मां के आंसुओं ने इसे बना दिया दुनिया का सबसे हैवान सीरियल किलर, 100 टुकड़ों में काटने की मिली थी सजा

Serial Killer Javed Iqbal : इस सीरियल किलर के नाम से आज भी खौफ में आ जाता है पाकिस्तान,100 बच्चों की रेप के बाद हत्या कर चिट्ठी से किया था कबूलनामा Pakistani Serial Killer Javed Iqbal Story

CrimeTak

16 Mar 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:15 PM)

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Serial Killer Javed Iqbal : ये कहानी ऐसे सीरियल किलर की है. जिसकी हैवानियत सुनकर जज की भी रूह कांप गई थी. वो जज जिसने ना जानें कितनी खतरनाक मुजरिमों को आंखों के सामने देखा होगा. उन मुजरिमों को कड़ी सजा भी दी होगी. लेकिन जब इस सीरियल किलर के मामले की सुनवाई हुई तो गुस्से में जज ने ऐसी सजा सुनाई की दुनिया दंग रह गई. इस सजा की पूरी दुनिया में चर्चा होने लगी.

दरअसल, 100 बच्चों से रेप के बाद उनका बेरहमी से क़त्ल करने वाले सीरियल किलर को भी जज ने उसी ख़ौफ़नाक तरीके से सजा देने का ऐलान किया. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि जिस तरह जावेद ने 100 बच्चों की गला दबाकर बेरहमी से हत्या की उसी तरह से उसे भी मौत की सजा दी जाए.

उसी तरह से बेरहमी से उसका गला 100 बार घोंटा जाए. ठीक वैसे ही जैसे वो मासूम बच्चों का गला जंजीर से घोंट देता था. फिर उसी तरह से इस सीरियल किलर के लाश के भी कम से कम 100 टुकड़े किए जाएं जैसे वो बच्चों के शव के टुकड़े करता था. इसके बाद उन टुकड़ों को तेजाब में डालकर गलाया जाए, जैसे वो सीरियल किलर करता था. अब इस फैसले के बाद दुनिया भर में अदालत पर सवाल उठने लगे कि क्या आज भी ऐसी ख़ौफ़नाक सजा दी सकती है.

आखिरकार दुनिया भर में सवाल उठाए जाने पर इस सीरियल किलर की सजा को लेकर कोर्ट को अपना फैसला बदलना पड़ा. फिर उस सीरियल किलर को फांसी की सजा देने का फिर से ऐलान हुआ. आज की क्राइम की कहानी में उसी सीरियल किलर जावेद इकबाल (Serial Killer Javed Iqbal) की रौंगटे खड़े कर देने वाली कहानी.

दिसंबर 1999 में आए गुमनाम खत से शुरू हुई कहानी

Pakistani Serial Killer Javed Iqbal Story : इस कहानी की शुरुआत होती है. एक ख़त यानी चिट्ठी से. ये बात दिसंबर 1999 की है. जगह पाकिस्तान का एक उर्दू अखबार. इस उर्दू अखबार के संपादक को एक ख़त मिलता है. उस चिट्ठी की पहली लाइन को पढ़ते ही संपादक सन्न रह गए. उस खत में लिखा था...

“मैंने 100 बच्चों के क़त्ल से पहले उनका रेप किया. फिर उनकी लाश को ढेर सारे तेजाब में गला दिया.”

खत के साथ पार्सल में भेजे थे बच्चों को मारने का सबूत

Serial Killer Javed Iqbal Letter : इस चिट्ठी के साथ में एक पार्सल भी आया था. उसे खोलने पर उसमें कुछ बच्चों की तस्वीरें थी. तो कुछ ऐसे कागजात जिसे देखकर लगे कि ख़त भेजने वाला कोई मजाक नहीं कर रहा है.अब बताया जाता है कि ऐसी ही चिट्ठी और पार्सल वहां की पुलिस को भी भेजा गया था.

उस चिट्ठी को पुलिस ने भी पढ़ा और पार्सल खोलकर देखा भी था. लेकिन पुलिस ने इसे मजाक में ले लिया. पर उस अखबार के संपादक ने इसे नजरअंदाज नहीं किया. इसके बजाय हर खबर की पड़ताल करने की तरह एक एक पत्रकार को उस चिट्ठी में दिए पते पर भेजकर तस्दीक कराई.

