Live Murder की 'गूंगी' गवाही, दो Train के तीन बोरों में मिली थी एक महिला की लाश, 1000 KM के दायरे में बिखरी थी हत्या की गुत्थी

Train Women Deadbody Case Solve: इंदौर पुलिस और उत्तराखंड की पुलिस ने मिलकर एक ऐसे केस की गुत्थी सुलझाने का दावा किया है जिसमें एक महिला की लाश तीन अलग अलग बोरों में टुकड़ों में बंटी दो अलग अलग ट्रेनों में मिली थी। करीब 1000 किलोमीटर के दायरे में बिखरी हुई हत्या की इस गुत्थी को सुलझाने में अहम भूमिका निभाई उस महिला ने जो न तो बोल सकती थी और न सुन सकती थी

CrimeTak

• 10:11 AM • 25 Jun 2024

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सुप्रतिम बनर्जी की रिपोर्ट

Indore, MP:क्या कोई गूंगी गवाही हो सकती है? क्या कभी सुना है कि जो बोल नहीं सकता, जो सुन नहीं सकता, वो अदालत में जाकर एक कत्ल के केस में सबसे अहम गवाही दे? शायद ऐसा फिल्मों में भी नहीं देखने को मिला होगा, जो रियल लाइफ में इंदौर के एक केस में हुआ जिससे पुलिस को न सिर्फ हत्या की ऐसी गुत्थी सुलझाने में कामयाबी मिली जिसमें लाश टुकड़ों में बंटी थी और करीब करीब कई सौ किलोमीटर के दायरे में बिखरी हुई थी। जी हां, इंदौर पुलिस के पास एक ऐसा ही गवाह मौजूद है जो लाइव मर्डर की इकलौती चश्मदीद थी, मगर वो न तो बोल सकती थी, न अपनी बात बता सकती थी, बस इशारे जरूर कर सकती थी, जो उसने किया और अदालत में उसकी गवाही दर्ज भी हुई और देखते ही देखते उस ब्लाइंड मर्डर की मिस्ट्री का पर्दाफाश हुआ जिसको शायद पुलिस ने भी फाइलों में दफ्न करने का इरादा कर लिया था, लेकिन मन बदला और काम बन गया। 

1000 km के दायरे में बिखरी हत्या की गुत्थी

ये किस्सा उस लाश का है जो टुकड़ों में बंटी और बोरियों में कैद होकर इंदौर से ऋषिकेश तक जा पहुँची थी। पूरे 1000 किलोमीटर दूर। लेकिन अब इंदौर पुलिस ने टुकड़ों में बंटी उस लाश की पूरी मुकम्मल कहानी का पता लगा लिया है। 

General Bogie में सीट के नीचे मिली बोरी

इस कहानी की शुरुआत हुई थी 8 जून यानी शनिवार को इंदौर से। नागदा महू इंदौर पैसेंजर ट्रेन की बोगियों की साफ-सफाई के दौरान एक जनरल बोगी में सीट के नीचे सफाई कर्मी की नजर एक बोरी पर पड़ी। बोरी पर खून के धब्बे दिखे तो इसकी इत्तिला तुरंत इंदौर जीआरपी को दी गई। पुलिसकर्मियों ने बोरी की जांच तो जैसी आशंका थी वही हुआ और बोरी से एक महिला की लाश के टुकड़े मिले। और टुकड़े भी क्या थे? सिर और धड़ का हिस्सा भर था, हाथ पांव गायब थे। जाहिर है मामला क़त्ल का था, और लाश को कुछ इस तरह ठिकाने लगाया गया था। जाहिर है पुलिस के लिए ये एक ब्लाइंड मर्डर केस था। 

1000 km के दायरे में बिखरी थी कत्ल की कहानी

ऋषिकेश में मिले हाथ और पैर

इंदौर पुलिस एक महिला की आधे अधूरी लाश की गुत्थी में उलझी हुई थी और इंदौर से करीब एक हजार किलोमीटर दूर देवभूमि उत्तराखंड के ऋषिकेश एक्सप्रेस में दो दिन बाद ही एक महिला की लाश के टुकड़े मिले। यहां सिर्फ हाथ और पैर के हिस्से थे। सिर और धड़ गायब। अब ऋषिकेश पुलिस भी एक ब्लाइंड मर्डर की गुत्थी में उलझ गई। तो पुलिस ने केस को सुलझाने के लिए पूरे रास्ते को ट्रैक करना शुरू किया और सीधे पहुँच गई वहां जहां से योगनगरी ऋषिकेश एक्सप्रेस ट्रेन चलती थी, यानी इंदौर। पुलिस के इंदौर पहुँचते ही दो दिन पुरानी एक कहानी मिली जिसमें महिला का सिर और धड़ था।

