जब-जब दुनिया भर से सीरियल किलिंग की कोई कहानी सामने आती है तो नाम आता है अमेरिका के सीरियल किलर एड गीन (Serial Killer Ed Gein) का....एड गीन की करतूतों की कहानी इतनी डरावनी है कि जब पहली बार अमेरिकी पुलिस ने एड गीन के घर में कदम रखा तो वो ठिठक कर रह गई थी ।घर के अलग-अलग फर्नीचर को बनाने में इंसानी जिस्म के टुकड़ों का इस्तेमाल किया गया था। कुर्सी पर बैठने वाली गद्दी को इंसानी खाल से बनाया गया था ।
वो इंसानी खाल का सूट बना रहा था ताकि वो अपनी मरी मां के जिस्म में घुस सके
serial killer ed gein
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23 Jul 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:02 PM)
नाइटलैंप के कवर को बनाने के लिए महिला के चेहरे की खाल को बड़ी सफाई से चेहरे से अलग किया गया था। खाल को सुखाने के बाद उससे नाइट लैंप का कवर बनाया गया था। इतना ही नहीं पर्दे खींचने वाली डोरी पर लगने वाले जो बटन होते हैं उसकी जगह जीन ने किसी महिला के चेहरे से अलग किए गए होठों को लगा रखा था।
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एड जीन का जन्म साल 1906 में लॉ क्रासी काउंटी शहर में हुआ था । ये शहर अमेरिका के विस्कॉन्सिन राज्य में पड़ता है । जीन के पिता का नाम जॉर्ज जबकि उसकी मां का नाम अगस्ता था , एड जीन का एक बड़ा भाई भी था जिसका नाम हैनरी था । अगस्ता जितना भगवान को मानने वाली थी जीन का पिता उसके बिल्कुल उलट था । जीन का पिता जॉर्ज काफी शराब पीता था जिसकी वजह से शहर में उसका धंधा चौपट हो गया और वो अपने परिवार को लेकर विस्कॉन्सिन के ही प्लेनफील्ड फॉर्म ( BUTCHER OF PLAINFIELD) आ गया और यहां पर उसने खेती करना शुरु कर दिया।
जीन और उसके भाई का दाखिला पास के ही एक छोटे शहर के स्कूल मे करा दिया गया। जीन की मां अगस्ता को लगता था कि फॉर्म में रहने की वजह से जीन और हैनरी को अपने पिता की तरह से कोई बुरी आदत नहीं लगेगी । अगस्ता दोनों को हर रोज बाइबल पढ़कर सुनाया करती थी। वो नहीं चाहती थी कि उसके बेटों की किसी से दोस्ती हो या फिर कोई बाहरी शख्स उसके घर में आए-जाए। बचपन से ही इन सब चीजों का असर जीन के दिमाग पर होने लगा था ।
अगर वो स्कूल में अपना कोई दोस्त बनाता तो जीन की मां उसको पीटा करती थी । इसी वजह से जीन का ज्यादातर बचपन अपने भाई और मां के साथ ही गुजरा । वो अपनी मां से बेहद प्यार करता था जबकि पिता की ओर कोई लगाव नहीं था। 1 अप्रैल 1940 को 66 साल की उम्र में एड जीन के पिता जॉर्ज की मौत हो गई।
पिता की मौत के बाद जीन और हैनरी बाहर जाकर छोटे-मोटे काम करने लगे । उन्हें जो भी काम मिलता वो कर लेते । जीन ने काफी वक्त तक कई घरों में बेबीसिटर (BABYSITTER) का भी काम किया । इस दौरान जीन बिल्कुल ठीक था । उसके खिलाफ किसी भी तरह की कोई भी शिकायत सामने नहीं आई।
