Amravati Murder Update:महाराष्ट्र (Maharashtra) में अमित मेडिकल स्टोर के मालिक उमेश कोल्हे (Umesh Kolhe) की हत्या (Murder) के सिलसिले में जो खुलासे अब सामने आ रहे हैं वो बेहद चौंकाने वाले हैं। अमरावती में पले बढ़े 54 साल के उमेश की किसी के साथ कभी कोई दुश्मनी नहीं थी।
उमेश कोल्हे के 16 साल पुराने दोस्त यूसुफ ने ही बनाया था मर्डर का प्लान, NIA की चार्जशीट का खुलासा
Amravati Murder Update: महाराष्ट्र के अमरावती में सर तन से जुदा मामले की तहकीकात कर रही NIA ने अपनी चार्जशीट में जो खुलासा किया है वो बेहद चौंकाने वाला साबित हो रहा है।
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21 Dec 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:32 PM)
ऐसे में 21 जून 2022 की रात अचानक दुकान से घर लौटते वक़्त उनकी गला रेत कर की गई हत्या ने समूचे शहर को सन्न कर दिया। हर कोई इसी बात को समझने में लग गया कि आखिर ये हुआ तो क्यों हुआ।
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हालांकि जिस वक़्त उमेश कोल्हे की हत्या की गई थी, उस वक्त पूरे देश में भारतीय जानता पार्टी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा की पैंगंबर के खिलाफ की गई टिप्पणी से माहौल खराब था और हर कहीं बवाल चल रहा था।
और ये बात उमेश के नजदीकी लोगों को पता थी कि दोस्तों के बीच उमेश ने वॉट्सऐप मैसेज की एक पोस्ट को फॉरवर्ड जरूर किया था जिसमें नूपुर शर्मा के साथ हमदर्दी की बात थी। उसी वॉट्सऐप ग्रुप में उमेश का 16 साल पुराना दोस्त यूसुफ भी जुड़ा हुआ था। और उमेश की ये बात यूसुफ को इस कदर खली कि उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर उमेश के कत्ल की साज़िश रच डाली थी।
Sar Tan Se Juda Crime: NIA की तरफ से दर्ज की गई चार्जशीट में जिस संगीन बात का जिक्र चौंकाता है वो है ‘गुस्ताख-ए-नबी की एक सज़ा, सर तन से जुदा- सर तन से जुदा’....यही वो लाइन है जिसे यूसुफ ने अपने मुस्लिम दोस्तों के बीच साझा करके उमेश के कत्ल के लिए उन्हें तैयार किया था। और इसी नारे के बाद 11 लोगों ने मिलकर उमेश को जान से मारने की साजिश रच डाली थी।
16 दिसंबर को NIA ने मुंबई कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। इस चार्जशीट में ये बात साफ है कि उसी एक पोस्ट के लिए बदला लेने की गरज से यूसुफ ने उमेश की हत्या का प्लान तैयार किया था। जबकि सबसे गौर करने वाली बात ये थी कि उमेश और यूसुफ दोनों एक दूसरे को 16 सालों से जानते थे। यहां तक कि दोनों का एक दूसरे के परिवार में अच्छा खासा उठना बैठना था। यहां तक कि एक दूसरे की मदद करने में भी कभी वो दोनों पीछे नहीं हटते थे। खुलासा यही है कि यूसुफ की बहन की शादी में उमेश ने अपने दोस्त की बढ़चढ़कर मदद की थी।
ये बात भी दोनों के बीच छुपी हुई नहीं थी कि उमेश भारतीय जनता पार्टी और हिन्दूवादी संगठनों का समर्थक था जबकि यूसुफ तब्लीगी जमात से जुड़ा हुआ था। लेकिन नूपुर शर्मा के उस हक़ में उस पोस्ट का फारवर्ड करना उमेश के लिए जानलेवा साबित हो गया। क्योंकि उमेश का वो फॉरवर्ड किया मैसेज का स्क्रीन शॉट लेकर यूसुफ ने अपने उस ग्रुप में भेजा था जिसमें उमेश नहीं था बल्कि यूसुफ की जमात के लोग उसमें शामिल थे।