दो ट्रेनों से तीन बोरियों में मिली एक लाश

जाहिर है अब पुलिस के लिए दोनों मामलों को एक साथ देखने की वजह सामने आ गई। लाश के इन टुकड़ों को लेकर दोनों शहरों की जीआरपी यानी गवर्नमेंट रेलवे पुलिस की बातचीत शुरू हो गई। तजुर्बे से पुलिस न अब ये अंदाजा लगा लिया कि दोनों ट्रेनों में मिले लाश के टुकड़े असल में एक ही महिला के हो सकते हैं। अब पहली कवायद ये थी कि महिला की पहचान कैसे की जाए। क्योंकि किसी ने इंदौर या आस-पास के किसी शहर में किसी को ट्रेन में लाश वाली बोरी रखते हुए नहीं देखा था।

हाथ पर गुदे नाम से मिला सुराग

तभी पुलिस की नजर महिला की बांह पर गई जिस पर दो अल्फाज लिखे थे 'मीरा बेन और गोपाल भाई'। इससे पुलिस को ये अंदाजा हुआ कि कहीं ये मामला गुजरात से तो जुड़ा नहीं है? क्योंकि मध्यप्रदेश और गुजरात के बॉर्डर के आस-पास के कई इलाकों में आमतौर पर आदिवासी लड़कियां अपनी बांह पर अपना और अपने भाई का नाम लिखवा लेती हैं। कोशिश जारी रही और आखिरकार पुलिस को महिला की पहचान मिल गई। वो थी 37 साल की मीरा बेन जो रतलाम जिले के बिलपांक थाना इलाके की गांव मऊ की रहने वाली थी। ये भी पता चला कि 6 जून को मीरा बेन अपने पति से झगड़ा करके घर से बाहर निकली थी। और उसके पति ने अपनी पत्नी की गुमशुदगी की रिपोर्ट भी लिखवाई थी। 

 

उज्जैन के गिर्द सिमटी तफ्तीश

मगर पुलिस का माथा ठनका कि जो महिला घर से सही सलामत निकली वो दो दिन के बाद टुकड़ों में बंटकर बोरियों में कैसे बंद हो गई। तब सवाल यही उठा कि आखिर मीरा बेन का क़त्ल किसने किया और क्यों? मीरा बेन की लाश को पहचान मिल चुकी थी। अब असली कहानी का लगाना था, लिहाजा पुलिस ने मीरा बेन के पति से पूछताछ की तो वहां से सुराग मिला उज्जैन। क्योंकि मीरा बेन के पति ने खुलासा किया था कि वो उज्जैन जाने की बात कहकर घर से निकली थी। तब पुलिस ने अंदाजा लगाया कि मुमकिन है कि महिला का कत्ल उज्जैन में हुआ हो और क़ातिल ने उज्जैन रेलवे स्टेशन से ही महिला की लाश बोरियों में भरकर अलग-अलग ट्रेनों में रख दिए हों। लिहाजा पुलिस ने अपनी निगाह उज्जैन रेलवे स्टेशन पर टिका दी।

पुलिस को मिला संदिग्ध

पुलिस ने मोबाइल फोन की लोकेशन, सीसीटीवी फुटेज, रेलवे स्टेशन के आस-पास  मुखबिरों की मदद से क़त्ल का राज़ पता लगाने की शुरुआत हुई। इसी कोशिश में पुलिस को कुछ सीसीटीवी फुटेज मिले, जिसमें 7 जून को मीराबेन एक आदमी के साथ रेलवे स्टेशन से जाती नजर आई। अब ये आदमी कौन है, उसकी पहचान शुरू हुई। मुखबिरों से पता लगा कि वो आदमी कमलेश पटेल है, जो उज्जैन रेलवे स्टेशन के पास के ही एक रिहायशी इलाके हीरा मिल की चाल में रहता था। उत्तर प्रदेश का रहनेवाला कमलेश पटेल पिछले 15 सालों से उज्जैन में ही रह रहा था और कैटरिंग ठेकेदारों के साथ काम किया करता था। 

ट्रेन की जनरल बोगी में मिली लाश के टुकड़ों की सुलझ गई गुत्थी

मूकबधिर बीवी की गवाही

पुलिस ने 55 साल के कमलेश पटेल को हिरासत में ले लिया। और पूछताछ शुरू की, लेकिन कमशेल लगातार पुलिस को बरगलाता रहा। पुलिस को पता चला कि पटेल शादीशुदा है, लेकिन उसकी बीवी मूक-बधिर है यानी वो सुन और बोल नहीं सकती। यानी अगर किसी को पटेल के क़त्ल का राज़ पता हो सकता था, तो वो उसकी मूक-बधिर बीवी ही हो सकती थी। लेकिन दिक्कत ये थी कि पटेल की मूक बधिर बीवी से पुलिस पूछताछ करती, तो कैसे करती? तो पुलिस ने इसका भी हल निकाला। पुलिस ने गूंगों बहरों की बातचीत की भाषा यानी साइन लैंग्वेज के कुछ एक्सपर्ट्स से संपर्क साधा और उन्हें कमलेश पटेल की बीवी से पूछताछ में मदद करने के बुलवा भेजा। एक्सपर्ट्स ने पटेल की बीवी से बात की और तब सामने आई एक ऐसी खौफनाक कहानी, जिस पर यकीन करना भी मुश्किल हो सकता है। 

