Shams ki Zubani: दुनिया में ऐसे लोगों की तादाद भी लाखों या करोड़ों में ही होगी जो भूत प्रेत, झाड़ फूंक और टोना टोटका जैसी बेसिर पैर की समझी जाने वाली बात पर हद से ज़्यादा यकीन करते हैं। बेशक कई लोग इसे वहम मानें लेकिन इसी दुनिया में कुछ ऐसे क़िस्से भी हैं जो इस वहम पर यकीन करने को मजबूर कर देते हैं।
Anneliese Horror Story: पादरी ने कहा इसके शरीर में छह भूत हैं, Exorcism के नाम पर मारी गई एमिली रोज़
HORROR STORY: तर्क को सबसे अहम मानने वाले जर्मनी में एक 16 साल की लड़की थी जिसके शरीर (BODY) में छह आत्माएं थीं। उस बाधा से निजात पाने के लिए 67 बार Exorcism हुआ लेकिन आखिरी में वो हुआ जिसका डर था।
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13 Oct 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:28 PM)
भूत प्रेत, टोना टोटका, झाड़ फूंक जैसी बातों को आज के इस तरक्की पसंद ज़माने में बेशक तवज्जो नहीं दी जाती है। मगर ये इंसानों के बीच गहरी जड़े जमाने वाली ऐसी हक़ीक़त है जिससे पूरी तरह से मुंह भी नहीं मोड़ा जा सकता।
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ऐसा ही एक क़िस्सा ज़माने के सामने आया आज से करीब 72 साल पहले। ये बात 1951 की है। जर्मनी का एक शहर है बवारिया। इसी शहर में रहने वाली एनालीज मिशेल, अपनी ज़िंदगी में ऐसी ही दुश्वारियों से जूझती रही जिसने उसके और उसके परिवार के सपनों को साकार होने से पहले ही मटियामेट करके ज़मीन में दफ्न कर दिया। क्योंकि दावा यही किया गया है कि ये सब कुछ इसलिए हुआ क्योंकि खुद उसका अपना शरीर एक दो नहीं बल्कि पूरी छह छह आत्माओं का घर बन चुका था।
HORROR STORY: गले से नीचे न उतरने वाली इस बात की सच्चाई क्या है इसके बारे में तो कोई यकीन से नहीं कह सकता अलबत्ता एनालीज़ मिशेल और उसके परिवार पर क्या गुज़री इसके चश्मदीद ज़रूर हैं। और उन चश्मदीदों ने जो क़िस्सा सुनाया और जो देखी सुनी कहानी बताई वो न सिर्फ हैरत में डालती है बल्कि रोंगटे तक खड़े कर देती है।
असल में ये किस्सा और किस्से में जो कुछ भी होता हुआ बताया गया वो सब कुछ, एक ऐसे देश में हुआ जहां साइंस को सबसे ज्यादा अहमियत दी जाती है। साइंस यानी वो सब जो तर्क की कसौटी पर खरा उतर सके। और जो कुछ भी तार्किक नहीं उसे वहम मान लिया जाता है। यानी किसी भी सूरत में अंधविश्वास को कोई भी जगह नहीं मिल सकती।
Exorcism: एक सयानी लड़की के शरीर में छह आत्माओं के होने वाली बात भी साइंस को सबसे ऊंचा दर्जा देने वाले जर्मनी की उसी ज़मीन से सामने आई। दरअसल एनालीज मिशेल जब 16 साल की हुई तो एक गंभीर बीमारी टेम्पोरल लोबएपिलेप्सी की चपेट में आ गई।
घरवालों ने इलाज में कोई कमी नहीं छोड़ी, बावजूद इसके वो ठीक नहीं हुई। बल्कि हर गुज़रते दिन के साथ वो और कमज़ोर होने लगी। ये बीमारी ही ऐसी थी जिसमें मरीज न सिर्फ अपनी याददाश्त खोने लगता है बल्कि शरीर की हरकतों पर भी उसका नियंत्रण नहीं रहता।
एनालीज मिशेल के घरवाले ईसाई धर्म को मानने वाले थे, और अपने मज़हब को लेकर बेहद कट्टर भी। ईश पर उन्हें अटूट श्रद्धा थी। और इसीलिए वो लोग अपने काम से वक़्त निकालकर धर्म के प्रचार में भी लगे रहते थे।
