Anantnag Terror LIVE Encounter: जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले के कोकेरनाग में लश्कर के आतंकियों के साथ सुरक्षा बल के जवानों का एनकाउंटर जारी है। 72 घंटे से ज्यादा हो चुके हैं लेकिन आतंकियों का सफाया नहीं हो पाया है। आतंकी पहाड़ी में ऊंचाई पर छिपे हुए हैं। ऊंचाई का फायदा उठाते हुए वो सुरक्षा बल के जवानों पर गोले बरसा रहे हैं। बम बरसाने में आतंकी ड्रोन का भी इस्तेमाल कर रहें है। इससे ऑपरेशन मुश्किल हो गया है। इस ऑपरेशन में आर्मी के दो अफसर समेत चार लोग अपनी शहादत दे चुके हैं। शहादत देने वालों में जम्मू कश्मीर पुलिस से एक डीएसपी भी शामिल हैं।
देश मांगे शहादत का इंसाफ, आंतक करो साफ! चारों ओर से घेरा आंतकियों को! देखें LIVE ENCOUNTER का वीडियो
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15 Sep 2023 (अपडेटेड: Sep 15 2023 12:35 PM)
Anantnag Terror LIVE Encounter: जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले के कोकेरनाग में लश्कर के आतंकियों के साथ सुरक्षा बल के जवानों का एनकाउंटर जारी है।
उधर, आज पंचकूला में कर्नल मनप्रीत और पानीपत में मेजर आशीष की अंतिम यात्रा निकली। बड़ी तादाद में लोग शहीदों को श्रद्धांजलि देने उमड़े हुए हैं।
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आंतकियों के सफाए के लिए सेना की कार्रवाई लगातार जारी है। अनंतनाग में सेना और आतंकियों के बीच फायरिंग जारी है। ड्रोन से पहाड़ी पर बमबारी जारी है। तीन आंतकी बताए जा रहे हैं। उन्हें सेना ने चारों ओर से घेर लिया है।
Anantnag Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में जिस तरह से आतंकियों ने तीन अफसरों को निशाना बनाया, उससे फिर कई सवाल खड़े हो गए हैं। इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी TRF ने ली है। टीआरएफ संगठन दरअसल लश्कर की आतंकी कंपनी है। इस घटना के बाद फिर ये संगठन सुर्खियों में है। आईए आपको इस संगठन के बारे में ज्यादा जानकारी देते हैं -
TRF संगठन कौन चलाता है?
ये आतंकी संगठन लश्कर का प्रॉक्सी संगठन है। लश्कर को भारत सरकार बैन कर चुकी है। ये संगठन पाकिस्तान से अपनी आतंकी गतिविधियां संचालित रहा है। इसको आईएसआई का समर्थन प्राप्त है। आतंकवादी लश्कर के प्रॉक्सी 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) से जुड़े थे।
कहा जा रहा है कि टीआरएफ ने पाकिस्तान की मस्जिद में मारे गए लश्कर कमांडर रयाज अहमद उर्फ कासिम की मौत का बदला लिया है। 8 सितंबर को रावलकोट की मस्जिद में आतंकी कासिम की हत्या कर दी गई थी।
दरअसल, ये आतंकी संगठन 2019 में वजूद में आया था। गृह मंत्रालय ने इसे बैन कर दिया था। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटाए जाने के बाद टीआरएफ एक ऑनलाइन यूनिट के रूप में शुरू हुआ था। टीआरएफ के आतंकियों पर इल्जाम लगा था कि इन्होंने 2020 में बीजेपी कार्यकर्ताओं फिदा हुसैन, उमर राशिद बेग और उमर हाजम की कुलगाम में हत्या कर दी थी। इसके बाद टीआरएफ से जुड़े आतंकियों ने एक के बाद कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया। इस दौरान उनके भी कई आतंकी भी मारे गए। साल 2022 में घाटी में जितने आतंकी मारे गए थे, उनमें से 108 टीआरएफ या लश्कर से जुड़े थे।
टीआरएफ अलग तरीके से काम करता है। इसके पीछे दिमाग लश्कर के आतंकियों का है। मकसद साफ है कि ये बताना कि ये लोकल आंतकी संगठन, जो जम्मू-कश्मीर से ही ओपरेट हो रहा है ताकि दुनिया से सोचे कि इसके पीछे पाकिस्तान नहीं है, जब कि है बात इसके बिल्कुल उलट।
वो ज्यादातर गैर-कश्मीरियों को निशाना बनाते हैं ताकि बाहरी राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर आने से बचें। लश्कर से जुड़े साजिद जट, सज्जाद गुल और सलीम रहमानी ने इसको लीड किया। अभी इसके साथ कई आतंकी जुड़े हुए हैं।
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