शिमला में घूम रहा है आदमखोर, अभी तक दो बच्चे हुए शिकार!

शिमला(shimla) में दिवाली के दिन तेंदूआ 5 साल के बच्चे को उठा ले गया, अभी तक बच्चे की लाश नहीं मिली है read crime tak for hindi crime news

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06 Nov 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:08 PM)

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हालांकि वो ये नहीं बता पाया ये जानवर कौन था, शिमला के आसपास बड़ी संख्या में तेंदूए पाए जाते हैं । लगभग रात के 8 बजे का वक्त था, पांच साल का योगराज अपने घर के पास अपने चचेरे भाई के साथ पटाखे चला रहा था।

योगराज का घर शिमला के पुराने बस अड्डे के पास डाउनडेल इलाके में है। अचानक एक जानवर ने उस पर हमला कर दिया और उसे उठाकर घने जंगल में ले गया।

हमले से घबराए उसके भाई ने पूरी बात योगराज के परिवारवालों को बताई जिसके बाद इस बात की सूचना वन विभाग और पुलिस को दी गई। योगराज की तलाश में पचास से भी ज्यादा पुलिसवाले और वन विभाग के कर्मचारी लगे लेकिन उसका कोई पता नहीं चला।

जहां से योगराज को जानवर ने उठाया था वहां से कुछ दूरी पर खून से सनी एक पैंट मिली है।तीन महीने पहले भी शिमला के कनलोग इलाके से एक पांच साल की बच्ची पर तेंदूए ने हमला कर दिया था और उसे उठाकर ले गया था।

बाद में बच्ची की लाश पुलिस को मिली थी। इस हमले का शक भी तेंदूए पर ही जताया जा रहा है क्योंकि शिमला के आसपास तेंदूए के अलावा भालू भी होते हैं लेकिन वो बहुत ज्यादा सर्दी पड़ने पर ही शहर की तरफ आते हैं।

ज्यादातर भालू जंगल में ही रहते हैं। वैसे भी दिसंबर से लेकर मार्च तक भालू शीतनिंद्रा में रहते हैं। ऐसे में शक तेंदूए पर ही जाता है पिछला हमला भी तेंदूए ने ही किया था। वन विभाग ने तेंदूए को पकड़ने के लिए काफी पिंजरे भी लगाए थे लेकिन वन विभाग तेंदूए को पकड़ने में कामयाब नहीं हुआ।

सवाल ये है कि ये हमला भी उसी तेंदूए ने किया है जिसने पांच साल की बच्ची को निशाना बनाया था या फिर ये हमला किसी दूसरे तेंदूए ने किया है। इस हमले के बाद शिमला के लोगों में अपने बच्चों को लेकर दहशत है और वो उन्हें रात के वक्त अकेले घर से बाहर नहीं निकलने दे रहे हैं।

वन विभाग और पुलिस की टीम बच्चे की तलाश कर रहा है लेकिन अभी तक बच्चे की लाश नहीं मिल पाई है। इन हमलों के बाद वन विभाग पर सवालिया निशान खड़े होना शुरु हो गए हैं जो तीन महीने में उस तेंदूए का पता नहीं लगा पाए और ना ही उसे पकड़ पाए जिसने अगस्त के महीने में पांच साल की बच्ची पर हमला कर उसे मार डाला था।

शिमला के आसपास कट रहे जंगलों की वजह से अक्सर तेंदूए खाने के लिए इंसानी आबादी का रुख कर लेते हैं और सबसे ज्यादा उनके निशाने पर रहते हैं कुत्ते लेकिन अगर कोई बच्चा आसानी से शिकार बन रहा हो तो तेंदूए उस पर तुरंत हमला कर देते हैं।

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