मई 1944 में एक दिन जीन अपने बड़े भाई हैनरी के साथ खेतों की सफाई कर रहा था । खरपतवार खत्म करने के लिए उन्होंने वहां उगी घास में आग लगा दी । खेत में लगी आग बेकाबू हो गई आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड की मदद लेनी पड़ी। आग तो बुझ गई लेकिन अचानक हैनरी गायब हो गया । हैनरी की गुमशुदगी की खबर पुलिस को भी दी गई और जब फॉर्म हाउस पर ही उसको तलाशा गया तो हैनरी की लाश खेत से ही मिली ।
लाश को देखकर पुलिस ने अंदाजा लगाया कि दम घुटने की वजह से हैनरी की मौत हुई है क्योंकि उसके शरीर पर जलने का काई निशान नहीं था। इस मौत को हादसा मानकर तफ्तीश नहीं की गई। अब फॉर्म पर एड जीन और उसकी मां ही बचे थे। हैनरी की मौत से दुखी अगस्ता को लकवा मार गया । मां की ये हालत देखकर जीन बेहद दुखी हुआ और अब उसका पूरा वक्त मां की सेवा में जाने लगा ।
हालांकि काफी तिमारदारी के बावजूद अगस्ता की तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ दिसंबर 1945 में उनकी मौत हो गई। मां की मौत के बाद जीन ने अपने घर के वो सभी कमरे बंद कर दिए जिनका इस्तेमाल उसकी मां किया करती थी। वो खुद घर के एक कमरे में सिमट गया जो रसोई के पास था और वो यहीं पर रहा करता था।
मां के जाने के बाद जीन बेहद अकेला पड़ गया और अब वो अपने फॉर्म की ही देखभाल करता था। वो अकेला रहता, किसी से ज्यादा मिलना-जुलना नहीं करता था। इसी बीच उसे कैनिलिज़म् की किताबों को पढ़ने का चस्का लग गया और इससे जुड़ी वो तमाम किताबें पढ़ने लगा।
एड जीन की मां की मौत को 12 साल का वक्त बीत चुका था । साल 1957 में प्लेनफील्ड में ही हॉर्डवेयर की दुकान चलाने वाली एक अधेड़ उम्र की महिला बर्नीस वॉर्डन अचानक गायब हो गईं। गायब होने से पहले आखिरी बार उन्हें रात में देखा गया था । जिसके बाद से ही उनका स्टोर बंद था । इलाके के लोगों को लगा कि वो जल्दी दुकान बंद कर घर चली गई हैं । लेकिन जब अगले दिन दुकान नहीं खुली और ना ही बर्नीस अपने घर पहुंची तो उनके बेटे का माथा ठनका ।
बर्नीस का बेटा पुलिस में काम करता था । अपनी मां की तलाश करते हुए वो दुकान पर पहुंचा। जब दुकान खोली गई तो वहां का मंजर भयानक था । दुकान के अंदर खून बिखरा हुआ था । बर्नीस के बेटे फ्रैंक ने देखा कि आखिरी रसीद एड जीन के नाम पर कटी है और उसे कुछ सामान लेने के लिए दुकान पर भी आना था लेकिन वो भी दुकान पर नहीं आया। ऐसे में फ्रैंक ने तय किया की वो एड जीन के घर पर जाकर ही पता करता है कि वो कहां है।
फ्रैंक पुलिसवालों को लेकर जीन के घर पहुंचा ज्यादा देर तक जीन उनके सवालों के सामने नहीं टिक पाया । फ्रैंक को शक हुआ और फॉर्म की तलाशी लेना शुरु किया गया। पहली बार जब पुलिसवाले एड जीन के घर में दाखिल हुए तो उनका कलेजा मुंह को आ गया। हर तरफ इंसानी जिस्म के हिस्से बिखरे हुए थे। घर में इंसानी खोपड़ी और कंकाल के कई हिस्से पड़े हुए थे।
घर की कुर्सियों की सीट इंसानी खाल से बनी हुई थी। खाने के बर्तन इंसानी खोपड़ी और शरीर के दूसरे हिस्सों से बनाए गए थे। इंसान के चेहरे की खाल से मास्क बनाए थे। इंसानी चेहरे से लैंपशेड बनाया गया था। इंसानी खाल के अलावा पुलिस को वहां से अंगुलियों के नाखून, नाक के टुकड़े, धड़ के हिस्से और करीब नौ महिलाओं के प्राइवेट पार्ट भी मिले । खोजबीन करने पर बर्नीस वॉर्डन की लाश भी पुलिस को मिल गई थी।