अपने परिवार वालों की सोहबत में एनालीज को भी यही लगता था कि वो भी बड़ी होकर चर्च को अपनी सेवाएं देगी और अपने धर्म के लिए प्रचार करेगी। लेकिन बीमारी की वजह से उसकी ये हसरत धीरे धीरे दम तोड़ने लगी। परिवार के लोगों ने एनालीज को हरेक तरह के डॉक्टर को दिखाया, उसका हर मुमकिन इलाज भी करवाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, बल्कि वक्त के साथ साथ उसका मर्ज भी बढ़ता चला गया।
Shams ki Zubani: अपनी बेटी की लगातार खराब होती सेहत को देखते हुए एनालीज के परिवार के लोगों ने तब अपने गुरु को इस बीमारी के बारे में बताया। लेकिन वो भी उसका कुछ नहीं कर सके। दिन ब दिन एनालीज़ की सेहत और गिरने लगी। बल्कि अब तो वो अजीबो ग़रीब हरकतें भी करने लगी जिसको देखकर घरवालों को डर भी लगने लगा। त
ब घरवालों के दिलों में ये बात बैठ गई कि उनकी बेटी को कोई बीमारी नहीं है बल्कि उस पर किसी प्रेत का साया है। इस वहम के घर करते ही एनालीज के माता पिता ने चर्च के पादरी को दिखाने का विचार किया। इसी विचार में उलझे एनालीज के माता पिता ने अपने एक जान पहचान के शख्स को घर बुलाया जो झाड़फूंक का काम करता था।
एनालीज के पिता उसे लेकर घर आए और उसे एनालीज के कमरे में ले गए। उस वक़्त एनालीज अपने बिस्तर पर नहीं थी बल्कि ज़मीन पर पड़ी थी। जिस शख्स को एनालीज के पिता घर लेकर आए थे उसे देखते ही एनालीज ने वहीं फर्श पर ही पेशाब कर दी और फिर जीभ से उसे चाटने लगी।
इसके अलावा उसने वहीं पड़े फर्नेस के एक कोयले को उठाकर उसे चबाना शुरू कर दिया। उस शख्स ने एनालीज को देखकर जिस बात पर सबसे ज़्यादा गौर किया वो ये था कि ऐसी हरकत करते समय एनालीज के चेहरे पर अजीब सी हंसी थी। वो न तो खुलकर हंसती थी और न ही खुलकर रोती थी मगर चेहरे पर भाव भंगिमाएं बहुत तेजी से बदलती थी।
Shams ki Zubani: एनालीज की ये हालत देखकर उसे यकीन हो गया कि वो बीमारी की चपेट में नहीं बल्कि उस पर शैतान का साया है। तब उस शख्स ने एनालीज के माता पिता को झाड़ फूंक यानी एक्सॉरसिज्म कराने की सलाह दी। अपनी बेटी की हालत को देखकर करीब करीब टूट चुके एनालीज के माता पिता को कुछ समझ में नहीं आ रहा था लिहाजा उन्होंने भी वो सलाह मान ली और उसे झाड़ फूंक करने के लिए हरी झंडी दे दी।
तब चर्च के दो पादरियों ने तांत्रिक क्रियाओं का इंतज़ाम किया। सबसे हैरानी की बात ये थी कि इस क्रिया को पूरा करने के दौरान एनालीज को मोटी मोटी ज़ंजीरो में बांधकर रखा जाता था ताकि वो एक जगह टिक कर बैठ सके। कई बार झाड़ फूंक किया गया लेकिन उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ बल्कि हर गुज़रते पल के बाद वो और खराब होने लगी।
कई बार झाड़ फूंक करने वाले पादरियों ने फिर अपने तरह के टोटके किए और तब इस बात का पहली बार खुलासा किया कि एनालीज के शरीर पर एक दो नहीं बल्कि छह आत्माओं का कब्जा है। यहां तक कि पादरियों ने अपने तजुर्बों से और तंत्र मंत्र के जरिए पादरियों को ये भी पता लग गया कि एनालीज के शरीर में घर बना चुकी आत्माओँ के नाम क्या क्या हैं।
पादरियों ने बताया कि उसके शरीर में एक आत्मा नीरो है, जबकि दूसरी है जूडस इस्कारिओट, तीसरी है केन एडम, चौथी आत्मा का नाम है हिटलर। पांचवी आत्मा है वेलंटीन फ्लीशमैन और छठी आत्मा का नाम है लूसिफर।
HORROR STORY: पादरियों ने ये भी बताया कि इन तमाम आत्माओं के अलग अलग रोल हैं जो एनालीज को किसी भी सूरत में चैन नहीं लेने दे रहे। कहा जाता है कि जिस वक्त एनालीज पर ये तांत्रिक क्रियाएं की जाती तो उसका बुरा असर पादरियों को भी झेलना पड़ता था।
