UP ELECTION 2022: कमाल करते हैं रामपुर के 'रॉबिनहुड' सुपर कॉप अनुज कुमार चौधरी
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26 Jan 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:12 PM)
रामपुर से फ़र्रूख़ हैदर, चिराग गोठी, प्रिवेश पांडे, विनोद शिकारपुरी के साथ गोपाल शुक्ल की रिपोर्ट
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UP ELECTION 2022: दबंग फिल्म के पुलिस अफ़सर चुलबुल पांडे को कोई नहीं भूला होगा। या फिर अता माझी सटकेल कहने वाले सिंघम की अदा पर हजारों तालियां और सैकड़ों सीटियां अब तक सुनाई पड़ जाती हैं...।
लेकिन रामपुर में पुलिस के डीएसपी अनुज चौधरी ने अपने हाव भाव और अपने अंदाज और अपनी पुलिसगीरी से हम यहां के रॉबिनहुड कहने वाले फिल्मी चुलबुल पांडे को और अता माझी सटकली कहने वाले फिल्मी सिंघम को भी फीका कर दिया है।
कुश्ती के पहलवान गुरु गुरू हनुमान के चेले इस पुलिस अफ़सर की कहानी में एनकाउंटर वाला एक्शन है, और वर्दी के लिए कुछ कर गुज़रने वाला जुनून है। सिक्स पैक एब्स वाली फ़िटनेस का फंडा है तो सोशल साइट्स पर नए ज़माने के रिश्तों को समझने और लोगों से सीधा कनेक्ट करने का नया सलीक़ा।
काम को लेकर ग़ज़ब की 'कमिटमेंट'
UP ELECTION 2022:कसरती बदन पर कसी वर्दी के साथ उनका चलने का स्टाइल, उनका बात करने का अंदाज़ और अपराधियों के साथ पेश आने का उनका तरीका इतना अनोखा और हटकर है कि जो भी देखता है उनका मुरीद हो जाता है।
ये है रामपुर के डीएसपी अनुज चौधरी का तार्रुफ़। काम को लेकर कमिटमेंट की उनकी अपनी ही कसम है। तभी तो जब उनकी कामयाबी की फेहरिस्त खुलती है तो स्टारडम के आसमान पर चमकने वाला कोई सितारा भी बौना नज़र आने लगता है।
बजरंगबली के भक्त DSP इतिहास पढ़ते हैं
डीएसपी अनुज चौधरी जितनी शिद्दत से अपनी ड्यूटी निभाते हैं उतना ही पसीना वो जिम में बिताते हैं। लेकिन जब वर्दी पहनकर वो शहर के किसी भी चौराहे पर खड़े हो जाते हैं तो फिर उनके अलावा कोई पुलिसवाला नज़र नहीं आता।
वर्दी का जुनून उनमें इस कदर कूट कूट कर भरा है कि उन्हें क़ानून तोड़ने वाला किसी मच्छर या मक्खी जैसा ही नज़र आता है। और अगर डीएसपी अनुज चौधरी की बातों की तासीर को समझें तो इतिहास और भूगोल की अच्छी समझ रखने वाले पुलिस के ये डिप्टी कप्तान अब पुलिस में नया इतिहास रखने का इरादा भी रखते हैं, तभी तो सूबे का भूगोल समझ रहे हैं। मगर खुद को क़ानून का अच्छा सिपाही मानने के साथ साथ वो बजरंग बली का भक्त कहलाना भी पसंद करते हैं।
हर मैदान को कर लेते हैं फतह
उनका मानना है कि पुलिस की नौकरी बिना बजरंगबली के सहारे तो चल नहीं सकती। पढ़ाई लिखाई में हमेशा अव्वल रहने वाले अनुज चौधरी ने जब खेल के मैदान में कदम रखा तो वहां भी किसी को अपने आगे टिकने नहीं दिया।
भारतीय पुलिस सेवा यानी IPS में आने से पहले ही अनुज चौधरी ने तमगों की तासीर को अच्छी तरह न सिर्फ समझा बल्कि उसे हासिल करने के लिए हाड़तोड़ मेहनत भी कर चुके हैं। तभी तो अनुज कुमार चौधरी के पास नेशनल और इंटरनेशनल अवार्ड का अनमोल ख़ज़ाना है।
अर्जुन अवॉर्डी हैं अनुज चौधरी
5 अगस्त 1980 को जन्मे अनुज कुमार चौधरी सबसे पहले साल 2002 में उस वक़्त सुर्खियों में छाए जब कुश्ती के गुरु गुरु हनुमान के चेले अनुज ने इंग्लैंड के मैनचेस्टर में कॉमनवेल्थ खेल के दौरान 84 किलोग्राम वर्ग में कुश्ती में सिल्वर मेडल जीता।
और उसके बाद उसी साल दक्षिण कोरिया में खेले गए बुसान एशियन गेम्स में भारतीय कुश्ती टीम का हिस्सा बने लेकिन मुकाबले के दौरान चोट लगने की वजह से उन्हें बुसान से खाली हाथ लौटना पड़ा।
अनुज चौधरी यहीं नहीं रुके, 2004 ओलिंपिक खेलों में पहली बार उन्होंने 84 किलोग्राम वर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व किया। ये पहला मौका था जब किसी पहलवान ने इस भार वर्ग में भारत का ओलिंपिक खेलों में प्रतिनिधित्व किया हो। खेल के मैदान में उनकी कामयाबी के लिए खुद भारत सरकार उनकी पीठ थपथपा चुकी है और उन्हें खेलों का सबसे बड़ा अर्जुन अवॉर्ड से नवाज चुकी है।
वर्दी पहनकर बन गए सुपरकॉप
2010 में अनुज कुमार ने खेलों का मैदान छोड़ा और पुलिस की वर्दी पहन ली। और फिर फर्ज के मैदान में क़ानून तोड़ने वालों को जो तोड़ना शुरू किया तो देखते ही देखते सुपरकॉप का तमगा उनके कंधे पर सज गया।
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