उसका सिर काट कर धड़ से अलग कर दिया गया था, दिल निकालकर एक पॉलीथिन में टांगा था और उसकी लाश को लोहे की हुक से इस तरह से लटकाया गया था जैसे कि अक्सर कसाई जानवरों को अपनी दुकान में लटकाते हैं यानि उसकी एक टांग में लोहे का हुक घुसा हुआ था जिस पर उसका पूरा बदन लटका हुआ था।
अब सवाल ये था कि आखिरकार इंसानी शरीर के इतने हिस्से एड जीन के घर में कैसे आए। अब पुलिस एड को थाने लेकर आई । पूछताछ शुरु हुई और एड एक के बाद एक खौफनाक खुलासे कर रहा था । एड के मुताबिक साल 1947 से 1952 के दौरान वो करीब चालीस बार आसपास के तीन कब्रिस्तानों में गया और उसने वहां पर कई कब्रों को खोदा ।
जीन ने बताया कि वो केवल ऐसी कब्रों को निशाना बनाया करता था जिसमें हाल में ही किसी महिला को दफनाया गया हो। वो ऐसी महिलाओं की कब्र खोदा करता था जो पचास साल से ऊपर हुआ करती थीं क्योंकि उनमें उसे अपनी मां नजर आती थी। एड जीन ने बताया कि रात होते ही उसके दिमाग पर अजीब सी मदहोशी छा जाती थी । वो खुद पर काबू नहीं रख पाता था और इसी मदहोशी के आलम में वो पास के कब्रिस्तान में पहुंच जाता।
वहां जाकर वो कब्र खोदता और लाश को बाहर निकालने की कोशिश करता । जीन ने बताया कि करीबन तीस बार ऐसा हुआ कि जैसे ही वो कब्र से लाश बाहर निकालने वाला था वैसे ही उसके दिमाग पर छाई मदहोशी खत्म हो गई तो उसने लाश को कब्र में ही छोड़ दिया और वापस घर लौट आया
हालांकि नौ बार ऐसा हुआ कि वो अपनी कार में महिलाओं की लाशें लादकर घर लाया । इसके बाद जीन उनके जिस्म के अलग-अलग हिस्सों से खाल उतारने का काम करता था। जीन ने बताया कि वो कब्रिस्तान से चुराई गई महिलाओं की लाशों की खाल से एक सूट बनाना चाहता था। उसको लगता था कि अगर वो महिलाओं की खाल से बने सूट को पहन लेगा तो वो अपनी मां के जिस्म में घुस जाएगा। इस रास्ते से वो एक बार फिर अपनी मां के करीब होगा ।
गिरफ़्तारी के बाद जीन पर मुकदमा चलाया गया लेकिन उसकी मानिसक हालत को देखते हुए उसे पागलखाने भेज दिया गया। 1957 से लेकर 1968 तक जीन का इलाज चला और डॉक्टरों ने साल 1968 में जीन को सजा के लिए ठीक पाया लेकिन कुछ वक्त बाद ही डॉक्टरों ने उसकी मानिसक हालत फिर खराब बताई ।
इसके बाद एड जीन मरते दम तक पागलखाने में ही रहा और 77 साल की उम्र में 26 जुलाई 1984 को उसकी मौत हो गई जिसे बाद में उसकी मां और भाई की कब्र के पास ही दफ्ना दिया गया। पागलखाने में रहने के दौरान ही एड जीन के घर को किसी ने आग लगा दी जबकि उसकी मौत के बाद उसके खेत और कार को सरकार ने नीलाम कर दिया।
नीलामी में उसकी कार खरीदने वाला शख्स लाशें ढोने वाली कार को देखने के लिए टिकट लगाता था और लोग एड जीन की उस कार को देखने के लिए आया करते थे । एड जीन को लेकर हॉलीवुड में कई फिल्में भी बनाई गई हैं जिसमें psycho और silence of the lambs जैसी फिल्में शामिल हैं।
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