शहीदों की मिट्टी पर 5 लखिया इनामी रंगबाज का जेल से ही ख़ौफ़, नेता भी डर के मारे ले रहें गनर
यूपी के हापुड़ का वो रंगबाज जिसके खौफ से कई नेता भी मांगते हैं पानी, लेकर चलते हैं गनर Read Up election news on crime e tak website
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03 Feb 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:13 PM)
हापुड़ से देवेंद्र शर्मा, मनीषा झा, विनोद शिकारपुरी के साथ सुनील मौर्य की रिपोर्ट
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UP Election Hapur News : कहते हैं रंगबाजी जेहन में होती है. वक़्त बीत जाता है लेकिन रंगबाजी का रंग नहीं उतरता. लेकिन आजादी से पहले देश के लिए मर-मिटने की जो अंग्रेजों के सामने रंगबाजी दिखाई गई उसका चोला अब जरूर बदल गया.
हम बात कर रहे हैं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक ऐसे जिले की जहां भारत छोड़ो आंदोलन के समय अंग्रेजों की गोली से कई लोग शहीद हो गए. तो 1857 की क्रांति का बिगुल फूंकने पर कई लोगों को सरेआम फांसी पर लटका दिया गया.
इस जगह पर आज भी उन गोलियों के निशान हैं तो फांसी पर लटकाए जाने वाला वो पीपल का पेड़ भी है. लेकिन इन निशानियों के साथ अब नए जमाने के रंगबाज भी उसी ऐतिहासिक मिट्टी पर लाल खून बहा रहे हैं.
हापुड़ का नाम कभी हरिपुरा था
ये बात हो रही है यूपी के हापुड़ जिले की. वो जिला जो राजधानी दिल्ली से करीब 60 किमी दूर उत्तर प्रदेश में है. कभी इसका नाम राजा हरि सिंह के नाम हरिपुरा हुआ करता था. लेकिन अंग्रेजों ने इसे हापुड़ कर दिया.
साल 1942 में जब महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की बात कही थी तब यहां के लोगों ने विदेशी सामानों का बहिष्कार करते हुए रैली निकाली थी. जिसमें रामस्वरूप, गिरधरलाल, आगनलाल और मांगे लाल शहीद हुए थे. शहीद रामस्वरूप के पोते महेंद्र सिंह बताते हैं कि अंग्रेजों ने जो गोलियां चलाई थीं उन गोलियों के निशान अतरपुरा की पुलिस चौकी की बाहरी दीवारों पर आज भी है. लेकिन अब समय के साथ हापुड़ में क्राइम का खौफ बढ़ गया है. खासतौर पर जेल में बंद होने के बाद भी आशु जाट का खौफ कायम है.
शहीदों की धरती पर अब इस गैंगस्टर रंगबाज का है खौफ
लेकिन उसी हापुड़ में अब एक नए रंगबाज का ख़ौफ़ है. उस खौफ का नाम है आशु जाट. ये वो नाम है जो मिर्ची गैंग का सरगना है. ऐसा गैंग जो बाकायदा पुलिस रिकॉर्ड में रजिस्टर्ड है. नाम है डी-112 गैंग. वैसे तो पुलिस रिकॉर्ड में इस गैंग में 80 से 88 बदमाशों की लिस्ट हैं. पर यहां के लोगों का दावा तो 500 से ज्यादा बदमाशों को ट्रेनिंग देकर लूटपाट कराने का गैंग होने का दावा किया जा रहा है.
अब जाहिर सी बात है कि जब कोई गैंग इतना बड़ा हो जाए तो सरकार उसे पकड़ने का सारा इंतजाम करेगी. और फिर वो ना पकड़ा जाए तो उस पर इनाम घोषित करेगी. अब इस गैंगस्टर आशु जाट पर इनाम घोषित हुआ. पहले 5 हजार फिर 10 हजार और बढ़ते-बढ़ते ढाई लाख तक पहुंच गई. इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि इस रंगबाज के कद, काठी और रंगबाजी का.
लेकिन जब हमने हापुड़ में लोगों से बातचीत की तब पता चला कि इस पर तो 5 लाख तक का इनाम घोषित हो चुका है. लेकिन योगीजी की 10 हजारी बदमाशो का भी एनकाउंटर कर देने वाली पुलिस इस आशु जाट का कुछ नहीं कर पाई और सही सलामत जेल की मजबूत दीवारों में कैद कर दिया तो लोगों कहा कि शायद अधिकारी 5 लाख वाला इनाम दबाए बैठ गए.
