Viral News : पुलिस या सरकार ने नहीं टेक्नॉलजी ने ख़त्म किया डाकुओं का साम्राज्य!

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11 Feb 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:13 PM)

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Crime News: आज़ादी के पहले से और आज़ादी के 50 से भी ज़्यादा सालों तक चंबल के बीहड़ों में डाकुओं का एकछत्र राज था, चंबल के डाकू अंग्रज़ों से लेकर आज़ाद हिंदुस्तान की पुलिस तक की पकड़ से दूर रहे, जानते हैं क्यों? क्योंकि डाकू बीहड़ में रहते ज़रूर थे लेकिन वो कभी अपने पीछे अपना निशान नहीं छोड़ते थे। लेकिन जब हिंदुस्तान में टेक्नॉलजी ने विकास करना शुरु किया तो उसका असर चंबल के डाकुओं पर भी पड़ा।

मोबाइल फोन की सहूलियत और मैसेज को फौरन इधर से उधर भेजने की मोबाइल की ताकत से इस कदर प्रभावित हुए कि वो इसकी तरफ झुकते चले गए, बस यहीं डाकुओं ने गलती कर दी। शुरुआती दिनों में मोबाइल फोन ने डाकुओं की मदद तो की लेकिन जैसे जैसे दिन बीतता गया वैसे वैसे यही मोबाइल फोन उन के जी का जंजाल बनता चला गया।

मोबाइल में लगे सिम मोबाइल टॉवरों के ज़रिए डाकुओं के लोकेशन की चुगली करने लगे, मोबाइल में सिम लगा ना भी हो तो भी मोबाइल के आईएमईआई नंबर ज़रिए भी उनकी लोकेशन का खुलासा पुलिस के सामने होने लगा। धीरे धीरे मोबाइल टेक्नॉलजी डाकुओं की ज़रूरत बनने लगा, और इसी की वजह से डाकुओं की धर पकड़ और एनकाउंटर बढ़ने लगा।

पुलिस के लिए जो काम पहले मुखबिर कर रहे थे, वो काम अब मोबाइल फोन और उनकी लोकेशन कर रहे थे। इसीलिए जो काम टेक्नॉलजी के आने से पहले नामुमकिन नज़र आती थी वो अचानक मुमकिन हो गईं। और महज़ 10 सालों में बीहर डाकुओं के आतंक से आज़ाद हो गया।

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