उस चिट्ठी में पाकिस्तान के रावी रोड पर एक पुराने से घर का पता दिया गया था. जो काफी सुनसान जगह पर था. इसकी पड़ताल करते हुए वो संपादक ने जिस पत्रकार को भेजा था वो वहां पहुंचे. उस पत्रकार ने वहां की हालत देखी तो शक अब धीरे-धीरे यकीन में बदलने लगा था.

उस पत्रकार को वहां ऐसे सबूत मिले जिसने चौंका दिया. कई जगह खून के निशान थे. एक बैग भी मिला. जिसमें बच्चों के जूते और कपड़े थे. अब ये लगने लगा कि यहां बच्चों से जुड़ी कोई वारदात तो जरूर हुई है. इसके बाद वहां एक डायरी भी मिली. उस डायरी में बच्चों के बारे में लिखा हुआ था.

डायरी और दीवारें बच्चों की दर्दनाक मौत की दे रही थी गवाही

Serial Killer Javed Iqbal ki Kahani : अब डायरी को देखकर उस पत्रकार ने तुरंत अपने संपादक को पूरी जानकारी दी. ये भी बताया कि चिट्ठी में जो बातें लिखीं है वो पूरी सच लग रही है. क्योंकि यहां कई बच्चों के क़त्ल हुए हैं. ये सुनते ही संपादक ने तुरंत इस बारे में पुलिस को जानकारी दी.

इसके बाद पुलिस ने इसे गंभीरता से लिया और पड़ताल करने उस जगह पर पहुंची. अब पुलिस की मौजूदगी में जब वहां खोजबीन शुरू हुई. तब वहां पहले दो बच्चों के कंकाल मिले. पास में बड़ा सा एक कंटेनर भी मिला.

वो कंटेनर हाइड्रोक्लोरिक एसिड यानी तेजाब से भरा था. वहां की दीवारों पर कुछ कागज के टुकड़े लगाए गए थे. मानों चिट्ठी लिखने वाले सीरियल किलर को पूरा भरोसा था कि यहां पुलिस या पत्रकार दोनों में से कोई ना कोई तो आएगा ही.

उन दीवारों पर लिखा हुआ था...

“सारे मर्डर की डिटेल एक डायरी और एक 32 पेज की नोटबुक में है. जो मैंने कमरे में छोड़ दी है. उसकी कॉपी ऑफिसर्स को भेज दी है. जो लाशें पुलिस को मिलेंगी उनको मैं ठिकाने लगाने में कामयाब नहीं हुआ हूं. पुलिस को वो मिलेंगी भी तो शायद मेरी आत्महत्या के बाद. अब मैं रावी नदी में कूदकर मरने जा रहा हूं.”

पाकिस्तान ने चलाया था उस समय देश का सबसे बड़ा सर्च अभियान

Serial Killer Javed Iqbal : अब ये लाइनें पढ़ते ही पुलिस उसे दबोचने के लिए रावी नदी की तरफ भागी. लेकिन वहां कोई नहीं मिला. पुलिस ने काफी देर तक तलाश की. इसके बाद सैकड़ों की संख्या में पुलिस फोर्स बुलाकर उसकी तलाश शुरू कराई गई.

कहा जाता है कि उस सीरियल किलर को पकड़ने के लिए पाकिस्तान पुलिस ने उस साल का सबसे बड़ा सर्च ऑपरेशन चलाया था. लेकिन फिर भी उस तक पुलिस नहीं पहुंच सकी. फिर एक दिन अचानक उसी उर्दू अखबार के दफ्तर में एक शख्स पहुंचता है. हल्की दाढ़ी-मूंछ. आंखों पर चश्मा लगाए. उम्र उस समय करीब 44-45 साल.

इस शख्स ने अखबार को अपना परिचय दिया. नाम बताया जावेद इकबाल. फिर बोला, मैं वहीं हूं जिसने लेटर भेजकर 100 बच्चों को मारने की बात कही थी. फिर उसने अखबार के संपादक से कहा कि वो आत्मसमर्पण करने आया है. अब इधर जावेद इकबाल का इंटरव्यू शुरू हुआ और उधर पुलिस को सूचना मिलते ही मौके अखबार के दफ्तर पहुंची. जैसे ही इंटरव्यू पूरा हुआ, पुलिस ने उसे दबोच लिया.

