तानाशाह तालिबान : तालिबान का तानाशाही रवैया लगातार दिख रहा है. लेकिन वो लगातार अपने झूठ पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहा है. अफ़ग़ानिस्तान पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने 17 अगस्त को पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. इसमें कहा था कि देश में महिलाओं को नौकरी करने की छूट मिलेगी. नई सरकार में महिलाओं की भी भूमिका होगी.
तालिबान की तानाशाही : गवर्नर सलीमा मजारी को बंधक बनाया तो इधर महिला न्यूज़ एंकर को नौकरी से हटाया
Taliban dictatorship: When Governor Salima Mazari was taken hostage, here the female news anchor was removed from the job
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18 Aug 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:03 PM)
लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस के ठीक अगले दिन ये दोनों दावे ढेर गए. पहले एक महिला एंकर खदीजा अमीन की नौकरी गई और फिर तालिबान के खिलाफ आवाज उठाने वाली महिला गवर्नर सलीमा मजारी (Salima Mazari) को बंधक बनाकर अगवा कर लिया गया. सलीमा इस वक़्त कहां है, ये किसी को पता नहीं है.
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तालिबान नहीं बदला, जैसे पहले वैसे आज भी
खदीजा अमीन (Khadeeja Amin) अफ़ग़ानिस्तान के सरकारी न्यूज चैनल की एंकर थीं. लेकिन तालिबान के कब्जे के बाद ही इन्हें नौकरी से हटा दिया गया. इनकी जगह अब एक पुरुष एंकर को काम दे दिया गया है. नौकरी से हटाए जाने के बाद खदीजा ने बताया कि उनसे ऑफिस में कहा गया कि सरकारी चैनल पर महिलाएं काम नहीं कर सकती हैं. इसलिए उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है.
अब खदीजा अमीन ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि अब मैं क्या करूंगी. आने वाले भविष्य के पास अब कुछ नहीं होगा. 20 साल में हमने जो कुछ भी हासिल किया है, वो सबकुछ अब ख़त्म हो जाएगा. वो कहती हैं कि तालिबान हमेशा तालिबान ही रहेगा. वो ना कभी बदला था और ना कभी बदलेगा.
सलीमा मजारी को तालिबान ने बनाया बंधक
अफ़ग़ानिस्तान के बल्ख प्रांत की एक महिला गवर्नर और चर्चित महिला सलीमा मजारी (Salima Mazari) को अचानक गायब कर दिया गया है. इन्होंने कुछ दिन पहले ही तालिबान के खिलाफ आवाज बुलंद की थी. इसके बाद से वो उन्हें तालिबानियों ने बंधक बना लिया और कहीं नजरबंद कर दिया है. सलीमा मजारी को कहां और किस हाल में रखा गया है, इसकी कोई जानकारी नहीं मिल पाई है.
बता दें कि सलीमा मजारी को कुछ साल पहले ही बल्ख के चाहत किंत जिले का गवर्नर चुना गया था. एक महीने से जब तालिबानी लगातार कब्जा करते जा रहे थे तभी कई बड़े नेता अंडरग्राउंड होने लगे थे.
आखिरकार 15 अगस्त को राष्ट्रपति अशरफ गनी भी देश छोड़कर भाग गए. लेकिन सलीमा ने इस तरह से भागना मुनासिब नहीं समझा. इसके बजाय उन्होंने डटकर मुकाबला किया. बताय जा रहा है कि सलीमा मजारी को तालिबानियों ने घेर लिया था. फिर वो उनसे भिड़ गईं. हार नहीं मानी. लेकिन जब तालिबान ने उन्हें घेर लिया तो उन्हें मजबूर होकर सरेंडर करना पड़ा.
कौन है सलीम मजारी Who is Salima Mazari
अफ़गान मूल की सलीमा का जन्म 1980 में एक रिफ्यूजी के तौर पर ईरान में हुआ. वो ईरान में ही पली बढ़ीं और तेहरान की यूनिवर्सिटी से उन्होंने अपनी पढ़ाई भी पूरी की. अपने पति और बच्चों के साथ सलीमा ईरान में ही सेट्ल हो सकती थीं, लेकिन सलीमा ने ग़ैर मुल्क में अपनी आगे की ज़िंदगी गुज़ारने की जगह अफ़गानिस्तान में आकर काम करने का फ़ैसला किया... वो यहां बल्ख सूबे के चारकिंट की गवर्नर भी चुनी गईं.
लेकिन सलीमा की ज़िंदगी की असली चुनौती तो अभी बाकी थी... अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जैसे ही अफ़गानिस्तान से अपनी फ़ौज को हटाने का फ़ैसला किया, तालिबानी आतंकी अपनी पर उतर आए.
बंदूक के दम पर एक-एक कर देश के अलग-अलग हिस्सों पर कब्ज़ा करने लगे. इसी के साथ शरिया क़ानून की आड़ में महिलाओं के साथ ज़्यादती भी होने लगी... और यही वो वक़्त था, जब सलीमा ने ये तय किया आतंकियों के आगे घुटने टेकने से बेहतर, उनसे मुकाबला करना है.
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