UP Crime News : यूपी के रायबरेली ज़िले में एक कस्बा है ऊंचाहार, इस इलाके में 18 अक्टूबर को चाकू से एक शख्स का बड़ी बेरहमी से गला रेत दिया गया। पुलिस को कत्ल की इत्तेला हुई तो वो मौके पर पहुंचकर लाश को अपने कब्ज़े में ले लेती है, और जांच वहीं से शुरु कर देती है। मगर मौका-ए-वारदात पर लाश और खून के अलावा कुछ था ही नहीं। खेतों किए गए इस क़त्ल का सीसीटीवी फुटेज भी निकाल पाना मुश्किल ही था। पुलिस मौका-ए-वारदात को छोड़कर वहां से वापस थाने में आने ही वाली थी कि उसे वहां एक अखबार पड़ा हुआ मिला।
पुलिस हत्यारे को ढूंढ रही थी और वो उसके साथ ही बैठा था! खुलासा ऐसे हुआ कि हॉलीवुड फिल्मों में भी नहीं होता
old news paper gave the cue of murder
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25 Oct 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:08 PM)
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अखबार से कैसे मिला क़ातिल का सुराग?
मगर सवाल ये था कि आखिर महज़ एक अखबार से पन्ने से कातिल का कोई सुराग कैसे मिल सकता है। इस अखबार में प्रयागराज के अतरसुइय्या थाना इलाके की कोरोना संबंधित ख़बर छपी थी, पुलिस ने अखबार को गौर से देखा तो वो प्रयागराज एडिशन वाला प्रदेश का बड़ा हिंदी अखबार था। पुलिस कातिल का प्रयागराज कनेक्शन ढूंढ ही रही थी कि उसे मालूम हुआ, मृतक का बड़ा भाई प्रयागराज में सपरिवार रहता है। पुलिस ने बड़े भाई से पूछताछ की तो खुद उसे बैकफुट पर आना पड़ा क्योंकि घटना के समय उसकी मोबाइल लोकेशन प्रयागराज में थी।
क़ातिल ने क्राइम शो देखकर रची थी साज़िश!
अखबार से जानकारी हासिल करने के बाद भी पुलिस के हाथ खाली थे, क्योंकि मरने वाले का बड़े भाई की मोबाइल लोकेशन प्रयागराज में थी और क़त्ल करीब 80 किमी दूर हुआ था। तो फिर कातिल कौन है ये बड़ा सवाल बना हुआ था। क़ातिल जो भी था उसने क्राइम शो के ज़रिए पुलिस जांच की पूरी प्रक्रिया को बहुत बारीकी से देखा था लिहाज़ा उसने ऐसा कोई निशान नहीं छोड़ा जिससे पुलिस उस तक पहुंच सके।
पुलिस क़ातिल तक पहुंचने ही वाली थी!
पुलिस को परिवार पर शक़ था लेकिन उसके पास सबूत नहीं था, लिहाज़ा फिर वो किसी और एंगल पर फोकस करने लगी लेकिन तभी उसे उसके एक मुखबिर ने जानकारी दी कि मरने वाले ने कुछ दिन पहले पासपोर्ट फोटो खिंचवाई थी। लेकिन पासपोर्ट फोटो से क़त्ल का क्या कनेक्शन हो सकता है ये बड़ा सवाल था। और गहराई में जाने के बाद पुलिस को पता चला कि मरने वाले के नाम कुछ ज़मीने हैं। दरअसल मृतक तीन भाई हैं और उन तीनों के नाम साढ़े दस बीघा जमीन है। जमीन भी ऐसी वैसी नहीं बल्कि उस जगह पर था जहां से गंगा एक्सप्रेस वे निकलने वाला है।
पुलिस इस तरह क़ातिल तक पहुंची!
पुलिस जांच में पता चला कि मरने वाला दीपक दरअसल मानसिक रोगी था। और प्रयागराज में करने वाले उसके भाई करुणेश को इस बात डर था कि उसके भाई को कोई बहला फुसला कर उसके हिस्से की तीन बीघा जमीन कोई लिखवा न ले। और जब उसे ये जानकारी मिली कि दीपक ने पासपोर्ट साइज़ फ़ोटो खिंचवाई है तो उसका डर यकीन में बदलने लगा। उसे लगा कि वो ज़मीन बेचने की तैयारी कर रहा है। पुलिस के लिए इस मामले में इतनी जानकारी काफी थी लिहाज़ा करुणेश को उठा लिया गया। पुलिस ने अपने तरह से पूछताछ की तो कुछ ही घंटे में करुणेश टूट गया और उसने जुर्म कुबूल कर लिया।
ऐसे की छोटे भाई के क़त्ल की प्लानिंग!
दीपक ज़मीन ना बेच दे इसलिए करुणेश ने उसे मारने की प्लानिंग की, और उसने कत्ल से पहले अपना मोबाइल प्रयागराज में घर पर ही छोड़ दिया। उसके बाद दूर के रिश्तेदार अभय के घर कुंडा पहुंचा, यहां उसने अभय को बाद में नौकरी दिलाने का लालच देकर साथ चलने को तैयार किया। यहां भी वो पुलिस से बचने का जुगत नहीं भूला, उसे लगा कि रास्ते के किसी सीसीटीवी में उसकी बाइक का नंबर कैद हो सकता है इसलिए अपनी बाइक वहीं छोड़ी और अभय की बाइक से मौकाए वारदात पर पहुंचा। यहां उसने अपने ही सगे भाई के गांव के बाहर इंतज़ार किया, जब वो शाम के वक्त घर जाने के लिए उधर से गुजरा तो दोनों ने मिल कर उसकी गला रेत कर निर्मम हत्या कर दी।
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