आख़िर तालिबान की टेरर कैबिनेट का पाकिस्तान एंगल क्या है ? इस्लामाबाद कुछ ऐसे कंट्रोल करेगा काबुल की तालिबानी सरकार

Pakistan’s Supports to the Taliban government with help from haqqanis

CrimeTak

08 Sep 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:04 PM)

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15 अगस्त को तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया और सात सिंतबर को नई सरकार का एलान हो गया। एलान से साथ ही तालिबानी कैबिनेट के चेहरों ने पूरी दुनिया को चौंकाया I जिस बात का डर पंजशीर की लड़ाई लड़ रहे साहेल और अहमद मसूद को था, जिस बात का डर दुनिया को सता रहा था, जिस बात का डर काबुल में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के चीफ की मौजूदगी के बाद लग रहा था I वो अब किसी डरावने सपने की तरह सच होकर दुनिया के सामने खड़ा है |

अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान ने वैश्विक आतंकी मुल्ला हसन अखुंद को इस्लामिक अमीरात का प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। इतना ही नहीं, अमेरिका के मोस्ट वॉन्टेड आतंकी को तालिबान सरकार में अफगानिस्तान का गृह मंत्री बनाया गया है I तालिबान की नई सरकार के चेहरों के पीछे पाकिस्तान की पूरी छाप मौजूद है यानी सिराजुद्दीन I अमेरिका ने सिराजुद्दीन हक्कानी पर 50 लाख डॉलर यानी भारतीय मुद्रा के मुताबिक करीब 37 करोड़ रुपए का इनाम घोषित कर रखा है।

तालिबान की नई सरकार में गृहमंत्री का जिम्मा हक्का नी नेटवर्क के सरगना सिराजुद्दीन हक्कानी को सौंपा गया है।वही हक्कानी जो एक आतंकी संगठन है और पाकिस्तान की सरपरस्ती में कत्लो-गारत की कहानी लिखता है, वही चाहे रक्षा मंत्री मौलवी मोहम्मद याकूब हो या शरणार्थी मामलों के मंत्री खलीलउर्रहमान हक्कनी ये सभी पाकिस्तान के हाथों की कटपुथली हैंI

इसे आप यूं समझिए अफगानिस्तान में एक्टिव हक्कानी नेटवर्क पाकिस्तान का दुलारा और बाजवा का प्यारा है।हक्कानी ग्रुप के आतंकियों को सरकार में शामिल कराने के लिए पाकिस्तान ने पूरा जोर लगा दिया

ये भी खबरें सामने आ रही है कि बरादर के प्रमुख नहीं बनने के पीछे पाकिस्तान की अहम भूमिका है।पाकिस्तान नहीं चाहता था कि तालिबान की कमान बरादर के हाथों में आए, क्योंकि बरादर समावेशी सरकार बनाने चाहते थे, पाकिस्तान चाहता था कि नई सरकार की कमान ऐसे चेहरे के हाथ में हो जो पाकिस्तान के इशारों पर चलने वाला आतंकी खेल जारी रखें ।

वैसे पाकिस्तान पहले दिन से तालिबान की मदद कर रहा है, तालिबान का जन्म भी.. पाकिस्तान के एक मदरसे में ही हुआ था।तालिबानी लड़ाकों की ट्रेनिंग में पाकिस्तानी सेना का बड़ा रोल रहा है।

तालिबान और पंजशीर की जंग के दौरान भी पाकिस्तान ने पूरी मदद की।तालिबान के जख्मी लड़ाकों का पेशावर और कराची के अस्पतालों में इलाज तक कराया।पाकिस्तान को पता है कि तालिबान की मदद से अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देता रहेगा I

हक्कानी नेटवर्क का ख़ूनी खेल

2001: सिराजुद्दीन हक्कानी नेटवर्क का चीफ़ बना

2008 : में भारतीय दूतावास पर हमला, 58 की मौत

2012 : में अमेरिका ने हक्कानी नेटवर्क को बैन किया

2014 : में पेशावर स्कूल पर हमला, 200 बच्चे मारे गए

2017 : काबुल में हमला, 150 से ज्यादा लोगों की मौत

साफ़ है दुनिया के नक्शे पर तालिबान का सबसे करीबी दोस्त पाकिस्तान है।तालिबान की पहली बारी में तालिबान की सरकार को संयुक्त अरब अमीरात और सउदी अरब के अलावा सिर्फ पाकिस्तान ने ही मान्यता दी थी। इस बार भी तालिबान के साथ पाकिस्तान कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। तालिबान की नई सरकार के चेहरे तय करने में पाकिस्तान का अहम रोल है

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