Shams Ki Zubaani : ये क़िस्सा क़रीब 13 साल पुराना है। नेपाल के इतिहास की शायद सबसे ख़ूनी कहानी भी कहलाती है, अगर नेपाल के राजशाही ख़ानदान के क़त्ल के क़िस्से को अगर अलग कर दिया जाए तो। ये ऐसी कहानी है जिसको लेकर पूरे नेपाल में ज़बरदस्त ग़ुस्सा भी देखने को मिला था। नेपाल के स्कूल और कॉलेजों के छात्र और छात्राओं ने इस क़िस्से को लेकर पूरे देश में तरह तरह से अपना ग़ुस्सा ज़ाहिर किया था।
नेपाल का सबसे ख़तरनाक क़त्ल, एक टीचर का ख़ौफ़नाक ख़ूनी खेल, फ़िरौती भी ली और जान भी
Shams Ki Zubani, Indian gets 39-year jail for slaying Nepali schoolgirl, नेपाल में एक टीचर का खूनी खेल, 19 साल की लड़की के क़त्ल का सबसे खौफनाक क़िस्सा, फिरौती भी ली और जान भी, कहानी क्राइम की
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26 Apr 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:17 PM)
हालात ऐसे बन गए थे कि जिन आरोपियों का नाम इस क़त्ल के किस्से से जुड़ा हुआ था, उनकी जान तक को ख़तरा महसूस हो गया था और पुलिस के लिए उनकी हिफ़ाज़त करना मुश्किल होता जा रहा था। असल में लोग आरोपियों को लेकर इस क़दर ग़ुस्से में थे कि वो हाथों हाथ इंसाफ़ पाना चाहते थे। यानी लोग इसी बात की ही फिराक में थे कि किसी तरफ आरोपी भीड़ के हत्थे चढ़ जाएं और भीड़ अपना इंसाफ़ खुद हासिल कर ले। ऐसे में नेपाल की सरकार और पुलिस बंदोबस्त को इस ख़ूनी क़िस्से का पूरा सच जल्द से जल्द सामने लाने को मजबूर कर दिया था।
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Qissa Nepal Ka: क्राइम की ये कहानी साल 2009 की है। हालांकि इस कहानी की शुरुआत तो उससे भी पहले ही हो जाती है। काठमांडो में एक टीचर था, नाम था बिरेन प्रधान, जो अपने नाम के आगे श्रेष्ठ भी लगाता था। यानी उसकी दो पहचान थी, बिरेन प्रधान या बिरेन श्रेष्ठ। बिरेन प्रधान मूल रूप से भारत का रहने वाला था।
भारत के दार्जिलिंग के इलाक़े से वो क़रीब 20 साल पहले नेपाल चला गया था। और वहां एक कॉलेज में साइंस का टीचर बन गया था। खाते पीते घर से ताल्लुक रखने वाले बिरेन प्रधान ने जल्दी ही नेपाल में अपना एक घर भी बना लिया था। और अपने घर के कई हिस्सों को किराए पर उठा दिया था।
उसके घर के किराएदारों में से एक परिवार था श्रेष्ठा परिवार। उस परिवार में पति पत्नी के साथ उनकी एक बेटी भी थी। जो स्कूल में पढ़ रही थी। नाम था ख़्याति श्रीवास्तव। ख़्याति पढ़ने लिखने में काफी तेज़ थी। दसवीं पास करने के बाद ख्याति कॉलेज में पहुँची।
इसी बीच बिरेन प्रधान ने अपना वो घर बेच दिया जिसमें ख्याति और उसके माता पिता के साथ साथ दूसरे किराएदार भी रह रहे थे। बिरेन के मकान बेचने की वजह से किराएदारों को घर छोड़ना पड़ा। ख़्याति श्रीवास्तव का परिवार बीरथनगर में जाकर किराए पर रहने लगा। जबकि बिरेन प्रधान किसी दूसरे इलाक़े में रहने लगा।
Teacher murder Story: अपनी सयानी होती बेटी की आगे की पढ़ाई की ख़ातिर ख्याति श्रेष्ठा के माता पिता बीरथनगर से काठमांडो चले गए और वहां एक किराए के मकान में रहने लगे। और ख़्याति का दाखिला जुबिलिएंट कॉलेज रिसर्च सेंटर में करवा दिया जाता है। ख़्याति अब 12वीं में पढ़ रही थी।
