Russia Ukraine war: रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चरम पर पहुंच चुका है. रूस ने यूक्रेन को भारी नुकसान दिया है. अभी तक कई सैनिकों की मौत भी हो चुकी है. अब इस तबाही के बाद रूस फिर बातचीत की टेबल पर आ गया है. वहां के विदेश मंत्री ने साफ कर दिया है कि अगर यूक्रेन के सैनिक अपने हथियार डाल देंगे, तो बातचीत फिर की जा सकती है.
इस वजह से बातचीत की टेबल पर आए रूस और यूक्रेन, क्या होगा युद्ध का 'The End'?
इस वजह से बातचीत की टेबल पर आए रूस और यूक्रेन, क्या होगा युद्ध का 'The End'?
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25 Feb 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:14 PM)
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युद्ध की तबाही के बाद बातचीत का प्रस्ताव
Russia malware attack: कल यूक्रेन के खिलाफ बड़ी सैन्य कार्रवाई करने के बाद रूस की तरफ से ये बड़ा प्रस्ताव दिया गया है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि यूक्रेन अभी जल्द इस प्रस्ताव को नहीं मानने वाला है, लेकिन स्थिति को देखते हुए अंत में यही समाधान हो सकता है. रूस की पहले से ही ये रणनीति थी कि यूक्रेन को घुटनों पर लाया जाए और फिर सरेंडर करने के लिए मजबूर किया जाए. रूस के इस ऑफर पर यूक्रेन के राष्ट्रपति ने भी प्रतिक्रिया दी है. उनकी तरफ से भी बातचीत का प्रस्ताव पुतिन को दे दिया गया है. उन्होंने पुतिन को बातचीत की टेबल पर बुलाया है. पुतिन ने भी अपना प्रतिनिधिमंडल बातचीत के लिए भेजने की बात कर दी है.
वैसे रूस के विदेश मंत्री ने साफ कर दिया है कि उनकी सेना की तरफ से यूक्रेन के रिहायशी क्षेत्रों पर हमला नहीं किया जा रहा है. वहां पर मौजूद infrastructure को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जा रहा है. लेकिन अभी तक रूस की तरफ से जो कार्रवाई की भी गई है, उसका विरोध भी शुरू हो चुका है. रूस के ही नागरिक सड़क पर आकर रूसी राष्ट्रपति की नीतियों का विरोध कर रहे हैं. अभी तक रूस में 1700 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया गया है.
रूस में हो रहा राष्ट्रपति पुतिन का विरोध
Russia-Ukraine Crisis: रूस के अलावा अमेरिका में भी व्हाइट हाउस के बाहर यूक्रेन पर हमले के खिलाफ प्रदर्शन किया गया. वहीं, भारत में भी आज शाम रूस की एंबेसी के बाहर प्रदर्शन है. अब उन प्रदर्शनों के बीच रूस ने फिर बातचीत की टेबल पर आने के संकेत दिए हैं. कल भी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा था कि अगर यूक्रेन के सैनिक अपने हथियार डाल देंगे, युद्ध रोक दिया जाएगा. उन्होंने अपने संबोधन में इस बात पर भी जोर दिया था कि उनके पास युद्ध के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा था. उनके देश को यूक्रेन में चल रही गतिविधियों से खतरा था, ऐसे में उन्होंने इस सैन्य कार्रवाई को मंजूरी दी थी.
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