ा जाता। तभी उसने आफताब के टुकडों वाली कहानी याद आई। इसी के बाद उसने लाश के टुकडे कर उसे ठिकाने लगाने का फैसला किया। इतेफाक देखिए कि आफताब श्रद्धा और मनोज सरस्वती दोनों ही के केस में कितनी समानताएं हैं। आफताब श्रद्धा की तरह मनोज और सरस्वती भी लिव इन में रहते थे। किराये के घर में रहते थे। दोनों का ताल्लुक भी महाराष्ट, मुंबई से था। टुकडे करने से लेकर ठिकाने लगाने का तरीका भी एक जैसा था। रिश्ते और रिश्तों की कडवाहट भी एक जैसी थी। बस फर्क था तो इतना कि आफताब ने बस लाश के टुकडे किए, जबकि मनोज ने टुकडों को कुकर में उबाला, तवे पर रोस्ट किया, उन्हें कुत्तों को खिलाया। और बचे खुचे हिस्सों को उबालने और रोस्ट करने का इंतजार कर रहा था।
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