इस ऐलान के बाद पाकिस्तान के लाहौर और रावलपिंडी शहरों की सड़कों पर कंटेनर रख दिए गए हैं ताकि प्रदर्शन कर रहे कट्टरपंथियों को आगे ना जाने दिया जाए। ये प्रदर्शन कर रहे हैं तहरीके-ए-लब्बैक पाकिस्तान के चरमपंथी। ये संगठन पहले भी पाकिस्तान के शहर में फ्रांस के खिलाफ प्रदर्शन कर चुके हैं।
एक बार फिर बड़े पैमाने पर फैल सकती है पाकिस्तानी शहरों में हिंसा
Pakistan again on the brink of mass violence
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22 Oct 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:07 PM)
इन्होंने मांग की थी कि पाकिस्तान फ्रांस के साथ अपने सारे कूटनीतिक संबंध तोड़ दे और अपने राजदूत को फ्रांस से वापस बुला ले और फ्रांस के राजदूत को वापस भेज दे। हालांकि पाकिस्तान सरकार ने इनको लॉलीपॉप देने की कोशिश की लेकिन ये लोग हिंसा पर उतर आए और इसी साल के शुरुआत में पाकिस्तान में जमकर हिंसा हुई थी।
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इस बार तहरीक-ए-लब्बैक के लीडर पीर अजमल कादरी ने पैगंबर की शान में जुलूस निकालने का ऐलान किया है। साथ ही अजमल कादरी ने इमरान सरकार को ये चेतावनी भी दी है कि अगर उनके जुलूस में कोई बाधा डाली गई तो वो सरकार की ईंट से ईंट बजाने में भी पीछे नहीं रहेंगे।
अजमल कादरी ने ये बात भी कही है कि इस मार्च का तहरीक-ए-लब्बैक के गिरफ्तार लीडर साद हुसैन रिज़वी की गिरफ्तारी से कोई लेना देना नहीं है । साद हुसैन रिजवी को पाकिस्तान सरकार ने पिछले कई महीनों से गिरफ्तार कर रखा है। कई बार कोर्ट का आदेश आने के बाद भी पाकिस्तान सरकार हुसैन रिजवी को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है।
तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान ने इमरान सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार ने अपना वायदा पूरा नहीं किया और उन्हें अपने लीडर खादिम हुसैन रिजवी का ख्वाब पूरा करना है चाहे उसके लिए उनकी जान ही क्यों ना चली जाए।
पाकिस्तान में मचने वाले इस बवाल को देखकर पाकिस्तान के कई शहरों में कंटेनर लगाकर रास्ते बंद कर दिए गए हैं। बस सर्विस को भी बंद कर दिया गया है। अभी तक 24 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। छुट्टी पर गए पुलिसवालों की भी छुट्टी रद्द कर दी गई हैं और उन्हें छुट्टी पर वापस बुलाया गया है।
तीन दर्जन कंटेनरों को अलग-अलग शहरों की रोड पर रखकर उन्हें ब्लॉक किया गया है। हजारों की संख्या में पुलिसवालों की तैनाती पाकिस्तान के अलग-अलग शहरों में की गई है ताकि बवाल होने पर उस पर काबू पाया जा सके।
इस प्रदर्शन की एक वजह ये भी समझी जा रही है कि इस साल 12 अप्रैल से नजरबंद हुसैन रिजवी के केस की सुनवाई 23 अक्टूबर को होने वाली है। तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान इमरान सरकार पर दबाव बनाकर अपने लीडर हुसैन रिजवी को छुड़ाना चाहती है क्योंकि बार-बार कोर्ट से छोड़े जाने पर भी पाकिस्तान सरकार कानून व्यवस्था का हवाला देकर हुसैन रिजवी को फिर नजरबंद कर देती है।
आशंका जताई जा रही है हुसैन रिजवी के समर्थक बड़े पैमाने पर पाकिस्तान के शहरों में हिंसा फैला सकते हैं। इस बात को ध्यान में रखकर पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने दो मंत्रियों का ग्रुप बनाया है जो तहरीक-ए-लब्बैक के लीडरों से बातचीत में लगी है।
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