रूस के जिस बमों के बाप की दुनिया में हो रही चर्चा उसकी पूरी खासियत जान लीजिए

Russia vs Ukraine war: रूस के जिस बमों के बाप की दुनिया में हो रही चर्चा उसकी पूरी खासियत जान लीजिए

CrimeTak

26 Feb 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:14 PM)

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Russia vs Ukraine war : यूक्रेन पर रूस के ताबड़तोड़ हमले के बीच चर्चा उस बमों के बाप की हो रही है. ऐसा कहा जा रहा है कि रूस के पास एक फॉदर ऑफ बम है. इस बम से कुछ सेकेंड में ही यूक्रेन का काफी हिस्सा इस कदर से तबाह हो जाएगा जहां कोई कण बचना मुश्किल है. मीडिया में भी बमों के बाप की खबर की चर्चा है.

लेकिन क्या आप उस बम की पूरी खासियत जानते हैं. तो आइए जानते हैं कि आखिर क्या और कैसा है वो बम. इसे क्यों कहा जा रहा है कि फादर ऑफ ऑल बॉम्स.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के पास 'फॉदर ऑफ ऑल बम' (FOAB) है. यह एक नन न्यूक्लियर बम है, लेकिन काफी शक्तिशाली है. ब्रिटिश मीडिया ने तो सूत्रों के हवाले से यह भी लिखा है कि पुतिन ने यूक्रेन में इस बम के इस्तेमाल की इजाजत दे दी है.

ब्रिटिश अखबार मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, रक्षा विभाग के सूत्रों ने जानकारी दी है कि राष्ट्रपति पुतिन ने Father of All Bombs के इस्तेमाल का आदेश दे दिया है. इसका इस्तेमाल झटका देने और डराने (“sock and awe” campaign) के लिए किया जा सकता है. नन न्यूक्लियर होने के बावजूद इसका असर काफी भीषण होगा.

रूस ने साल 2007 इसे किया था तैयार

रूस के पास जो ये बम है, वो थर्मोबेरिक बम है. ये 300 मीटर के रेडियस में ब्‍लास्‍ट करने के बाद भारी नुकसान पहुंचा सकता है. FOAB को रूस ने साल 2007 में डेवलप किया था. 2007 में जब ये लॉन्‍च किया गया था तो ये कहा गया था कि ये अमेरिकी वर्जन से 4 गुना ज्‍यादा ताकतवार है.

अगर इसकी तुलना अमेरिका के 'मदर ऑफ ऑल बम' (MOAB) से तुलना की जाए तो उससे काफी शक्तिशाली है, MOAB बम की तुलना में ये 4 गुना बड़ा है. रूसी बम 44 टन TNT का है. TNT को सामान्‍य भाषा में एक बम की विस्‍फोटक क्षमता के तौर पर देखा जाता है.

अमेरिका ने किया था MOAB का प्रयोग


इससे पहले अमेरिका ने 2017 में इस्‍लामिक स्‍टेट के खिलाफ MOAB का प्रयोग किया था. MOAB मतलब 'मदर ऑफ ऑल बम'. इसे अमेरिका ने पहली बार इस तरह के ऑपरेशन में यूज किया था. हालांकि, तब अमेरिकी सरकार ने धमाके में मारे गए लोगों की संख्या बताने से इनकार कर दिया था.

सरकार ने कहा था कि सुरंग में घुसकर डेड बॉडी की गिनती करना कोई अच्छा आइडिया नहीं होता. वहीं, इसकी टेस्टिंग फ्लोरिडा में मौजूद इग्‍लेन एयरफोर्स बेस में 21 नवम्‍बर 2003 को हुई थी.

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