गिरफ्तारी के बाद ऐसे आया था जावेद इकबाल का पूरा सच

Pakistani Serial Killer Javed Iqbal : अब पुलिस को सामने चुनौती थी कि आखिर यही वो जावेद इकबाल है या कोई और. इसने किन बच्चों को मारा है. क्यों मारा है. सिर्फ बच्चों को मारने के पीछे की वजह क्या है. ये सबकुछ पुलिस के लिए बड़े सवाल थे. लिहाजा, पुलिस अब उन पन्नों की एक-एक परतें खोलने लगीं जिनमें ना जाने कितने बच्चों की चीखें दबीं थीं. और ना जाने कितने बच्चों के सपने जिंदा दफ्न हो गए थे.

पुलिस ने जब उससे पूछताछ शुरू की तब उसकी पहली लाइन यही थी... मैं हूं जावेद इकबाल. 100 बच्चों का कातिल हूं मैं. इस दुनिया से नफरत है मुझे. मुझे अपने किए पर कोई शर्म नहीं है. मैंने जो सोचा था अब उसे पूरा कर लिया है. इसलिए मैं मरने को तैयार हूं. मैं माफी नहीं मांगूंगा. मैंने 100 बच्चों को मारे हैं.

20 साल की उम्र में झूठे रेप के केस ने बना दिया दरिंदा

पुलिस ने उससे पूछा कि क्या तुम बचपन से ही ऐसा कर रहे हो? तब जावेद इकबाल ने जवाब दिया था. ऐसा नहीं है. मेरा जन्म साल 1956 में हुआ था. मैं बचपन से बहुत ही साधारण इंसान था. वैसे ही जैसे दूसरे लोग हैं. मेरा भी परिवार था. मेरी भी प्यारी मां थी. वो भी मुझे बहुत प्यार करती थी.

ऐसे में पुलिस ने सवाल किया कि जब सबकुछ ठीक था तो फिर बच्चों को क्यों और कैसे मारा? आखिर इसके पीछे की वजह क्या है?

यही वो सवाल था जो जावेद इकबाल की जिंदगी का पूरा सच सामने लाने वाला था. इस सवाल का जवाब देते हुए जावेद थोड़ा भावुक भी हुआ. और फिर जवाब देने लगा. उसने पुलिस को बताया कि...

ये बात उस समय की थी जब वो 20 साल का होने वाला था. उसी समय पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था. उस पर रेप का इल्जाम लगाया गया था. लेकिन वो रेप पूरी तरह से झूठा था. उसने ऐसी घटना को अंजाम ही नहीं दिया था. अब बेटे को जेल की सलाखों की पीछे देखकर उसकी मां परेशान हो गई

जेल से बाहर निकालने के लिए दिन-रात जुट गई. लेकिन सफलता नहीं मिली. मैं जेल में रहा और मां को हर बार रोते हुए उसके आंसुओं को देखता था. लेकिन बदनसीबी ऐसी थी कि उसके आंसू को भी पोछ नहीं पा रहा था. और एक दिन ऐसा भी आया जब बेटे के जेल से बाहर आने के इंतजार में मां की मौत हो गई.

मां के इंतकाल से मैं टूट गया और गुस्से से भर गया. इसीलिए उसी समय मैंने ये कसम खाई थी कि अब चाहे जो हो जाए मैं भी कम से कम 100 माओं को रुलाउंगा. वो भी उनके बेटों के लिए. ताकि यहां की 100 मांए ये समझ सकें कि बच्चों के ना रहने पर उन्हें कितनी तकलीफ होती है.

अब सवाल था कि आखिर वो बच्चों को कैसे फंसाता था?

Serial Killer Javed Iqbal Story in hindi : इस सवाल पर जावेद इकबाल ने पूरी कहानी बताई थी. इस बारे में पाकिस्तान के एक अखबार ने साल 2001 में एक जावेद इकबाल के बयान को छापा था. उस बयान के अनुसार, जावेद इकबाल बेहद ही गजब तरीके से बच्चों को अपने जाल में फंसाता था. इसके लिए उसने उस मोहल्ले में बच्चों के पसंदीदा वीडियो गेम्स की शॉप खोली थी.

अब उस दुकान में ज्यादा से ज्यादा बच्चे आएं इसलिए उसके रेट बहुत कम कर दिए. कई बार वो ज्यादा बच्चों को लाने के लिए वीडियो गेम्स फ्री भी कर देता था. इस लालच में बच्चे कई बार बिना घरवालों को बताए भी उसकी वीडियो गेम शॉप में आ जाते थे.

अब कई बच्चों में एक बच्चे को टारगेट करने के लिए वो नया पैतरा अपनाता था. इसके लिए वो अपनी दुकान में 100 रुपये का नोट गिरा देता था. अब उस पैसे को कोई ना कोई बच्चा उठाकर रख लेता था.

