ये दुनिया का सबसे खौफनाक टापू है, जहां हर कदम पर नज़र आती है मनहूसियत और डर की गवाही देती हैं ये गुड़ियां। आप सोच रहे होंगे कि जिस टापू पर एक इंसान तक नहीं रहता वहां कहां से आ गई इतनी सारी गुड़िया, लेकिन इस पापी गुड़िया वाले टापू के राज़ यहीं खत्म नहीं होते। लोग कहते हैं कि इस टापू पर भटकती है एक बच्ची की आत्मा और बच्ची की आत्मा को शांत रखने के लिए यहां रखी गई हैं हज़ारों लाखों गुड़िया।
ये है पापी गुड़िया का टापू, जहां चलती है ख़ौफ़नाक गुड़िया की सल्तनत
टापू के चप्पे चप्पे पर है पापी गुड़िया का राज़, पढ़िए Island of the Dead Dolls की पूरी कहानी, Read the latest crime news, crime stories in Hindi and criminal cases on Crime Tak.
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22 Sep 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:05 PM)
'आइलैंड ऑफ डॉल्स' की पूरी कहानी
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किस्से यहीं खत्म नहीं होते, कुछ लोगों ने दावा किया है कि इस टापू पर जो रात में आने की हिम्मत करता है वो मारा जाता है। क्योंकि पापी गुड़िया को ये बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कि कोई उसके साम्राज्य में कदम रखे। पापी गुड़िया वाला ये टापू है मैस्किको में और दुनिया के इस सबसे डरावने टापू का नाम है - "ला इसला दे लास म्यूनेकास", अंग्रेज़ी में लोग इस टापू को "आइलैंड ऑफ डॉल्स" के नाम से जानते हैं।
पापी गुड़िया के टापू का राज़
ये टापू जितना डरावना है उतनी ही दिलचस्प और रहस्यमयी है इस टापू की कहानी, एक ज़माना था जब इस टापू पर कोई नहीं जाता था, हां आजकल कुछ लोग यहां घूमने फिरने आने लगे हैं, लेकिन रात में यहां कदम रखने की हिम्मत बड़े से बड़े सूरमा भी नहीं करते। दरअसल इसके पीछे हैं इस टापू, इन गुड़ियाओं से जुड़ी एक भयानक कहानी।
ये करीब 60 साल पुरानी बात है, वो 1950 का दौर था। इस टापू पर सिर्फ एक शख्स रहता था जिसका नाम था - जूलियन संताना बरेरा। जूलियन एक फकीर था, जिसने संसार का त्याग कर दिया था। एक दिन भटकते भटकते वो यहां पहुंचा और फिर यहीं रहने लग गया, उसका कोई घर बार नहीं था वो यहां अकेला रहता था। लेकिन जल्द ही जूलियन की ज़िंदगी में खलल पड़ने वाला था। उसने एक दिन देखा कि इस टापू पर अचानक एक लड़की आई और यहां इस नहर में डूब गई। जूलियन उसे बचा नहीं पाया, लड़की तो डूब गई लेकिन उसके हाथ में एक गुड़िया थी जो जूलियन को मिल गई। जूलियन ने दावा किया कि उसके बाद से इस टापू पर इस बच्ची की आत्मा भटकने लगी।
जूलियन को एक रात सपने में वो लड़की आई जो यहां डूब गई थी, उसने जूलियन को कहा कि वो अपनी गुड़िया से बहुत प्यार करती है। अगर इस टापू में उसकी गुड़िया को संभाल कर रखा जाएगा तो उसकी आत्मा कभी किसी को परेशान नहीं करेगी, उस रात के बाद जूलियने के सर पर एक जूनून सवार हो गया। वो इस टापू को गुड़ियों से सजाने लग गया, इस नहर के ज़रिए कई गुड़िया इस टापू तक बह कर आतीं और फिर वो इसी टापू की होकर रह जातीं। हर गुड़िया के लिए इस टापू पर एक खास ठिकाना बना दिया गया।
कब खुला इस टापू का राज़?
आज से 31 साल पहले तक दुनिया यही समझती थी कि इस टापू पर कोई नहीं रहता, 1990 में पहली बार इस टापू, यहां रहने वाली गुड़ियाओं और जूलियन के बारे में दुनिया को पता चला। इसके बाद तो ये टापू सारी दुनिया की सुर्खियां बन गया। एक एक करके लोग यहां आने लगे, कई लोग अपने साथ कोई पुरानी गुड़िया लाते और यहीं छोड़ जाते। नतीजा गुड़ियों की तादाद हज़ारों से लाखों तक पहुंच गईं। लेकिन अब इस टापू पर कुछ ऐसा होने वाला था जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। दुनिया सोच रही थी कि इस टापू का राज़ खुल गया है लेकिन अब तो इस टापू का रहस्य और गहराने वाला था।
गुडियों वाला टापू पूरी दुनिया में मशहूर हो चुका था, यहां लोगों की भीड़ लगने लगी। इस टापू को लेकर लोगो का डर निकल चुका था लेकिन इस टापू के मालिक जूलियन को हमेशा लगता था कि इस टापू को बुरी आत्मा से सिर्फ गुड़ियाओं ने बचा रखा है। वो तो इन गुड़ियाओं को ज़िंदा तक मानता था, लेकिन लोगों को लगता कि इस टापू पर गुड़ियों का आत्मा से कोई लेना देना नहीं है। लेकिन एक दिन ऐसा हुआ जिसने इस टापू के राज़ को और गहरा दिया।
जूलियन की मौत से रहस्य गहराया
ये 21 अप्रैल 2001 की बात है, एक सुबह नहर के पास जूलियन की लाश मिली। ये ठीक वो जगह थी जहां 1950 में गुड़िया वाली बच्ची की लाश मिली थी। जब तक जूलियन अकेला यहां रहता था ये टापू बड़ा पवित्र था, लेकिन 1990 के बाद लोगों ने इसे अपवित्र कर दिया। लोगों को ये लगता है की जूलियन को आत्मा और इन गुड़ियों ने मिलकर मार डाला। ये और बात है कि कई लोग इस पर भरोसा नहीं करते, जूलियन की मौत बेहद रहस्यमयी हालात में हुई थी। पूरे मेक्सिको में ये अफवाह फैल गई कि जूलियन की मौत के पीछे टापू की गुड़िया और आत्मा का हाथ है। तब से लेकर आज तक अब इस टापू पर रात में कोई नहीं जाता और जो लोग दिन में जाते हैं उन्हे भी एक भयानक अहसास होता है।
ज्यादातर लोग इस टापू पर जाने से डरते हैं, लेकिन हिम्मतवालों के लिए ये टापू एक टूरिस्ट स्पॉट बन चुका है। नहर में चलने वाली एक खास नाव के ज़रिए यहां रोज़ सैकड़ो लोग पहुंचते हैं, इस टापू पर लोग अपनी पुरानी गुड़िया छोड़ जाते हैं। जिससे गुडियों की तादाद यहां रोज़ बढ़ रही है, जूलियन तो अब नहीं है लेकिन उसके रिश्तेदार अब इस टापू की देखभाल करते हैं। ये गुड़ियों वाला टापू पूरी दुनिया में इतना मशहूर हो चुका है कि यूनेस्को ने इस वर्ल्ड हैरीटेज घोषित कर दिया है। इस टापू का और इन गुड़ियों का असली राज़ क्या है ये कोई नहीं सुलझा पाया लेकिन इतना तो तय है कि जब तक ये टापू रहेगा इससे जुड़े किस्से सुने और सुनाए जाते रहेंगे।
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