थर थर कांप रहे अपराधी
ये है सियासत का असली रक्तचरित्र! बाहुबली डीपी यादव के 'गुरु का गढ़' था गौतमबुद्ध नगर
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27 Jan 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:12 PM)
UP ELECTION 2022:आपको गौतमबुद्ध नगर की एक सच्ची तस्वीर से रू ब रू करवाते हैं। यहां छोटे-छोटे अपराधी तो टांगों में गोलियां खा-खा कर लंगड़ाते घूम रहे हैं और बड़े अपराधियों को पीठ में गोली का खाने का डर सता रहा है जो उन्हें जेल से बाहर ही नहीं निकलने दे रहा है.
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हालत ये है कि नोएडा में आज की तारीख़ में ऐसा कोई भी गुंडा या गैंगस्टर नहीं है, जो किसी भी प्रत्याशी को जिता या फिर हरा सके. बल्कि जिताने और हराने की बात तो छोड़िए, वो किसी प्रत्याशी को डराने तक की हालत में नहीं हैं. और इस बार के विधान सभा चुनावों में गौतमबुद्ध नगर की तीन विधान सभा सीटों नोएडा, दादरी और जेवर के लिए यही शायद सबसे नई बात है.
वोटों का कोई अकेला ठेकेदार नहीं
UP ELECTION 2022: नोएडा में इस बार लगभग 6.88 लाख लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करनेवाले हैं. दादरी में 4.98 हज़ार लोग और जेवर में लगभग 3.69 लोग. लेकिन इन वोटों का अब कोई अकेला ठेकेदार नहीं है. लोग आज़ाद महसूस कर रहे हैं और अपने-अपने हिसाब से वोटिंग करने की प्लानिंग.
यही वजह है कि क्राइम तक की टीम जब इन विधान सभा का दौरा करने निकली तो बीजेपी के गढ़ में समाजवादी पार्टी के धुर समर्थक भी मिल गए. और तो और सपा के पॉकेट में बीएसपी की बहनजी मायावती से हमदर्दी रखने वाले भी मिल गए.
खून से सना है गौतमबुद्ध नगर का सियासी इतिहास
UP ELECTION 2022: आज जैसा दिख रहा है वैसा कल नहीं था। वर्तमान जैसा अतीत बिल्कुल भी नहीं थाा. नोयडा या फिर गौतमबुद्ध नगर का सियासी इतिहास बेहद रक्तरंजित रहा है. इस सिलसिले की शुरुआत 90 के दशक में दादरी विधान सभा सीट से हुई. दादरी शुरू से ही गुर्जर बहुल सीट रही है.
उन दिनों इस सीट पर महेंद्र भाटी का सिक्का चलता था. मुलायम सिंह के खासमखास महेंद्र भाटी का सियासी क़द जितना बड़ा था, उनके इर्द-गिर्द जुर्म भी उतना ही पनपा. ग़ैरों की बात क्यों करें, ख़ुद महेंद्र भाटी का भाई राजबीर भाटी कभी गन प्वाइंट पर लोगों को टेरराइज़ कर वोट लूट लिया करता था. ये महेंद्र भाटी ही थे, जिनकी पुश्तो-पनाही में डीपी यादव जैसे बाहुबली भी पैदा हुए.
चेले ने कराया सियासी गुरू का क़त्ल?
UP ELECTION 2022: लेकिन गौतमबुद्ध नगर में महेंद्र भाटी के बराबर एक और क्षत्रप का उदय हुाआ, नाम था प्रवीण भाटी. फिर एक वक़्त तो ऐसा आया जब महेंद्र भाटी को प्रवीण भाटी का ये सियासी क़द डराने लगा. प्रवीण नोएडा में बीजेपी के पहले अध्यक्ष बने.
आख़िरकार वो भी नोएडा की रक्तरंजित सियासत का शिकार बन गए. उनकी हत्या बिल्कुल फिल्मी तरीक़े से हुई. आगे और पीछे से दो गाड़ियों ने उनकी गाड़ी को सैंडविच की तरह क्रश कर दिया और उनकी जान ले ली. इल्ज़ाम महेंद्र भाटी पर लगा. लेकिन इसके बाद महेंद्र भाटी की भी बारी आई.
1992 में महेंद्र भाटी को उसी दादरी में उन्हें गोलियों से भून दिया गया, जहां कभी उनका सिक्का चलता था. उससे पहले उनके भाई राजबीर भाटी का क़त्ल हो चुका था. कहते हैं महेंद्र भाटी का क़त्ल सत्ता के इशारे पर ही हुआ और इल्ज़ाम उसी डीपी यादव पर लगा, जो कभी महेंद्र भाटी का चेला हुआ करता था. यानी यादव के हाथों अपने सियासी गुरु का क़त्ल हुआ.
जड़ से उखड़ गए गैंगस्टर
UP ELECTION 2022: इसके बाद बारी आई सुंदर भाटी और अनिल दुजाना जैसे गैंगस्टरों की. जिन्होंने सियासत की दुनिया में क़दमजमाने की कोशिश तो बहुत की, लेकिन क़िस्मत ने ज़्यादा साथ नहीं दिया. अब बात हाल ही में सपा से बीजेपी में आए एमएलसी नरेंद्र भाटी की.
नरेंद्र भाटी का सियासी क़द इस इलाक़े में अच्छा माना जाता है. कहते हैं वो 20 से 25 हज़ार वोट आसानी से अपनी तरफ़ खींच सकते हैं. लेकिन सच्चाई यही है कि नरेंद्र भाटी पर भी गुंडों को पालने का इल्ज़ाम लगता रहा है.
इस बार चुनाव में दादरी से बीजेपी प्रत्याशी और मौजूदा विधायक तेजपाल नागर तो नरेंद्र भाटी की शरण में हैं, लेकिन जेवर के विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह 'एकला-चलो' वाले मोड में. ये वही ठाकुर धीरेंद्र हैं, जो कभी राहुल गांधी को अपनी बाइक पर बिठा कर पलवल से भट्टा पारसौल पहुंचे थे, लेकिन अब बीजेपी के पाले में इनकी सियासी तक़दीर घोड़े पर सवार है.
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