इसी बीच 5 जून 2009 को ख़्याति के पास उसके फोन पर एक मैसेज मिलता है जिसमें महिलाओं की पत्रिका की तरफ से उसे लकी ड्रॉ में इनाम मिलने की सूचना दी गई थी। मैसेज में दर्ज इबारत के मुताबिक इनाम के तौर पर उसे 20 हज़ार नेपाली रुपये के अलावा नेपाल के सबसे ख़ूबसूरत पर्यटन स्थल पोखरा जाने का टिकट देने की बात थी।
हालांकि ख़्याति के लिए ये बात बेहद चौंकानें वाली थी लेकिन महिलाओं की पत्रिका की तरफ से इनाम दिए जाने की बात को वो लेकर थोड़ा निश्चिंत रहती है। उसके पास एक अनजान लड़की की तरफ से कॉल आती है जिसमें कहा जाता है कि वो अपने इनाम की रकम और पोखरा का टिकट लेने के लिए दोपहर एक बजे के आसपास बताए गए पते पर पहुँच जाए।
Shams Ki Zubaani :ख़्याति अपने माता पिता को इसकी इत्तेला देती है। बेटी को 20 हज़ार रुपये मिलने और पोखरा का रिटर्न टिकट मिलने की बात से माता पिता भी खुश हो जाते हैं। ख्याति अपने घर के नौकर राम के साथ काठमांडो के पुताली सड़क के पते पर दिए गए वक़्त पर पहुँच जाते हैं।
नौकर राम उस पते पर ख्याति को पहुँचाकर घर वापस लौट आता है। उस पते पर ख़्याति की मुलाक़ात एक लड़की से होती है, जो ख़ुद को मैग़ज़ीन का प्रतिनिधि बताती है और इनाम के लिए औपचारिकता पूरी करने का हवाला देकर ख्याति को लेकर पास के एक अपार्टमेंट में ले जाती है।
अपार्टमेंट में पहुँचकर ख़्याति वहां एक शख्स को देखकर बुरी तरह चौंक जाती है। वो शख्स कोई और नहीं बल्कि बिरेन प्रधान ही था। जो कुछ वक़्त पहले तक ख़्याति का मकान मालिक हुआ करता था, और ख़्याति उसे अंकल बुलाती थी। बिरेन प्रधान भी ख़्याति को देखकर चौंकने का नाटक करता है। थोड़ी बातचीत के बाद बिरेन प्रधान ख़्याति को कोल्ड ड्रिंक ऑफर करता है।
चूंकि ख़्याति पहले से ही बिरेन को पहचानती थी लिहाजा उसकी ऑफर की गई कोल्ड ड्रिंक को बेहिचक पी जाती है। कोल्ड ड्रिंक पीते ही ख़्याति बेहोश हो जाती है, क्योंकि कोल्ड ड्रिंक में बेहोशी की दवा मिली हुई थी। ख़्याति के बेहोश होने के बाद उसका कोई पता नहीं चलता।
उधर वक़्त गुज़रता जाता है, दोपहर से शाम हो जाती है लेकिन ख़्याति घर नहीं लौटती। तो उसके घरवाले परेशान होने लगते हैं। अपनी बेटी की तलाश में माता पिता दोनों ही भटकने लगते हैं तभी शाम के वक़्त ख्याति के पिता के मोबाइल पर एक मैसेज आता है।
उस मैसेज को पढ़कर ख्याति के पिता के पैरों तले से ज़मीन ख़िसक जाती है। क्योंकि मैसेज में साफ साफ लिखा था कि उन लोगों ने ख़्याति को किडनैप कर लिया है। उसकी सलामती के लिए फिरौती के तौर पर 10 लाख नेपाली रुपयों की मांग की जाती है। लेकिन ख्याति के पिता मैसेज का अगला हिस्सा पढ़कर बुरी तरह बेचैन हो जाते हैं। उसमें साफ साफ लिखा था कि अगर इस बारे में किसी को ख़बर दी तो ख़्याति ज़िंदा नहीं बचेगी।
Shams Ki Zubaani : अपनी इकलौती बेटी के इस तरह अगवा किए जाने की इत्तेला मिलने के बाद घबराए हुए ख़्याति के पिता अपनी पत्नी से बात करते हैं। पति पत्नी इस उहापोह में थे कि अगर उन्होंने कहीं इस बारे में पुलिस को बताया तो किडनैपर्स उनकी बेटी को मार न डाले। क्योंकि किडनैपिंग और मर्डर के ऐसे अनगिनत क़िस्से उन्होंने देख और सुन रखे थे।
