Shams Ki Zubani: जब एक क़ैदी तिहाड़ के ऊपर प्लेन उड़ाने लगा, तिहाड़ से भागने वाले पहले क़ैदी की कहानी

Shams Ki Zubani: वो एक इंटरनेशनल स्मगलर था? एअरलाइंस का मालिक या फिर एक सीआईए एजेंट था? एक अनोखी पहेली।

CrimeTak

01 Oct 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:27 PM)

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Shams Ki Zubani: यह कहानी आजादी के 15 साल बाद की है। जी हां साल 1962 की कहानी। जब हमारी खुफिया विभाग को जानकारी मिलती है आजादी के बाद भी भारत के कई स्टेट के राजा महाराजा हैं जो अपने पास हथियार कारतूस रख रहे हैं जो कि स्मगलिंग का है। सवाल ये था कि इनको कौन दे रहा है हथियार?

जांच शुरु हुई तो जांच एजेंसियों को सुराग मिला और 1962 में खुफिया विभाग की टीम दिल्ली के अशोका होटल में छापा मारती है। वहां एक शख्स ठहरा था जिसका नाम था कि डैनियल हेली वेलकॉंट जो कि अमेरिकन सिटिजन था ये बेहद रईस आदमी था। इस विदेशी के कब्जे से एक बॉक्स मिलता है जिसमें 766 कारतूस मिलते हैं।  

मामला गंभीर था लिहाजा डैनियल को हिरासत मे ले लिया गया। जाच आगे बढ़ी तो पता चला कि सफदरजंग एअरपोर्ट डैनियल का का 4 सीटर प्राइवेट प्लेन खड़ा है इस प्लेन का नाम था पाइपर अपाचे। पुलिस ने प्लेन की तलाशी ली तो उसमें 40 बक्से मिलते हैं हर बक्से में 250 कारतूस थे। जिसके बाद पुलिस ने आरोपी को तिहाड़ भेजा दिया। आरोपी बेहद अमीर और रसूखदार था। कुछ महीनों बाद ही उसको जमानत मिल गई।

हैरानी की बात ये थी कि डैनियल की ऊपर टाटा कंपनी का 60 हजार रुपए बकाया था जमानत की शर्त ये थी कि जब तक वो 60 हजार का भुगतान नही करता तब तक देश छोड़कर कहीं जा नही सकता था। इधर पुलिस डैनियल की बेल कैंसिल करवाना चाहती थी और आरोपी देश छोड़कर निकल जाना चाहता था। डैनियल टाटा का भुगतान नहीं कर पा रहा था लिहाजा उसने भागने का प्लान बनाया लेकिन पाकिस्तान जाते वक्त बाघा बार्डर पर पकड़ा जाता है। पुलिस दोबारा आरोपी को कोर्ट  में पेश करती है और सवाल उठाती है कि आखिर क्यों ये आरोपी पाकिस्तान भाग रहा था?

अदालत में केस चलने लगा इसी दौरान चीन भारत की जंग भी जारी थी। डैनियल ने भारत सरकार से कहा कि मेरा कई प्लेन है भारत चाहे तो मेरे प्लेन को इस्तेमाल कर सकता है। इसके बाद अदालत ने कहा कि डैनियल तुम आजाद हो लेकिन तुम्हे टाटा के 60 हजार चुकाने होंगे तब ही तुम देश से बाहर जा सकोगे। इस बीच डैनियल का पाइपर अपाचे सफदरजंग एअरपोर्ट पर ही खड़ा था। डैनियल ने अदालत में अर्जी लगाई कि मेरा प्राइवेट प्लेन खड़ा है उसके इंजन को स्टार्ट करना जरुरी है अगर ऐसा नही किया तो वो खराब हो जाएगा।

अदालत ने तकनीकी सलाह लेने के बाद आदेश दिया कि डैनियल पुलिस कस्टडी में रोज सुबह 6 बजे प्लेन के इंजन को स्टार्ट करने एअरपोर्ट जा सकता है। जिसके बाद वो रोज एअरपोरप्ट जाता प्लेन का इंजन चालू करता और वापस आ जाता था। एक रोज़ यानि 23 सितबंर 1963 को डैनियल एअरपोर्ट गया प्लेन का इंजन स्टार्ट किया और प्लेन को आगे बढ़ाया। प्लेन को रनवे तक ले गया और प्लेन स्पीड से दौड़ने लगा इस बीच सुरक्षा में आया पुलिसकर्मी भी पीछे दौड़ने लगा लेकिन तब तक देखते ही देखते प्लेन टेक ऑफ कर चुका था। प्लेन हवा में उड़ने लगा। थोड़ी देर के बाद ये प्लेन तिहाड़ का रुख करता है। इस बीच पुलिस को भी खबर हो जाती है एटीसी को खबर दी जाती है। डैनियल का प्लेन तिहाड़ पर तीन चक्कर काटता है ऊपर से नीचे चाकलेट और सिगरेट गिराता है।

Shams Ki Zubani: जिसके बाद डैनियल प्लेन का डाइरेक्शन पाकिस्तान की तरफ कर देता है। जब तक फाइटर उसका पीछा करते वो प्लेन पाकिस्तान में लैंड कर जाता है। यहां जाकर डैनियल एक प्रेस कांफ्रेंस करता है और भारत सरकार पर आरोप लगाता है कि उसको लाल फीताशाही के तहत बेगुनाही पर भी जेल भेजा गया था। अब सवाल ये था कि वो भारत आया क्यों था? तिहाड़ के ऊपर सिगरेट चाकलेट क्यों गिराए? ये था कौन?

