अफगानिस्तान का पड़ोसी मुल्क ईरान तालिबान की नई सरकार से खुश नहीं है, ईरान का मानना है कि तालिबान ने पूरी दुनिया को ये भरोसा दिया था कि वो एक समावेशी सरकार का गठन करेंगे, लेकिन तालिबान की नई कैबिनेट में तालिबान के ही कट्टरवादी नेताओं को जगह दी गई है। 33 मंत्रियों में से सिर्फ़ तीन ही मंत्री अल्पसंख्यक समूहों से हैं। इनमें दो ताजिक मूल के हैं और एक उज़्बेक मूल के हैं। इसके अलावा सरकार में न तो सबसे बड़े नस्लीय समूहों में शामिल हज़ारा समुदाय से कोई मंत्री हैं और न ही कोई महिला मंत्री ही शामिल हैं। इसके अलावा ईरान तालिबान के पंजशीर पर किए जा रहे हमले से भी खफा है।
तालिबान से क्यों नाराज़ है ईरान? महिलाओं को सरकार में जगह ना मिलने से भड़का ईरान
tension between iran and taliban relation
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10 Sep 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:05 PM)
क्या है ईरान की नाराज़गी?
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ईरान ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान की पहली प्राथमिकता शांति और स्थिरता होनी चाहिए, अफ़ग़ानिस्तान में समावेशी सरकार की ज़रूरत को नज़रअंदाज़ किया जाना, विदेशी दखल, सैन्य ताक़त का इस्तेमाल और नस्लीय समूहों और सामाजिक समूहों की मांगों को पूरा करने के लिए बातचीत न करना, एक बड़ी गलती है। जानकारों का मानना है कि ईरान उम्मीद कर रहा था कि इस बार भी तालिबान सरकार के गठन में सभी अफगानी लोगों की भागीदारी होगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं हुआ। जिसके बाद ईरान ने तालिबान को चेताते हुए कहा कि वो उसी भूल को फिर से दोहराया रहा है जो इससे पहले देसी-विदेशी लोग अफ़ग़ानिस्तान के बहादुर लोगों पर ताक़त के दम पर राज करने की कर चुके हैं। उसने कहा कि तीन सुपरपॉवर की यहां दुर्दशा हुई है, कोई और भी जो ताक़त के दम पर सत्ता क़ायम करना चाहेगा, उसका भी यही अंजाम होगा। ये वक्त बात करने और सभी को शामिल करने का है, इससे पहले कि परिस्थितियां फिर बदल जाएं।
पंजशीर पर हमले से भी नाराज़ है ईरान
ईरान ख़ास तौर पर पंजशीर पर तालिबान के हमले से नाराज़ है, पंजशीर में ज़्यादातर ताजिक नस्ल के लोग रहते हैं जो हैं तो असल में सुन्नी लेकिन ईरान धार्मिक तौर पर उन्हें अपने अधिक क़रीब मानता है। इसके अलावा अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की कैबिनेट के गठन में पाकिस्तान की दखलअंदाजी भी ईरान को अच्छी नहीं लगी।
अमेरिका के जाने के फैसले के बाद आई थी नज़दीकी
जब अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान से पूरी तरह वापस जाने का फ़ैसला लिया था तो तालिबान और ईरान के बीच नज़दीकियां बढ़नें लगीं थी.ईरान अफ़ग़ानिस्तान को लेकर सक्रिय हुआ और तालिबान के साथ अपनी पुरानी कड़वाहटों को भुलाकर संबंध सुधारने लगा. ईरान ने तालिबान के प्रतिनिधिमंडल को भी तेहरान बुलाया और बातचीत की। ईरान और तालिबान के बीच इस्लाम को लेकर धार्मिक मतभेद हैं, ईरान शिया बहुल देश है और तालिबान सुन्नी इस्लाम को मानते हैं, तालिबान इस्लाम की अपनी कट्टर व्याख्या के लिए भी जाना जाता है। बावजूद इसके ईरान, तालिबान के साथ मिलकर काम करने का इच्छुक था, लेकिन तालिबान की हरकतें उसे नाराज़ करने वाली हैं।
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