Kolkata Rape and Murder Case: CBI को दिखने लगी साजिश! इस तरह मिटाए गए सेमिनार हाल में सबूत, RG Kar अस्पताल में दिखा आरुषि तलवार हत्याकांड जैसा हाल

RG Kar Hospital Murder Case: कोलकाता में आर जी कार अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर केस में अब उंगली इस पूरे मामले के एक अहम किरदार और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डॉक्टर संदीप घोष पर उठने लगी है। क्योंकि जिस तरह अस्पताल में मौका-ए-वारदात पर सबूतों को रौंदा गया उसमें देश की जांच एजेंसी सीबीआई (CBI) को साजिश नज़र आ रही है

CrimeTak

• 04:19 PM • 19 Aug 2024

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न्यूज़ हाइलाइट्स

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RG Kar मेडिकल कॉलेज में दिखा आरुषि कांड जैसा हाल

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अस्पताल वालों ने पूरी तरह से रौंद डाला Crime Scene

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CBI को मिले साजिश के सबूत, प्रिंसिपल से सवाल जवाब

Kolkata Rape and Murder Case: क्या ये महज इत्तेफाक है कि 16 साल पहले एक डॉक्टर के घर पर हत्या की वारदात हुई और पूरे मौका-ए-वारदात पर बिखरे सबूतों को पुलिस की लापरवाही से बर्बाद कर दिया गया। और 16 साल बाद एक बार फिर एक सरकारी अस्पताल में वही वाकया फिर दोहराया गया और इस बार एक ट्रेनी डॉक्टर (Trainee Doctor) की मौत के बाद ऐसा हुआ। 

आरुषि कांड दोहराया गया?

तो क्या 16 साल पहले आरुषि तलवार हत्याकांड (Aarushi Talwar Murder Case) जैसा ही हाल हुआ कोलकाता (Kolkata) के आर जी कार मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (RG Kar Medical & Hospital) में? क्या कोलकाता में पीजी ट्रेनी डॉक्टर की मौत के बाद सीन ऑफ क्राइम यानी मौका-ए-वारदात को जमकर रौंदा गया था? तो क्या मौके पर बिखरे सबूतों को जानबूझकर मिटाया गया और बर्बाद किया गया या फिर ये सब कुछ लापरवाही का नतीजा है?

CBI को मिलने लगे सबूत

अब ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि पिछले तीन दिनों से जब देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी CBI आर जी कार मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल (Principal) संदीप कुमार घोष से पूछताछ कर रही है और उन्हीं सवालों को जो जवाब जांच एजेंसी को मिले हैं उससे इस बात के संकेत मिलने लगे हैं कि कोलकाता की इस संगीन वारदात में भी वहीं लापरवाही बरती गई जिस तरह 16 मई 2008 को नोएडा में आरुषि तलवार की हत्या के बाद वहां बरती गई थी। 
उस वक्त यानी आरुषि की हत्या के बाद मौका-ए-वारदात पर अच्छा खासा मजमा लग गया था। नोएडा में जो आ रहा था वो आरुषि के मकान और छत में अपने अपने तरीके से ताक झांक कर रहा था और वहां पड़े सामान को उठा उठाकर रख रहा था। कोलकाता के आर जी मेडिकल कॉलेज RG Kar Medical College में भी 9 अक्टूबर में ट्रेनी डॉक्टर की मौत के बाद मौका-ए-वारदात का ऐसा ही हाल था। 

सुबह सात बजे मिली प्रिंसिपल को खबर

सबसे चौंकानें वाला खुलासा ये है कि उस वक्त इस कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप कुमार घोष को सुबह सात बजे करीब इस वारदात की पहली इत्तेला दी गई थी। कॉल डिटेल का खुलासा है कि डॉक्टर संदीप घोष को हॉस्पिटल स्टाफ की तरफ से फोन पर इस वारदात की इत्तेला देने के बाद ही वॉट्सऐप (Whatsapp) पर बाकायदा ट्रेनी डॉक्टर की लाश और मौका-ए-वारदात की तस्वीर भी भेजी थी। ये सब कुछ सुबह सात बजे हुआ। 

अस्पताल में फैली डॉक्टर की लाश की खबर

उधर सेमिनाल हॉल में एक ट्रेनी डॉक्टर की लाश की खबर प्रिंसिपल को सूचना मिलने से पहले ही पूरे अस्पताल में फैल चुकी थी। इस खबर के अस्पताल में फैलते ही वहां के तमाम स्टाफ, डॉक्टर और बाकी कर्मचारी भी मौका-ए-वारदात पर पहुँच चुके थे और प्रिंसिपल के आने से पहले ही पूरा अस्पताल उस लाश को न सिर्फ करीब से देख चुका था बल्कि उस पूरे सेमिनार हाल को अपने पैरों से रौंद चुका था। 

क्राइम सीन को रौंद डाला

मेडिकल स्टाफ को क्राइम सीन (Crime Scene) की अहमियत का अंदाजा होता है लेकिन इस मामले में इन सारी बातों को अनदेखा करके अस्पताल के डॉक्टर और स्टाफ अपने जूते चप्पल और हाथों से मौका-ए -वारदात पर लाश के आस पास तमाम निशान मिटाता रहा। यानी जब तक अस्पताल के प्रिंसिपल डॉक्टर संदीप घोष जब तक अस्पताल पहुँचते तब तक मौका-ए-वारदात को पूरी तरह से बर्बाद किया जा चुका था। 

