जबदस्त टक्कर दे रहे हैं ‘शेर-ए-पंजशीर’ तालिबान के लिए पंजशीर में जीतना मुश्किल अहमद मसूद की सेना को मिली मजबूती

शेर-ए-पंजशीर से Taliban को कड़ी टक्कर, Ahmad Massoud के command में Talibani मुश्किल में, अफगानी सेना के पूर्व कमांडर्स ने मसूद से हाथ मिलाया, मदद के लिए कुछ और नेता पहुंचे पंजशीर

CrimeTak

24 Aug 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:03 PM)

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‘शेर-ए-पंजशीर’ अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद की अगुवाई में नॉर्दर्न एलायंस (Northern Alliance) इस जगह तालिबान को कड़ी चुनौती दे रहा है। अफगानिस्तान के कार्यकारी राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह भी अपने लोगों के साथ यहां पर ही हैं। अफगानिस्तान (Afghanistan) पर तालिबान (Taliban) का कब्जा हो गया है, लेकिन इस संगठन की पकड़ से अभी भी पंजशीर का इलाका काफी दूर है। अब नॉर्दर्न एलायंस को तालिबान के खिलाफ जंग लड़ने में और भी मजबूती मिली है। अफगानी सेना के पूर्व कमांडर्स ने अब पंजशीर पहुंचकर अहमद मसूद (Ahmad Massaud) की सेना से हाथ मिला लिया है और अब वे सभी तालिबान के खिलाफ जंग लड़ने को तैयार हैं.

हेलिकॉप्टर से पहुंचाई जा रही है मदद

मदद के लिए कुछ और नेता पहुंचे पंजशीर

रिपोर्ट्स के मुताबिक, तालिबानी विरोधी गुट की मदद करने के लिए पूर्व उपराष्ट्रपति अहमद जिया मसूद और नॉर्दर्न एलायंस के पूर्व कमांडर अमानुल्लाह गुलजार पंजशीर पहुंचे हैं। उनके साथ उनके समर्थक और लड़ाके भी हैं। ये सभी अब अहमद मसूद की अगुवाई में नॉर्दर्न एलायंस का साथ देंगे, जो इस वक्त तालिबान के खिलाफ मोर्चा संभाले हुए हैं। ये दोनों अपने समर्थकों के साथ ताजिकिस्तान के जरिए पंजशीर पहुंचे हैं। ताजिकिस्तान से हेलिकॉप्टर के जरिए ये मदद पहुंचाई गई है। इनके साथ कई हथियार भी लाए गए हैं। ताजिकिस्तान की ओर से लगातार नॉर्दर्न एलायंस को मदद पहुंचाई जा रही है, इनमें हथियार और इन्फॉर्मेशन शामिल हैं।

पंजशीर, अंद्राब, बगलान समेत अन्य कुछ इलाकों में नॉर्दर्न एलायंस मजबूत

लड़ाकों ने तालिबान को कड़ी चुनौती दी

तालिबान अफगानिस्तान के हर प्रांत पर कब्जा कर चुका है, बस पंजशीर उससे दूर है। पंजशीर, अंद्राब, बगलान समेत अन्य कुछ इलाकों में नॉर्दर्न एलायंस के लड़ाकों ने तालिबान को कड़ी चुनौती दी है। इन जगहों पर करीब 300 से अधिक तालिबानियों को मार भी गिराया गया। यही कारण है कि तालिबान को बड़ा झटका लगा है। नॉर्दर्न एलायंस की अगुवाई कर रहे अहमद मसूद ने पहले ही साफ कर दिया है कि वह शांति चाहते हैं और अफगानिस्तान में ऐसी सरकार देखना चाहते हैं जो हर किसी को अपने साथ लेकर चले, लेकिन अगर तालिबान लड़ाई चाहता है तो वो लड़ने के लिए तैयार हैं और किसी भी कीमत पर पंजशीर उसके हाथ नहीं लगने देंगे।

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