चार्जशीट के मुताबिक 14 जून को उमेश कोल्हे ने नूपुर शर्मा के समर्थन में उनकी फोटो के साथ एक पोस्ट साझा की थी जिसमें नूपुर शर्मा के दिए गए बयान और उसके खिलाफ शुरू हुई मुहिम के बाद नूपुर शर्मा को समर्थन देने का जिक्र था।
यूसुफ ने जब ये पोस्ट देखी तो उसने उमेश से तो कुछ नहीं कहा अलबत्ता उसका स्क्रीन शॉट लेकर उसे अपने वॉट्सऐप ग्रुप में सर्कुलेट कर दिया। लेकिन साथ में एक बात भी यूसुफ ने लिखी थी...उसने ग्रुप में लिखा था कि इसके इसका अंजाम दिखाना है। इसके अलावा उसी मैसेज को एक दूसरे ग्रुप ‘कलीम इब्राहिम वॉट्सऐप ग्रुप’ में भी भेजा गया था। इस ग्रुप में दूसरा आरोपी इरफान खान भी जुड़ा हुआ था।
इसके बाद यूसुफ ने उमेश कोल्हे को सज़ा देने की गरज से आतिब रशीद से बात की। क्योंकि आतिब उसका क्लाइंट भी था। इसके बाद 18 जून को आतिब रशीद अपने एक दूसरे दोस्त मोहम्मद शोएब से मिलने पहुँचे। और वहां भी दोनों ने उमेश कोल्हे को लेकर बात की। वहां जो कुछ बात हुई उसके बारे में आतिब ने इरफान खान को बताया। इरफान भी उसी ग्रुप में जुड़ा हुआ था। लिहाजा वो सारी बातों को पहले से ही जानता था।
19 जून को आतिब रशीद, इरफान खान, मोहम्मद शोएब और शहीम अहमद गौसिया हॉल में मिले। और ये भी तय किया कि उमेश कोल्हे को उसके किए की सज़ा जरूर दी जाएगी। तब इस सज़ा को तय करने और उसे अंजाम देने के लिए मोहम्मद शोएब, आतिब रशीद और शहीम अहमद ने इसकी ज़िम्मेदारी ली।
इसके बाद सबने मिलकर ये तय किया कि जिस वक़्त उमेश पर हमला किया जाएगा उस वक़्त सभी काली टीशर्ट और काली ही ट्रैक पैंट पहनकर आएंगे साथ में सभी के चेहरे ढके होने चाहिए ताकि कोई उन्हें पहचान न सके। इस किलर पार्टी की अगुववाई इरफान कर रहा था। साथ ही आतिब रशीद अपने साथ मोहम्मद शोएब को उमेश कोल्हे की दुकान पर ले गया था ताकि उसकी पहचान मुकम्मल की जा सके। फिर सभी ने उस जगह का चुनाव किया जहां उमेश की हत्या की जानी थी।
इसके बाद 20 जून को ही रात साढ़े नौ बजे घंटाघर लेन में चारो घात लगाकर खड़े हो गए। और उसी मोड़ पर उमेश कोल्हे को मौत के घाट उतारने का प्लान तैयार किया गया था। लेकिन काफी इंतजार के बाद जब उमेश कोल्हे वहां नहीं पहुँचा तो दो लोग उमेश कोल्हे की दुकान पर पहुँचे तो उन्हें दुकान बंद मिली। लिहाजा उस रोज का प्लान फेल हो गया।
इसके बाद तीन लोगों ने 21 जून का प्लान तैयार किया। आतिब और इरफान के निर्देश पर 21 जून को मुदस्सिर अहमद, शाहरुख खां और अब्दुल तौफीक ने उमेश कोल्हे की रेकी की। और जिस रास्ते से उमेश घर से दुकान पहुँचता था उस पूरे रास्ते को तीनों ने गमछे में मुंह ढककर नापा। इसके बाद इस साज़िश को अंजाम देने में शामिल हरेक आरोपी ने अपने अपने मोबाइल घर पर रख दिए। ताकि उनकी लोकेशन का पता न चल सके।
इसके बाद मोहम्मद शोएब, शहीम अहमद बाइक पर निकले और रास्ते में पोजीशन ले ली। रात में करीब 10.20 बजे उमेश कोल्हे जैसे ही दुकान बंद करके बाइक से घंटाघर लेन पर पहुँचा वहां पहले से ही मौजूद मोहम्मद शोएब और शहीम अहमद ने उमेश को रोक लिया...उसे घुटनों पर बैठाया और मोहम्मद शोएब ने चाकू से उमेश का गला रेत दिया।
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