उन दिनों उत्तरप्रदेश की सड़कों पर बावरिया गैंग का ख़ौफ़ था. यूपी के हर शहर हर गांव की पुलिस इस गैंग को पकड़ने में जी जान से जुटी हुई थी. पुलिस महकमे की तरफ से बावरिया गैंग की हर वारदात को नाकाम करने की कोशिश की ही जा रही थी कि गोरखपुर के रुस्तमनगर इलाके में एक ऐसी वारदात को अंजाम दिया गया जिसकी दहशत से लखनऊ तक में हड़कंप मच गया. एक घर में एक ही परिवार की सात लाशों को पड़े जिसने भी देखा उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई. उस घर में फर्श पर फैले ख़ून ने हैवानियत के गंदे खेल की सारी कहानी बयां कर दी थी.
फर्श पर फैला ख़ून बयां कर रहा था हैवानियत की कहानी, एक घर में 7 लाशें देख उड़े थे सबके होश
gorakhpur most notorious killings
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22 Jul 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:02 PM)
साल 2001, आज से करीब 20 साल पहले गोरखपुर के रुस्तमपुर की शिवाजीनगर कॉलोनी में बैंककर्मी राकेश राय और उनका परिवार रहता था. वो अपनी पत्नी,बेटे,बहू,बेटी और उनके बच्चों के साथ इसी घर में रहते थे. घर परिवार में सब ठीक चल रहा था लेकिन 20 नंवबर का दिन इस घर के लिए बेहद मनहूस साबित हुआ. दोपहर का वक़्त था घर की मुखिया और राकेश राय की पत्नी अपनी बहू और बेटी के साथ घर पर थी. तभी कुछ लोग भीख मांगते मांगते इनके घर पर दस्तक देतें हैं. राकेश राय की पत्नी भिखारियों को कुछ पैसे देती हैं और तभी उनमें से एक भिखारी खाना खाने की इच्छा राकेश की पत्नी के सामने ज़ाहिर करता है. बस फिर क्या राकेश की पत्नी उन बेचारे भूखे गरीबों को घर में बिठाकर खाना खिलाती हैं और कुछ देर बाद वो भिखारी घर से विदा लेकर चले जाते हैं
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रात हो चुकी थी घर के लोग किसी भी अनहोनी से अंजान सोने की तैयारी में लगे हुए थे कि तभी घर के दरवाज़े पर दस्तक हुई. घर का दरवाज़ा खोला तो कुछ लोग घर के अंदर घुस आए और परिवार से जोर ज़बरदस्ती करने लगे. उस काली रात में हैवानियत का ऐसा गंदा खेल खेला गया जिसे सुनकर ही कपकपी छूट जाए. घर में घुसे उन दरिंदों ने परिवार के बाकी लोगों को बंदी बनाया और राकेश राय को पटक पकट कर मार डाला. पति की मौत के बाद जब पत्नी ने दरिंदों का चेहरा देखा तो वो हैरान ही रह गई. जिन लोगों को सुबह भूखा समझकर खाना खिलाया था वही रात में किसी कहर की तरह घर में तांडव मचा रहे थे.
हैवान दरिंदों की बेरहमी ऐसी थी कि उन्होंने परिवार के सामने ही बच्चों को दीवार से पटक पटक के मौत के घाट उतार डाला. उस वक़्त को सोचिए जब सिर पर मौत खड़ी हो मालूम हो कि मरना ही है और सामने ही छोटे छोटे बच्चों को बेरहमी से मारा जा रहा हो. मौत देने वाले की ऐसी क्रूरता की कल्पना तक करने पर सिहरन पैदा हो जाती है और राकेश राय का परिवार उस वक़्त इस खौफ से गुज़र रहा था. घर में घुसे दरिंदों ने एक एक कर घर के 7 लोगों को मौत के घाट उतार दिया, लेकिन हत्यारे राकेश की बेटी को पहले से ही मरा समझकर छोड़कर चले गए.
अगली सुबह जब छठ पर्व के लिए लोग अपने घरों से निकले और राकेश राय के घर का खुला दरवाजा देखा तो वो अंदर गए और अंदर का मंज़र देखकर हर किसी के पैरों तले जमीन खिसक गई. घर के अंदर पड़ोसियों का जमावड़ा लग चुका था. घर पर ख़ून पानी की तरह बह रहा था और इन सबके बीच एक कोने पर राकेश की बेटी पड़ी थी. सिर से खून बह रहा था, सांसें उखड़ी-उखड़ी चल रही थी लेकिन किसी की हिम्मत नहीं थी कि वो उसके पास तक जा सके. हैवानियत से भरा ये मंज़र देखते ही पुलिस को इत्तला की गई और पुलिस ने मौके पर पहुंचकर राकेश की बेटी को अस्पताल में भर्ती कराया. सिर पर चोट आने की वजह से होश आने में भी लंबा समय लगा लेकिन जब वो होश में आई तो उसने इस ख़ौफ़नाक वारदात का हर हिस्सा पुलिस को बताया.
पुलिस ने हर पैंतरा आज़माया और आस पड़ोस से ख़बर निकालने की कोशिश की लेकिन जांच पड़ताल में बस यही सामने आया कि बदमाश वारदात के लिए जगह चिह्नित करने दोपहर में राकेश के घर भीख मांगने के बहाने गए थे और उन्हीं लोगों ने रात में घिनौनी वारदात को अंजाम दिया. पुलिस ने जांच पड़ताल को और तेज़ किया तो बावरिया गैंग का नाम सामने आया और इस केस में पहली बार बावरिया गैंग के सदस्यों को सलाखों के पीछे पहुंचाया गया. .राकेश राय के परिवार का क़त्लेआम करने वाले बावरिया गैंग के खिलाफ लोगों में ऐसा ख़ौफ़ पैदा हुआ कि तभी से हर साल जिले में बावरिया गैंग के बारे में अलर्ट जारी किया जाता है.
अगर पुलिस रिकार्ड की माने तो उसके अनुसार इस गैंग के सदस्य दीपावली की पूजा कर वारदातों को अंजाम देते हैं. इस गैंग के लोग जब वारदात करने निकलते हैं तो रास्ते में किसी बिल्ली के मिल जाने पर वापस हो जाते हैं. इसके अलावा ये कई तरह के टोटके भी अपनाते हैं. साथ ही बली चढ़ाने के नाम पर ये क़त्ल जैसे संगीन अपराध को करने से भी नहीं कतराते. इतना ही नहीं इस गैंग के लोगों के लिए लूटपाट के दौरान किसी का खून बहाना बेहद जरूरी होता है.
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