9 बजे के बाद दी गई पुलिस को खबर

डॉक्टर संदीप घोष जब सुबह करीब 8 बजे के आस पास अस्पताल पहुँचे तब भी ट्रेनी डॉक्टर की लाश वहीं उसी तरह पड़ी हुई थी। वहां पहुँचने के बाद भी डॉक्टर संदीप घोष ने क्राइम सीन को नज़रअंदाज करके अपने खास खास लोगों से मीटिंग करनी शुरू करी दी और वारदात की इत्तेला मिलने के करीब दो घंटे बाद करीब 9 बजे के बाद पुलिस को सूचना दी गयी। यानी लाश देखे जाने के करीब तीन घंटे के बाद ही पुलिस को अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर की हत्या की खबर पुलिस को मिली। इसके बाद करीब 10 बजकर 53 मिनट बजे ट्रेनी डॉक्टर की मां को इस वारदात के बारे में इत्तेला दी गई। हालांकि मां को यही बताया गया था कि उनकी बेटी ने खुदकुशी कर ली है। 

साजिश की मिलने लगी बू

इन सारी बातों के खुलासे ने अब सनसनी फैला दी है। क्योंकि इस पूरी वारदात के सबसे खास किरदार को लेकर जो सवाल खड़े हो रहे हैं वो कहीं न कहीं किसी गहरी साजिश की तरफ भी इशारा कर रहे हैं। क्योंकि डॉक्टर संदीप घोष ने जिस तरह प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से मौका-ए-वारदात को बर्बाद करवाया उसी वजह से जांच एजेंसी को इसमें साजिश की बू महसूस हो रही है। 

सेमिनार हाल को रौंदने की इजाजत किसने दी

इसी सवाल के इर्द-गिर्द पूर्व प्रिंसिपल संदीप कुमार घोष की भूमिका अब CBI के सामने है। ट्रेनी डॉक्टर का शव पड़ा होने की खबर मिलने के बाद उन्होंने अस्पताल के डॉक्टरों और कर्मचारियों को सेमिनार रूम में जाने की इजाजत कैसे दी? इस बारे में ये बात अभी तक एक रहस्य बना हुआ है। सीबीआई यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि वारदात के बाद डॉक्टर घोष ने अस्पताल के एक सीनियर अधिकारी से क्या कहा था? सीबीआई को ये पता लगाना है कि डॉक्टर घोष और अस्पताल के सीनियर डॉक्टर के बीच क्या बात हुई? हालांकि युवा डॉक्टर की मौत की खबर जानने के बाद लंबी पूछताछ में संदीप बाबू ने बार-बार दावा किया है कि उन्होंने सब कुछ कानून के मुताबिक किया है।

मौके से CBI को नहीं मिला कोई सबूत

सीबीआई के मुताबिक इस मामले में प्रिंसिपल जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। सीबीआई को पता चला है कि वारदात की खबर फैलने के बाद कई डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्य कर्मचारी वहां पहुंचे। इसीलिए CBI अफसरों को मौके से न तो कोई फुटप्रिंट मिला और न ही कोई सबूत। क्योंकि कई लोगों ने अलग-अलग जगहों को छुआ, जिसमें वह बिस्तर भी शामिल था जहां लेडी डॉक्टर की लाश पड़ी थी। चूंकि उस सेमिनार हॉल में कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं है, इसलिए यह पहचानना मुमकिन नहीं है कि मौके पर कौन कौन कब कब कैसे कैसे पहुँचा और किसने किसने वहां पर पड़े सबूतों को कैसे कैसे छुया या मिटाया। इस बारे में डॉक्टर संदीप धोष की दलील बड़ी ही बचकानी है। उनका यही कहना है कि उन्हें नहीं पता कि कौन कौन वहां आया था। 

सबूत मिटाने की कोशिश तो नहीं

सुबह डॉक्टर की हत्या की इत्तेला मिलने के इतनी देर बार पुलिस को सूचना क्यों दी गई? इसका उत्तर भी अभी तक सामने नहीं आ सका है। सीबीआई को इसमें भी चाल नज़र आती है और ऐसा माना जा रहा है कि ये सब कुछ मौके से सबूत मिटाने की कोशिश के तहत किया गया। अपने बचे हुए सवालों के जवाब हासिल करने की गरज से ही सीबीआई शनिवार से लगातार पूर्व प्रिंसिपल डॉक्टर संदीप घोष से पूछताछ कर रही है। शनिवार को 12 घंटे की लंबी पूछताछ के बाद पूर्व प्रिंसिपल को रिहा कर दिया गया लेकिन रविवार सुबह 11 बजे पेश होने का नोटिस दिया गया. वह रविवार सुबह करीब 10:30 बजे साल्ट लेक के सीजीओ कॉम्प्लेक्स में दिखे। करीब 14 घंटे की पूछताछ के बाद वह रात करीब 12:30 बजे बाहर आए, इसके बाद सोमवार को भी सीबीआई ने पूछताछ के लिए सीजीओ कॉम्प्लेक्स बुलाया। 

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