किडनैपिंग के ऐसे मामलों में अक्सर यही देखने को मिलता है कि जैसे ही किडनैपर्स को ख़तरा महसूस होता है तो उसकी जान ख़तरे में पड़ जाती है जिसे अगवा किया गया होता है। लिहाजा पति पत्नी तय करते हैं कि वो पुलिस को इस किडनैपिंग की इत्तेला नहीं देंगे बल्कि 10 लाख रुपये का इंतज़ाम करने में जुट जाते हैं। क्योंकि मैसेज में लिखा हुआ था कि पैसों का इंतज़ाम होने के बाद वो लोग उन्हें आगे का रास्ता बताएंगे।
Shams Ki Zubaani : अगले रोज सुबह ख्याति के पिता को एक और मैसेज मिलता है। उस मैसेज के मुताबिक ख्याति के माता पिता को पैसों के साथ एक तय जगह बुटवाल पर पहुँचने को निर्देश दिया जाता है। जैसे ही ख्याति के घरवाले बुटवाल पहुँचते हैं उन्हें मैसेज के ज़रिए बताया जाता है कि बुटवाल की जगह चितवन पहुँचने को कहा जाता है।
जैसे ही ये लोग चितवन पहुँचते हैं तो वहां फिर उन्हें एक मैसेज मिलता है जिसमें कहा गया था कि अब वो लोग सुनौली पहुँचें। ये लोग सुनौली पहुँच जाते हैं। इस मैसेज में एक बात खासतौर पर लिखी हुई थी, जिसके मुताबिक फिरौती लेकर ख़्याति के पिता नहीं आएंगे बल्कि उसकी मां जाएगी। मां अपने नौकर राम को साथ लेकर फिरौती के दस लाख रुपये के साथ बताई गई जगहों पर पहुँचती रही। लेकिन एक जगह से दूसरी जगह उसे बार बार आने का मैसेज मिलता रहा।
सुनौली पहुँचने के बाद ख़्याति की मां को फिर मैसेज मिलता है कि आप दार्जिलिंग पहुँचिए। ये लोग बॉर्डर पार करके दार्जिलिंग जाते हैं। दार्जिलिंग पहुँचने के बाद उन्हें फिर एक मैसेज मिलता है जिसके मुताबिक उन्हें काकरभिट्टा पहुँचने को कहा जाता है। ये दोनों पैसों के साथ काकरभिट्टा पहुँच जाते हैं। काकरभिट्टा पहुँचते ही इन्हें एक होटल का पता दिया जाता है। कहा जाता है कि आपको कोई आदमी मिलेगा।
Shams Ki Zubaani : ख़्याति की माँ दिए गए होटल के पते पर पहुँचती है तो वहीं उनकी नज़र बिरेन प्रधान पर पड़ती है। वो सोचती हैं, लेकिन तभी उनको एक मैसेज मिलता है जिसमें लिखा हुआ था कि पैसों के साथ नौकर राम को होटल के एक ख़ास हिस्से में भेजने को कहा गया था। उस मैसेज में साफ साफ लिखा था कि मां को आने की ज़रूरत नहीं है।
राम पैसे लेकर होटल के उस हिस्से में पहुँचता है जहां उसे जाने को कहा गया था। वहां राम को एक शख्स मिलता है। वो राम से पैसे लेता है। राम उस शख्स को पहचान लेता है वो शख्स कोई और नहीं बिरेन प्रधान ही था। राम पैसे देकर लौट आता है। अब ख्याति मां को उम्मीद हो जाती है कि पैसे दे दिए हैं तो शायद उनकी बेटी सही सलामत लौट आए। यही सोचते सोचते ख्याति की मां और उनका नौकर राम वापस काठमांडो लौट जाते हैं।
अब उनके पास सिवाय इंतज़ार के कुछ भी नहीं बचा था। पूरा दिन निकल जाता है, सुबह से शाम और शाम से रात होती जाती है लेकिन बेटी वापस नहीं आती है। और न ही आने की कोई ख़बर आती है। चौंकाने वाली बात ये है कि जिस नंबर से अभी तक मैसेज आ रहे थे। पैसे मिलने के बाद उस नंबर से मैसेज भी आने बंद हो जाते हैं।
Shams Ki Zubaani : बुरे ख़्यालों में डूबे ख्याति के माता पिता दोनों परेशान हो जाते हैं। लेकिन उन दोनों को इस बात का भी डर सता रहा था कि अगर ग़लती से भी पुलिस को बता दिया तो कहीं उनकी बेटी के साथ कोई अनहोनी न हो जाए। लेकिन जब इंतज़ार लंबा हो गया और उनके बर्दाश्त की हद हो गई तो मजबूरन माता पिता दोनों पुलिस के पास पहुँच जाते हैं और अपनी बेटी के अगवा किए जाने की रिपोर्ट लिखवाते हैं।