जांच में पता चला कि डैनियल अमेरिका के टैक्सास में पैदा हुआ था। सेकेंड वर्ड वॉर में उसने अमेरिकिन नेवी ज्वाइन किया। वर्ड वार के बाद वो सैंनफ्रांसिसको पहुंच गया जहां एक अमीर लड़की से शादी कर ली। जिसके बाद डैनियल ने ट्रांस अटलांटिक के नाम से एअरलाइन्स शुरु की। आरोप था कि रिफ्यूजी को लाने ले जाने के लिए प्लेन का इस्तेमाल किया जाता था और कीमती जानवरों की स्मगलिंग का भी आरोप था।

सवाल ये उठता है कि डैनियल भारत से कैसे जुड़ा? दरअसल 1962 में एअर इंडिया ने डैनियल की कंपनी ट्रांस अटलांटिक को काट्रेंट दिया कि अफगानिस्तान में काम चल रहा है जिसमें इसके कार्गो विमानों की जरुरत है। इसके प्लेन भी काम में लग गए। इसी बीच

भारत आकर इसने देखा कि राजा महाराजाओं को गोली हथियार की जरुरत है लिहाजा तस्करी करने लगा। तभी पुलिस को जानकारी मिली और यह अशोका होटल से गिरफ्तार हुआ था। तिहाड़ में रहने के दौरान तिहाड में कई कैदियों से डैनियल की दोस्तो हो गई थी और यही वजह है कि फरार होने के दौरान उसने जेल के दोस्तों के लिए चॉकलेट सिगरेट बरसाए थे। कैदियों ने खूब सिगरेट और चॉकलेट लूटे।  

भारत से भागने के बाद डैनियल ने स्मगलिंग का धंधा दोबारा शुरु कर दिया। भारत की एजेंसी तलाश में जुटी थी। तारीख 8 जून 1964 पाकिस्तान के कराची से एक विमान उड़ान भरता है। जिसमें पायलट कैप्टन मैकलिस्टर और को पायलट का नाम था पीटर जॉन फिल्बी। इस विमान को ईरान जाना था लेकिन यह अफगानिस्तान होते हुए भारत का रुख कर लेता है। ये प्लेन भारत की सीमा में दाखिल हो जाता हैं और बांबे से 80 किलोमाटर दूर पहुंच जाता है।

दरअसल यहां एक शख्स इनको हरे रंग के कपड़े से इशारा करता और इन्हे प्लेन वहीं उतारना था लेकिन वो शख्स नहीं मिला। इस बीच प्लेन का फ्यूल खत्म हो रहा था लिहाजा प्लेन नोज के बल जा गिरा और दुर्घनाग्रस्त हो गया। किसी तरह दोनो प्लेन से बाहर आए। लोगों की भीड़ लग गई और जनता ने दोनों को पुलिस के हवाले कर दिया। जहां से इनको दापोली पुलिस स्टेशन ले जाया गया। दोनों पायलट पुलिस को बताते हैं कि उन्होने अमृतसर के उड़ान भरी है। उन्हे प्लेन से जरुरी सामान निकालना है। सामान निकालने के बहाने मौके पर जाते हैं। दरअसल इस प्लेन में 700-800 स्विस घड़ियां रखी थीं जो दोनों नें बैग मे भर लीं।

Shams Ki Zubani: दोनों को पुलिस जिला मजिस्ट्रेट के सामने पेश करती है। मजिस्ट्रेट को भी दोनों आरोपी अमृतसर की कहानी सुनाते हैं और मांग करते हैं कि हमारे प्लेन की निगरानी की जाए। जिसके बाद दोनों घड़ियों से भरे बैग लेकर मुंबई पहुच जाते हैं। ये सैंटाक्रूज पहुचते हैं पाकिस्तान की फ्लाइट से पाकिस्तान पहुंच जाते हैं। इधर जांच शुरु हुई कि प्लान किसका है? जब तक पुलिस कुछ समझ पाती दोनों पाकिस्तान से लंदन पहुंच जाते हैं।

इसी बीच पाइलट कैप्टन मैकलिस्टर का जमीर जाग जाता है और वो एंबेसी पहुंच जाता है। एंबेसी को बताता है कि जो प्लेन लेकर ये भारत गया था उसका को-पायलट का असली नाम हैली है वो ही डैनियल हैली जो भारत को दो बार चकमा दे चुका था जिसके बाद हैली को लंदन में हिरासत में ले लिया गया।

हैली के पकड़े जाने की जानकारी के बाद भारतीय एजेंसी की टीम लंदन पहुंची लेकिन उसको अपने कब्जे में नहीं ले पाई। कुछ ही रोज में हिरासत से छूटनवे के बाद डैनियल तस्करी के धंधे में लगा रहा। इसी बीच डैनियल श्रीलंका में स्मगलिंग का सामान खपाने पहुंचा था और वहां से चेन्नई पहुच गया। जिसके बाद 2 अगस्त 1967 को भारतीय एजेंसियों ने डैनियल को गिरफ्तार कर लिया। डैनियल पर मुकदमा चला सभी धाराएं लगाई गई और अदालत नें उसे 7 साल की सजा सुनाई।

7 साल की सजा काटने के बाद वह जेल से रिहा हो गया। लोग बताते हैं कि जेल में उसने कऊ कैदियों से कहा था कि वो सीआईए का एजेंट है। डैनियल की रिहाई के बाद उसका केस बंद हो गया लेकिन कई सवाल अभी भी मुंह फैलाए खड़े थे। मसलन क्या वो एक बड़ा स्मगलर था? एअरलाइंस का मालिक या फिर वो एक सीआईए एजेंट था? खबर ये भी आई की साल 2000 में अमेरिका में ड्रग्स गैंग्स के साथ शूटआउट में डैनियल की मौत हो गई। डैनियल की पहेली आज भी एक पहेली बनी हुई है?

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