Ukraine Russia war : सबसे ज्यादा परमाणु बम रूस के पास !

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01 Mar 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:14 PM)

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Ukraine Russia war : क्या आप जानते है कि विश्व में अगर सबसे ज्यादा परमाणु हथियारों की बात करे तो वो रूस के पास ही है। इसके अलावा 9 देशों के पास परमाणु हथियार है, जिनमें भारत भी शामिल है। अब ये बहस छिड़ गई है कि क्या रूस सबसे खतरनाक हथियार का इस्तेमाल करेगा ? या इसकी जरूरत ही नहीं पड़ेगी।

किन देशों के पास है परमाणु हथियार ?

दुनिया में अभी नौ देशों के पास परमाणु हथियार हैं। ये देश हैं - अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ़्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इसराइल और उत्तर कोरिया। अमेरिका के पास 2020 तक 5,800 और रूस के पास 6,375 परमाणु हथियार थे। स्वीडन स्थित संस्था थिंक टैक 'स्टॉकहोम इंटरनैशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट' (सिप्री) ने पिछले वर्ष अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि 2020 के आरंभ में इन नौ देशों के पास लगभग 13,400 परमाणु हथियार थे जिनमें से 3,720 उनकी सेनाओं के पास तैनात थे। इनमें से लगभग 1800 हथियार हाई अलर्ट पर रहते हैं यानी उन्हें कम समय के भीतर दाग़ा जा सकता है। इन हथियारों में अधिकांश अमेरिका और रूस के पास हैं। सिप्री की रिपोर्ट के अनुसार परमाणु हथियारों के मामले में भारत के पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान उससे कहीं आगे हैं। रिपोर्ट के अनुसार 2021 तक भारत के पास जहाँ 150 परमाणु हथियार थे, वहीं पाकिस्तान के पास 160 और चीन के पास 320 परमाणु हथियार थे।

कब हुआ था परमाणु हथियारों का इस्तेमाल ?

दुनिया में अब तक दो बार परमाणु बमों से हमला किया गया है जिनसे भयंकर नुक़सान हुआ। आज से 77 साल पहले ये दोनों हमले अमेरिका ने किए थे जब उसने जापान के दो शहरों पर परमाणु बम गिराए। 6 अगस्त अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर 9 अगस्त को नागासाकी पर परमाणु बम गिराए थे। ऐसा माना जाता है कि हिरोशिमा में 80,000 और नागासाकी में 70,000 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी।

परमाणु अप्रसार संधि

1970 में देशों के बीच परमाणु हथियारों की संख्या सीमित करने के लिए एक संधि लागू हुई जिसका नाम है परमाणु अप्रसार संधि या एनपीटी। अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ़्रांस और चीन भी इसमें शामिल हैं, मगर भारत, पाकिस्तान और इसराइल ने इस पर कभी हस्ताक्षर नहीं किया और उत्तर कोरिया 2003 में इससे अलग हो गया। इस संधि के तहत केवल पाँच देशों को परमाणु हथियार संपन्न देश माना गया जिन्होंने संधि के अस्तित्व में आने के लिए तय किए गए वर्ष 1967 से पहले ही परमाणु हथियारों का परीक्षण कर लिया था। ये देश थे - अमेरिका, रूस, फ़्रांस, ब्रिटेन और चीन। संधि में कहा गया कि ये देश हमेशा के लिए अपने हथियारों का संग्रह नहीं रख सकते यानी उन्हें इन्हें कम करते जाना होगा। साथ ही इन देशों के अलावा जितने भी देश हैं उन पर परमाणु हथियारों के बनाने पर रोक भी लगा दी गई। इस संधि के बाद अमेरिका, ब्रिटेन और रूस ने अपने हथियारों की संख्या में कटौती की। मगर बताया जाता है कि फ़्रांस और इसराइल के हथियारों की संख्या लगभग जस की तस रही। वहीं भारत, पाकिस्तान, चीन और उत्तर कोरिया के बारे में फ़ेडरेशन ऑफ़ अमेरिकन सांइस्टिस्ट्स ने कहा कि ये देश अपने परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ाते जा रहे हैं।

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