और साथ ही पुलिस अफसर को पूरा क़िस्सा सुना देते हैं। पुलिस उन दोनों से पूछताछ करती है और ऐसी बातों का खुलासा करने को कहते हैं जो उन्हें इस पूरे प्रकरण के दौरान सबसे अलग और अजीब लगा हो।
तब ख्याति की मां काकरभिट्टा के उस होटल में बिरेन प्रधान को देखने की बात कहती है। और ये भी कहती है कि बिरेन प्रधान को देखकर क्यों चौंकी थी। तब पुलिस शक के आधार पर बिरेन प्रधान के बारे में पता लगाना शुरू करती है। पुलिस को पता चलता है कि वो घर पर है ही नहीं। इस बीच पुलिस की पूरी टीम ने बिरेन प्रधान की सारी कंडली खंगाल डाली।
Shams Ki Zubaani : दिन गुज़रते जा रहे थे, ख्याति के माता पिता का रो रोकर बुरा हाल हो रहा था, और पुलिस की दौड़ भाग़ भी खाली जाती दिखाई दे रही थी। इसी बीच पुलिस को अलग अलग इलाक़ों से इंसानी जिस्म के टुकड़े मिलने की ख़बरें सामने आने लगी थीं। हैरानी की बात ये थी कि ये इंसानी लाश के टुकड़े काठमांडो से दूर दूर जंगली और वीरान इलाक़ों में ही मिल रहे थे।
कहीं हाथ के दो टुकड़े मिलते हैं तो कहीं पैर के तीन टुकड़े मिलते हैं। पुलिस इन टुकड़ों को समेटती रहती है। ख़्याति को लापता हुए 15 दिन गुज़र जाते हैं। इसी बीच पुलिस को कुछ राहगीरों ने एक इंसानी सिर के मिलने की इत्तेला दी जो पूरी तरह से ख़राब हो चुका था। उससे इंसान की पहचान करना मुमकिन नहीं था। पुलिस उस सिर को भी दूसरे इंसानी लाश के टुकड़ों की तरह उठाकर रख लेती है।
Shams Ki Zubaani : इसी बीच पुलिस को मुखबिर से बिरेन प्रधान का पता चल जाता है और पुलिस दबिश डालकर उसको दबोच लेती है। पुलिस की पकड़ में आने के बाद बिरेन प्रधान को पुलिस के सवालों का सामना करना पड़ता है। बिरेन पुलिस के ज़्यादातर सवालों के जवाब तो दे देता है लेकिन वो उन सवालों के जवाब नहीं दे पाता कि आखिर वो उस होटल में क्यों गया और वहां क्या कर रहा था?
इस मामले की तफ़्तीश नेपाल पुलिस की क्राइम ब्रांच को सौंप दी जाती है तो वो बिरेन प्रधान से सख़्ती से पूछताछ करती है। पुलिस की सख़्ती से की गई पूछताछ के बाद बिरेन प्रधान टूट जाता है और फिर वो कहानी सामने आती है, जिसने पूरे नेपाल को ही दहलाकर रख दिया।
असल में बिरेन प्रधान पैसे वाले परिवार से था। काठमांडो में साइंस का टीचर भी था और वहीं एक मकान बनवाकर उसमें किराएदार भी रखे थे। लिहाजा उसकी अच्छी ख़ासी कमाई हो रही थी। इसी बीच बिरेन प्रधान को जुए की लत लग गई। वो काठमांडो के कसीनों में खूब जुआ खेलता और हार जाता।
वो इतनी रकम हार गया कि उस पर अच्छा ख़ासा कर्जा हो गया। उस कर्ज से छुटकारा पाने के लिए ही बिरेन ने काठमांडो का अपना घर भी बेच दिया और किराए के मकान में रहने लगा। मगर उसका कर्ज फिर भी नहीं उतरा। तब उसने एक जुर्म करने का इरादा किया जिससे वो इतनी रकम उगाह सके जिससे उसका कर्ज भी उतर जाए और उसे जुए के लिए रकम भी मिल जाए।
Shams Ki Zubaani : 5 जून 2009 से कुछ रोज पहले ही बिरेन को ये पता चलता है कि ख़्याति के माता पिता उसे लेकर काठमांडो आ गए हैं और वहां किराए के मकान में रह रहे हैं। लिहाजा बिरेन उनसे मिलने के लिए ख़्याति के घर पहुँचा। यहां पहुँचने के बाद बिरेन को पता चलता है कि ख़्याति के माता पिता ने अपनी बेटी को लेकर बड़े बड़े सपने पाल रखे हैं।