Live Murder की 'गूंगी गवाही'

पटेल की बीवी ने इशारों ही इशारों में पुलिस को बताया कि कैसे उसका पति 7 मई को मीरा बेन को अपने साथ घर लेकर आया था। कैसे उसका क़त्ल करने के बाद उसकी लाश के टुकड़े कर डाले। असल में पटेल ने जब मीरा बेन की जान ली, तब पटेल की बीवी घर में नहीं थी, लेकिन जब वो मीरा बेन की लाश के टुकड़े कर रहा था, तब तक उसकी बीवी घर लौट चुकी थी और उसने अपनी आंखों से सबकुछ देखा था यानी पटेल की बीवी की 'गूंगी गवाही' से अब इस बात की तस्दीक हो चुकी थी कि क़ातिल कोई और नहीं बल्कि कमलेश पटेल ही है। अब बस पुलिस को पटेल से पूरी कहानी तफ्सील से सुननी थी और क़त्ल की वजह से लेकर लाश निपटाने के पूरे सिक्वेंस को समझना था। 

झांसे में आ गई थी महिला

असल में अपने पति से झगड़ करके मीरा बेन रतलाम से उज्जैन पहुंची। असल में वो मथुरा जाना चाहती थी। लेकिन मीरा बेन को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर वो मथुरा जाए तो कैसे? इस बीच रेलवे स्टेशन पर कमलेश पटेल की नजर उस पर पड़ी। पटेल ने उसे अकेला देख कर उससे बात की और हमदर्दी जताई और मथुरा की ट्रेन पकड़ने से पहले उसे अपने साथ अपने घर चलने को कहा असल में पटेल उसके साथ ज्यादती करना चाहता था। वो पहले भी कई महिलाओं के साथ ऐसा कर चुका था। अपने अंजाम से बेखबर मीराबेन कमलेश पटेल के साथ उसके घर चलने को राजी हो गई।

मूक बधिर बीवी के सामने Murder

अगले रोज पटेल ने उसके खाने में नींद की गोलियां मिला दी और उसके साथ बलात्कार की कोशिश करने लगा। मगर इत्तेफाक से इसी दौरान मीराबेन को होश आ गया और उसने अपने साथ हो रही ज्यादती का विरोध शुरू कर दिया। शोर मचाने लगी। गुस्से में आकर कमलेश पटेल ने अपने घर में रखे एक बड़े बोल्ट से मीरा बेन के सिर पर हमला कर दिया। मीरा बेन बेहोश हो गई और तब रस्सी से गला घोंट कर उसकी जान ले ली। कमलेश जब ये सब कर रहा था तो उसकी बीवी घर में नहीं थी। लेकिन जब तक बीवी घऱ लौटी, तब तक वो एक बड़े से चाकू से मीरा बेन की लाश के टुकड़े करने में लगा था। उसने मीरा बेन की लाश को तीन हिस्सों में बांटा और उसे तीन बोरियों में पैक कर लिया।

सबूत भी मिले और गवाह भी

इसके बाद वो सबूत मिटाने के लिए उज्जैन रेलवे स्टेशन के यार्ड में पहुंचा। उसने पहली दो बोरियां नागदा महू इंदौर पैसेंजर ट्रेन की एक बोगी में रख दी। लेकिन तीसरी बोरी रखने से पहले ही ट्रेन चल पड़ी।  और तीसरी बोरी यानी हाथ और पांव का हिस्सा उसके पास ही रह गया। कई घंटों के बाद उसे तब फिर से ट्रेन में तीसरी बोरी रखने का मौका मिला, जब योगनगरी ऋषिकेश एक्सप्रेस वहां पहुंची। इस बोरी में कटे हुए हाथ पांव थे, जो दिन बाद ऋषिकेश रेलवे पुलिस को मिले। यानी क़ातिल ने लाश के टुकड़े अलग-अलग ट्रेनों की बोगियों में इसलिए नहीं रखे थे कि इस मामले में पुलिस को गुमराह कर सके बल्कि इत्तेफाक से दो बोरियों के रखते ही एक पहली ट्रेन रवाना हो गई, जिसके चलते उसे तीसरी बोरी एक दूसरे ट्रेन में रखनी पड़ी। बहरहाल, अब पुलिस ने इस केस को सुलझा लिया है और क़ातिल की निशानदेही पर उसके घर  से महिला के कपड़े, उसकी घड़ी, चप्पल, मोबाइल की बैटरी जैसी चीज़ें बरामद कर ली हैं। 

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