सबसे चौंकाने वाला पहलू भी यही है कि जिस वक्त ये झाड़फूंक और तांत्रिक क्रियाएं की जाती थीं सारे मंत्रोउच्चार को और कमरे में होने वाली सभी तरह की आवाज़ों को रिकॉर्ड भी कर लिया जाता था। उन्हीं रिकॉर्ड की गई आवाज़ों के जरिए ही उन आत्माओं के नाम पता चल सके थे।
कई मौकों पर तो ये तक देखा गया कि एनालीज के भीतर की शैतानी आत्माएँ इस कदर हावी हो जाती थीं कि वो एनालीज के माता पिता से बुरी तरह से नाराज हो जाती थी और हालात यहां तक पहुँच जाते थे कि बेहद कमज़ोर एनालीज अपने माता पिता को उठाकर पटक देती थी।
उस वक़्त उसकी पकड़ में इतनी ताकत होती थी कि मानों किसी ताकतवर पहलवान ने उन्हें दबोच रखा है। और जब उसे बेड से ज़ंजीरों से जकड़ दिया जाता था तो वो अपने नाखूनों से बुरी तरह से अपने माता पिता या पादरियों को नोंच लेती थी।
HORROR STORY: हालात इस कदर बेकाबू होते जा रहे थे कि कोई भी एनालीज के कमरे में दाखिल होने से पहले डरता था। ऐसे में जब एनालीज के पास कोई नहीं होता था तो वो खुद को ही हमला करके घायल करने लगी।
इस सारी घटनाओं के बीच पादरियों ने तंत्र क्रिया और झाड़फूंक का सिलसिला बंद नहीं किया बल्कि अव वो दिन में कई कई बार तंत्र क्रिया करने लगे। लगातार झाड़फूंक का इतना असर हुआ कि अचानक एनालीज का रवैया बदल गया और वो खुश रहने लगी।
हंसने लगी...सबसे हंस हंस कर बात करने लगी...और अच्छे ढंग से अपनी बीती ज़िंदगी के बारे में सुनने और बताने लगी। घरवालों को ऐसा लगने लगा कि अब झाड़फूंक का असर होने लगा है और उनकी बेटी अब ठीक होने लगी।
लेकिन घरवालों के लिए ये खुशी के पल चंद दिनों के ही रहे। क्योंकि उसके बाद अचानक एनालीज ने खाना पीना सब कुछ छोड़ दिया। और उसकी सेहत बहुत तेज़ी से गिरनी शुरू हो गई।
HORROR STORY: तांत्रिक क्रिया करने वाले पादरियों ने जब उससे पूछा तो उसने खुद रोते रोते सारी बात बताई कि उसके भीतर कोई उसे खाने पीने से रोकता है। खाना पीना छोड़ने का असर ये हुआ की एनालीज कुपोषण का शिकार होने लगी। उसका शरीर कमजोर होने लगा। पादरियों ने अब और झाड़फूंक का सिलसिला अब और तेज़ कर दिया।
30 जून 1976 को रात के वक़्त जब उसकी आखिरी बार झाड़फूंक हुई तब उसने पादरी से कहा था कि अब वो पूरी तरह से थक चुकी है, अब उसे इस शरीर से छुटकारा पाना है। और इतना कहकर 23 की एनालीज बुरी तरह से रोने लगी। अपनी बेटी का ये हाल देखकर एनालीज के माता पिता के भी आंसू छलक आए। यहां तक कि तांत्रिक क्रिया करने आए पादरियों के भी आंखों से आंसू छलक उठे।
इतना कहने के बाद एनालीज सो गई। और फिर वो कभी नहीं उठी। बताया जा रहा है कि 1 जुलाई को एनालीज ने सुबह के वक़्त एक लंबी सांस ली और हमेशा हमेशा के लिए आंखें मूंद ली।
एनालीज की मौत के बाद डॉक्टरों ने उसका पोस्टमॉर्टम किया तो पता चला कि कुपोषण की वजह से ही उसकी मौत हुई है। तब डॉक्टरों ने एनालीज के माता पिता से कहा कि अगर वक्त रहते उसका डॉक्टरी इलाज किया जाता तो शायद वो बच सकती थी। लेकिन उन लोगों ने डॉक्टरी इलाज की बजाए दकियानूस तरीकों को चुना इसलिए एक बच्ची की मौत हो गई।
अब इस बारे में पूरा सच क्या है इस बारे में किसी के पास कोई जवाब नहीं है।
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