चूंकि वो पढ़ने लिखने में तेज़ थी, लिहाजा माता पिता ने अपनी बच्ची को आगे विदेश में भेजकर पढ़ाने लिखाने का इरादा कर लिया था और इसके लिए उन लोगों ने अपनी कुछ जायदाद भी बेच दी थी। विरेन प्रधान को जब ये पता चल जाता है कि ख्याति के माता पिता के पास अच्छी ख़ासी रकम मौजूद है, तो उसके दिमाग में एक साज़िश की बुनियाद पड़ती है। और तब उसने फिरौती के लिए ख़्याति को किडनैप करने का प्लान बनाया।
बिरेन की इस साज़िश में एक और स्टूडेंट भी शामिल थी। उसका नाम था मैरिना शाक्या। इत्तेफाक़ से वो लड़की भी 18 -19 साल की ही थी। और उसी स्कूल में पढ़ती थी जहां बिरेन पढ़ाता था। पैसों का लालच देकर बिरेन ने उस लड़की को अपनी साज़िश में शामिल कर लिया। और तब फोन करने के लिए विरेन ने उस लड़की का इस्तेमाल किया।
मैरीना ने ही 5 जून 2009 को ख़्याति को फोन करके उसे इनाम जीतने की खबर दी थी और उसे फोन करके अपने पास बुलाया था और ख़्याति के वहां पहुँचने के बाद उसे लेकर विरेन के पास तक गई थी। बस मैरीना का क़िस्सा यहीं तक था।
Shams Ki Zubaani : मैरीना के वहां से जाने के बाद विरेन ने बेहोश ख़्याति की गला घोंटकर हत्या की और फिर विरेन ने ख़्याति के शरीर के टुकड़े किए और उन टुकड़ों को काठमांडो के क़रीब 17 किलोमीटर के दायरे में अलग अलग हिस्सों में जंगलों और नदियों में ले जाकर फेंका।
बिरेन का इरादा यही था कि लाश के टुकड़ों को बीनते बीनते पुलिस परेशान हो जाएगी और अगर वो इन टुकड़ों को आपस में जोड़ेगी भी तो भी लाश की पहचान नहीं हो सकेगी और पुलिस उलझकर रह जाएगी।
इस मामले का सबसे हैरतअंगेज़ पहलू यही है कि ख़्याति के बेहोश होने के महज एक घंटे के भीतर ही बिरेन ने उसका क़त्ल कर दिया था। और हत्या के क़रीब 4 से पांच घंटों के बाद उसने ख़्याति की लाश को टुकड़ों में तब्दील कर दिया था और उसके बाद उसने फिरौती का पहला मैसेज किया था। यानी ख़्याति को मारने के बाद उसकी सही सलामत वापसी के लिए 10 लाख रुपये उसने मांगे थे।
Shams Ki Zubaani : इस क़त्ल के खुलासे के बाद नेपाल के छात्र और छात्राओं में ज़बरदस्त ग़ुस्सा था, वो विरेन प्रधान और मैरीना शाक्या को हाथों हाथ मारकर इंसाफ़ की गुहार लगा रहे थे। कई बार दोनों को कोर्ट के रास्ते में लोगों ने हमले तक किए जिसकी वजह से पुलिस को बहुत परेशानियों को सामना करना पड़ा। क्या अजीब इत्तेफ़ाक है कि विरेन प्रधान और मैरीन शाक्या को भी पुलिस ने उसी जेल में बंद किया जिसमें बिकनी किलर चार्ल्स शोभराज बंद है।
उधर अदालत ने भी इस मामले में बहुत तेज़ी दिखाई और एक साल के भीतर ही फैसला भी सुना दिया। ख़्याति को अगवा करने और उसका क़त्ल करने के इल्ज़ाम में अदालत ने विरोन प्रधान को 39 साल की सज़ा सुनाई। जबकि इस क़त्ल के मामले में अदालत ने मैरीना शाक्या को 20 साल की सज़ा सुनाई। हालांकि मैरीना शाक्या ने अदालत के सामने कहा कि उसे विरेन ने धमकी दे रखी थी साथ ही उसे क़त्ल के बारे में कुछ भी नहीं पता था। लेकिन अदालत ने उसकी इस दलील को नहीं माना।
नेपाल के इतिहास में ये शायद इकलौता ऐसा मर्डर केस है जिसने लोगों को बुरी तरह झकझोर कर रख दिया था।
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