यूनानी दवाइयों की प्रैक्टिस करने वाले सतनाम सिंह चरसड्डा रोड पर धर्मेन्द्र फॉरमेसी नाम से क्लीनिक चलाते थे। सोशल मीडिया पर डाली गई पोस्ट में IS खुरासान ने इस कत्ल की जिम्मेदारी ली है। पुलिस के मुताबिक हत्या के एक दिन पहले सतनाम हसन अबदाल से पेशावर आए थे।
पाकिस्तान के पेशावर में मारे गए सिख हकीम की हत्या की जिम्मेदारी IS खुरासान ने ली
IS Khorsan claim responsibilty for sikh killed in peshawar
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01 Oct 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:06 PM)
सतनाम सिंह पिछले 20 साल से पेशावर में रह रहे थे और वो अपनी दवाइयों की वजह से वहां पर काफी मशहूर भी थे। सतनाम सिंह अपने पीछे पत्नी, तीन बेटियां और दो बेटे छोड़कर गए हैं। इस वक्त पेशावर में करीब 15,000 सिख रहते हैं। सभी सिख पेशावर के जोगन शाह इलाके में रहते हैं।
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यहां पर रहने वाले ज्यादातर सिख बिजनेस करते हैं जबकि कुछ लोग दवाईयों की दुकान भी चलाया करते हैं। पाकिस्तान में सिख और हिंदुओं पर हमला होना कोई नई बात नहीं है। अक्सर पाकिस्तानी जमीन पर फलफूल रहे आतंकी सिखों और हिंदुओं को निशाना बनाते हैं।
साल 2018 में भी सिख समुदाय के चरनजीत सिंह को अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था। साल 2020 में सिख समुदाय से ताल्लुक रखने वाले न्यूज एंकर रविन्द्र सिंह को भी मार दिया गया था। पाकिस्तान में सिखों की हत्या का लंबा इतिहास है साल 2016 में इमरान खान की पार्टी से नेशनल एसेंबली के मेंबर सोरन सिंह का कत्ल कर दिया गया था।
साल 2017 की जनगणना के मुताबिक पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों में सबसे ज्यादा संख्या हिंदुओं की है उसके बाद दूसरे नंबर पर ईसाई गिने जाते हैं। अहमदी, सिख और पारसियों की तादाद पाकिस्तान में बेहद कम है। बावजूद इसके पाकिस्तानी सरकार इनको संरक्षण नहीं दे पाती है।
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समाज से ताल्लुक रखने वाले लोगों पर बेइंतहा जुल्म किया जाता है। हिंदु लड़कियों की किडनैपिंग और धर्म परिवर्तन की तो इतनी वारदात हो चुकी हैं कि अब तो गिनती गिनना ही मुश्किल हो जाता है।
इस हत्या के बाद भी पाकिस्तान सरकार की ओर से सिखों की सुरक्षा के दावे किए जा रहे हैं लेकिन हर हत्या के बाद किए गए दावे हमेशा खोखले ही साबित होते हैं। अपनी धरती पर आतंकियों की फसल काट रहा पाकिस्तान पूरी दुनिया के लिए सिरदर्द बना हुआ है।
आए दिन आतंकी उन्हीं पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतार रहे हैं जिन्होंने कभी आतंकियों को ट्रेनिंग दी थी। कई आतंकी संगठन अब पाकिस्तान के लिए वो सांप साबित हो रहे हैं जिसे उसने अपने आंगन में पाला था।
अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की सरकार आने के बाद तो अब पाकिस्तान आतंकियों का एक्सपोर्ट पूरी दुनिया में दोबारा शुरु कर देगा। अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल पहले भी पाकिस्तान आतंकियों की ट्रेनिंग और पनाहगार के तौर पर करता आय़ा है।
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