इसके बाद जावेद उस पैसे का पता लगाने के लिए सभी बच्चों को एक लाइन में खड़ा करा देता था. फिर बच्चों की तलाशी लेता था. अब जिसके पास से वो नोट मिल जाता था उसे पकड़कर वो कमरे में ले जाता था और दरवाजा बंद कर देता था. फिर उस बच्चे के साथ अश्लील हरकत करते हुए रेप करता था.

कुछ लोगों को इस बारे में शक हुआ तो लोगों ने दुकान पर बच्चों को भेजना कम कर दिया. इसके बाद वो मछली दिखाने के लिए एक्वेरियम खोल लिया. इसके बाद वो उन बच्चों को निशाने पर लेने लगा जो या तो घर छोड़कर भाग आते थे या फिर अकेले घूमते हुए वहां आ जाते थे. इसके बाद उन बच्चों को वो लाहौर के शादबाग वाले एक घर में ले आता था और दुष्कर्म करता था.

इसके बाद उन बच्चों की गला घोंटकर हत्या कर देता था. गला घोंटने के लिए वो बाकायदा लोहे की जंजीर इस्तेमाल करता था जिससे बच्चे तड़प-तड़पकर दम तोड़ें. उन बच्चों की फोटो निकालकर वो रख लेता था ताकी उसकी निशानी रहे.

दरिंदगी से मर्डर करने के बाद बच्चों के शव को कई टुकड़ों में वो काट देता था. इसके बाद उन टुकड़ों को तेजाब में डालकर पूरी तरह से गला देता था. इस तरह किसी बच्चे से जुड़ा कोई सबूत ना मिले. बच्चे के शरीर को गलाने के बाद भी कुछ हिस्सा बच जाता था तो उसे वो पास की नदी में ले जाकर फेंक देता था. इस तरह उसने 100 बच्चों को मारे. जिनमें से कुछ के कंकाल को निशानी के तौर पर रखे भी थे.

इस तरह उसके बयान के बाद पुलिस ने मारे गए बच्चों से जुड़े सबूत जुटाए और उसके बयान के आधार पर कोर्ट में पेश किया गया. जिसके बाद अदालत ने उसे 16 मार्च 2000 को सजा-ए-मौत का फैसला सुनाया था.

इस जज ने सुनाई थी दुनिया की सबसे खतरनाक सजा

उस समय के जज अल्लाह बख्श ने 16 मार्च 2000 को जावेद इकबाल को 100 बच्चों की बेरहमी से हत्या का दोषी करार दिया था. जज ने फैसले में कहा था कि दोषी करार दिए गए जावेद का भी 100 बार गला घोंटा जाए और फिर मौत के बाद लाश के 100 टुकड़े किए जाएं. हालांकि, इसके बाद इस फैसले को बदलकर सिर्फ फांसी की सजा दे दी गई थी.

लेकिन जावेद को फांसी पर लटकाए जाने से पहले ही 8 अक्टूबर 2001 को अचानक पाकिस्तान की लखपत जेल में उसका शव मिला. ये दावा किया गया कि जावेद ने आत्महत्या कर ली थी. लेकिन ये भी दावा किया गया कि जेल में उसे पीट-पीटकर मार डाला गया था.

ये सवाल इसलिए किया जाता है क्योंकि उसका शव बेडशीट के सहारे छत पर लगी सरिया से लटक रहा था. हाथ पैर नीले पड़ गए थे. नाक और मुंह से खून निकल रहा था. सीरियल किलर के शरीर पर दर्जनों जख्म के निशान थे.

वे निशान ऐसे थे जैसे धारदार हथियार से उस पर 100 से ज्यादा बार हमले किया गया हो. जावेद के साथ जुर्म में शामिल रहे उसके एक साथी साजिद अहमद की भी जेल में इसी तरह से मौत हो गई थी.

जावेद इकबाल को लेकर कहा जाता है कि जब उसकी मौत हुई तो उसके परिवार और रिश्तेदार से कोई भी उसका शव लेने नहीं आया था. उसके भाई परवेज मुगल ने तो यहां तक कह दिया था कि... जिस दिन उसने 100 बच्चों की बेरहमी से हत्या करने की बात कबूली उसी दिन से वो हमारे लिए मर गया था. ऐसे में पहले से मरे हुए इंसान का शरीर लेकर हम क्या करेंगे. अब तो जावेद इकबाल की कहानी पर एक फिल्म भी आ चुकी है. जिसका नाम है इकबाल जावेद.

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