काबुल पर तालिबानी कब्जे के बाद इमरान की खुशी छिपाए नहीं छिप रही थी. उनकी बांछें ऐसी खिली हुई थीं जैसे अफगानिस्तान पर पाकिस्तान ने कब्जा कर लिया हो.लेकिन अब अफगानिस्तान पर तालिबान की जीत का सबसे बुरा असर पाकिस्तान पर दिखाई दे रहा है. पाकिस्तान के कट्टरपंथी मौलाना अब वहां इस्लामी शरिया कानून लागू करने की मांग कर रहे हैं.
अब PAK में हुई तालिबान की एंट्री'! इस्लामाबाद के महिला मदरसा में फहराया तालिबान का झंडा, पुलिस के सामने AK-47 लिए बैठे पाकिस्तानी मौलाना
Afghan Taliban flags hoisted in Islamabad seminary, police registers case
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21 Sep 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:05 PM)
मौलानाओं की इस मांग से इमरान सरकार की नींद उड़ी हुई है. इस्लामाबाद के कुख्यात मदरसे जामिया हफ्सा में लगे तालिबान के झंडे को जब पुलिस उतरवाने पहुंची तो मौलाना अब्दुल अजीज अपने छात्रों को लेकर पुलिस पर ही हमलावर हो गया. पुलिस ने जब तालिबान के झंडे को उतारने के लिए कहा तो खुद मौलाना अब्दुल अजीज पुलिसवालों से भिड़ गया. मौलाना के तल्ख तेवर से इमरान की पुलिस का चेहरा पीला पड़ गया और पुलिस बिना झंडा उतरवाए खाली हाथ वापस लौट गई.
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सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो में मौलाना अब्दुल अजीज पुलिसकर्मियों को लताड़ते हुए दिखाई दे रहा है. मौलाना पुलिसवालों को धमकी देते हुए कह रहा है कि पाकिस्तान तालिबान सभी को सबक सिखाएगा. यही नहीं पुलिस को तालिबान के झंडे हटाने से रोकने के लिए बड़ी तादादा में मदरसे में बुर्का पहने छात्राएं छत पर मौजूद थीं.
जब पुलिस तालिबान का झंडा उतरवाने पहुंची, तो हफ्ता मदरसे का संचालक ने उन्हें धमकी दी. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. तो क्या ये माना जाए कि पुलिस और सेना से ज्यादा ताकतवर पाकिस्तान के आतंकी संगठन हैं.
पाकिस्तान में कट्टरपंथी मौलानाओं की हनक का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पुलिस मदरसे के अंदर तक नहीं जा सकी. मौलाना की झिड़की सुननी वाली इमरान की पुलिस उसके सामने सिर झुकाकर खड़ी रही और हद तो तब हो गई जब मौलाना अब्दुल अजीज अपने दफ्तर के बाहर एके-47 राइफल लेकर बैठ गया. इस दौरान छात्राएं मदरसे की छत पर जुट गईं और तालिबान के झंडे लहराती रहीं और इमरान की बेबस पुलिस टकटकी लगाए देखती रही. इस मदरसे में सैकड़ों लड़कियां भी पढ़ती हैं. घटना के वक्त ये भी जामिया हफ्सा में मौजूद थीं. जब पुलिस झंडा उतरवाने पहुंची तो छात्राएं मदरसे की छत पर जुट गईं और तालिबान के झंडे लहराती रहीं. क्या पाकिस्तान की टेरर फैक्ट्री में महिलाएं भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने लगी हैं.
21 अगस्त के बाद से ये तीसरी बार था, जब लाल मस्जिद से सटे मदरसा पर अफगान तालिबान के झंडे फहराए गए. इससे पहले जामिया हफ्सा की छत पर कम से कम 5 सफेद झंडे लगे मिले थे. सूचना मिलने के बाद जिला प्रशासन ने पुलिस की एक टीम भेजी, जिसने मदरसे की घेराबंदी कर दी. पुलिस का मुकाबला करने के लिए मदरसे के छात्र छत पर चढ़ गए. मौलाना अब्दुल अजीज समेत मदरसा से जुड़े कुछ लोगों ने भी हथियारों का प्रदर्शन किया. हालांकि इस्लामाबाद के डिप्टी कमिश्नर ऑफिस ने ट्वीट कर बताया कि जामिया हफ्सा से तालिबानी झडों को हटा दिया गया है.
क्या है जामिया हफ्सा?
जामिया हफ्सा पहले महिलाओं का मदरसा था. बाद में कट्टरपंथियों ने इसे बंद कर दिया. ये मदरसा इस्लामाबाद की विवादित लाल मस्जिद के पास स्थित है. लाल मस्जिद के मौलाना अब्दुल अजीज ने कई बार पाकिस्तानी सरकार को खुली चुनौती दी है. इस बीच मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट यानी MQM के संस्थापक अल्ताफ हुसैन ने आरोप लगाया है कि इमरान सरकार पाकिस्तानी कट्टरपंथियों से डर गई है. अल्ताफ हुसैन ने कहा कि पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी ISI तालिबान की तरह हैं और ये इस बात का भी संकेत है कि पाकिस्तानी सेना...देश को तालिबान के शरिया की तरह बनाना चाहती है. बता दें 15 अगस्त को काबुल पर कब्जे के साथ ही तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर हुकूमत कायम कर ली थी. तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया लेकिन जश्न पाकिस्तान में मनाया जा रहा था. इस्लामाबाद सहित देश के कई हिस्सों में तालिबान के झंडे फहराए जा रहे थे और रैलियां निकाली जा रही थीं.
लेकिन अब इमरान सरकार के लिए यही जश्न आफत बनता जा रहा है और खुलेआम लहरा रहे तालिबान के झंडे उनके गले की फांस.
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