अब सोचिए कि अमेरिका में एक आदमी पिछले 60 साल से ऐसी ज़िंदगी गुजार रहा है। इस आदमी को पूरी दुनिया में ‘द मैन इन आयरन लंग’ के नाम से जाना जाता है। इनका असली नाम पॉल अलेक्जेंडर है और इनकी उम्र 75 साल है। ताज्जुब की बात ये है कि पॉल पिछले 60 साल से एक मशीन में कैद और इस मशीन से बाहर निकलते ही वो अपनी ज़िंदगी गंवा बैठेंगे।
पिछले 60 साल से मशीन में बंद है एक शख्स, बिना हिलेडुले निकाल दिए ज़िंदगी के 60 साल
Man in iron lung
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09 Oct 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:07 PM)
अजीब पशोपेश है कि जिंदा रहने के लिए एक मशीन में बंद रहना पड़ता है और बाहर निकले तो जान भी निकल गई। तो आखिर क्या वजह है कि पॉल एक मशीन में बंद रहने के लिए मजबूर है। ये सिलेंडरनुमा मशीन का राज क्या है, ये क्यों पॉल की जिंदगी की लाइफ लाइन बन गई है।
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इसके बारे में भी आपको बताएंगे लेकिन इससे पहले हम 60 साल से मशीन में बंद पॉल की उपलब्धियों की बात कर लेते हैं। पॉल ने 8 साल में कीबोर्ड को प्लास्टिक की छोटी छड़ी से चलाकर एक किताब लिखी है। साथ ही पॉल ने वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ वक्त तक वकालत भी की है।
क्यों मशीन में रहने के लिए मजबूर हैं पॉल ?
पॉल को 6 साल की उम्र में पोलियो अटैक हुआ था। पोलियो की वजह से पॉल की जिंदगी बेहद कठिन हो गई थी, तब भी पॉल जीवन से संघर्ष कर रहे थे और वो खुश थे। एक दिन अचानक खेलने के दौरान पॉल को चोट लग गई। इस चोट ने पॉल को पूरी तरह से बिस्तर पर ला दिया। पॉल की हालत खराब होती गई।
पोलियो के साथ-साथ उन्हें सांस लेने में भी दिक्कत होने लगी। उनके फेफड़े दिन ब दिन कमजोर होते जा रहे थे। एक दिन ऐसा भी आया कि पॉल के फेफड़ों ने उनका साथ छोड़ दिया लिहाजा पॉल की जान बचाने के लिए डॉक्टरों के पास उन्हें मशीनी फेफड़ों पर रखने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं था।
डॉक्टरों का मानना था कि जब पॉल बड़े होंगे तो उनके फेफड़े एक बार फिर से काम करना शुरु कर देंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लिहाजा 75 साल पूरे कर चुके पॉल 60 साल से मशीन में बंद हैं। मशीन में रह रहे पॉल हिल-डुल भी नहीं पाते।
अपनी इस तमाम दिक्कत के बावजूद पॉल ने हिम्मत नहीं हारी। वो किसी के दया के पात्र नहीं बनना चाहते थे बलकि वो दुनिया के लिए मिसाल बनना चाहते थे। वो लोगों को अच्छ से जिंदगी जीने की उम्मीद और हिम्मत देना चाहते थे। इसी वजह से पॉल ने एक किताब भी लिखी जिसे लिखने में पॉल को 8 साल का वक्त लगा क्योंकि वो अपने मुंह में एक प्लास्टिक की स्टिक दबाकर कीबोर्ड पर लिखते थे।
8 साल तक किताब लिखने के बावजूद उन्होंने कभी उसे छोड़ने की नहीं सोची। पॉल की ये किताब अब दुनिया भर के लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है।
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