60 से ज्यादा हत्या के केस दर्ज, 2 बीजेपी नेताओं की हत्या
खैर इस रंगबाज आशु जाट की पूरी कहानी बताते हैं. उससे पहले ये जान लीजिए कि ये सितंबर 2020 में मुंबई पुलिस गिरफ्त में आया और अभी जेल में बंद है. इस पर 60 से ज्यादा हत्या के मामले हैं. बाकायदा 2 बीजेपी नेताओं की ये हत्या कर चुका है. इसके अलावा सैकड़ों लूट और डकैती की घटनाओं को अंजाम दे चुका है. हापुड़ में इसका खौफ इस कदर है कि आज भी कई बीजेपी नेता गनर लेकर चलते हैं.
राकेश शर्मा की हत्या केस में पैरवी करने वाले जुगल किशोर शर्मा ने बताया कि हापुड़ में बहुत पहले से मिर्ची गैंग है. उस गैंग को पहले भोलू चलाता था. ये गैंग बकायदा लूट का कोचिंग सेंचर चलाता रहा है. नए-नए लड़कों को लूट और जरा सी भी चूक होने पर गोली मार देने की ट्रेनिंग देते थे. लूट के लिए ये गैंग आंखों में मिर्ची डाल देता था. इसलिए इसका नाम मिर्ची गैंग पड़ा.
लेकिन भोलू जब जेल गया तो उसकी कमान संभाली आशु जाट ने. फिर तो धीरे-धीरे मिर्ची गैंग पहले से ज्यादा कट्टर होता चला गया. इनकी कट्टरबाजी ऐसी है कि जरा भी किसी ने विरोध किया तो सीधे सीने में गोली मार देते थे. अब चाहे वो आम पब्लिक हो या फिर खाकी वर्दी वाला ही क्यों ना हो.
जुगल किशोर बताते हैं कि 9 सितंबर 2019 को आशु जाट ने मेरे जीजा की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस वारदात को उसने सिर्फ इसलिए अंजाम दिया था क्योंकि मेरे जीजा ने उसके खिलाफ कुछ मामलों में पैरवी की थी. अब जब हमने आशु जाट के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई तो मुझे भी धमकी मिलने लगी. इसलिए मुझे भी पुलिस सुरक्षा के लिए एक गनर मिला.
यूपी 7500 से ज्यादा एनकाउंटर तो आशु का क्यों नहीं?
जुगल किशोर ये भी कहते हैं कि वो एक नंबर का बेखौफ बदमाश है. उसके नेटवर्क में कई पुलिस अधिकारी भी हैं. इसलिए नोएडा में दिनदहाड़े सनसनीखेज हत्या समेत दर्जनों केस में उसकी तलाश थी. उसी दौरान उसके मुंबई में होने की जानकारी मिली कि वो अपनी गर्लफ्रेंड के साथ हुलिया बदलकर कोई दुकान चला रहा है. तो मुंबई पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.
इसके बाद हापुड़ पुलिस उसे रिमांड पर लेने गई थी. लेकिन सवाल ये है कि आशु के करीबी पुलिसवालों को क्यों उसे रिमांड पर लाने के लिए भेजा गया था. ऐसे में उसका एनकाउंटर कहां से होता?
वो सवाल उठाते हैं कि यूपी में 10 हजारी बदमाशों का भी एनकाउंटर हो जा रहा है. आलम ये है कि योगी सरकार में 7500 से ज्यादा एनकाउंटर हुए. 150 से ज्यादा बदमाश मारे भी गए. लेकिन आशु जाट को एक खरोंच तक नहीं आई. वो एक ऐसा अपराधी है जिसके खौफ से आज भी बीजेपी के ही नेता गनर लेकर चल रहे हैं, लेकिन उस बदमाश का बाल भी बांका नहीं हो सका. ऐसे में इसे क्या कहा जाए?
जुगल किशोर का दावा है कि आशु जाट के परिवार की कई महिलाएं भी अब जुर्म की दुनिया में उतर चुकी हैं. अब आशु जेल में हैं तो वो इसे ऑपरेट कर रही हैं.
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