झारखंड का जामताड़ा जिला यहां पर दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने जामताड़ा गैंग से जुड़े 14 साइबर अपराधियों को अरेस्ट किया है. पुलिस लगातार इन शातीर गुनहगारों से पूछताछ कर रही है. पूछताछ के बाद पुलिस ने कई हैरान करने वाले खुलासे किए हैं.
30 करोड़ की ठगी, जामताड़ा गैंग से जुड़े 14 साइबर अपराधी अरेस्ट
14 cyber criminals associated with Jamtara gang arrested
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03 Sep 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:04 PM)
इस बारे में जानकारी देते हुए दिल्ली पुलिस साइबर सेल के DCP अन्येश रॉय ने कहा कि साइबर प्रहार पार्ट-2 में हमने साइबर क्राइम के हॉटस्पॉट जामताड़ा बेल्ट को निशाना बनाया है. इस गैंग ने अब तक देश के 27 राज्यों में 1624 लोगों को अपनी ठगी का शिकार बनाया है.
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इन 1624 लोगों से 30 करोड़ से ज्यादा की ठगी इस गिरोह ने की है. पुलिस के मुताबिक जामताड़ा गैंग, अब तक देश में सबसे ज्यादा लोगों से साइबर ठगी करने वाला गिरोह भी है.
ये गिरेाह यूपीआई पेमेंट, केवाईसी, बारकोड, बैंक के फर्जी ऐप और साइट्स बनाकर लोगों के अकाउंट पर हाथ साफ करता था. हैरानी की बात ये है कि यह गिरोह बारकोड के जरिए भी लोगों को मैसेज भेजता था और जैसे ही लोग इस बार कोड को स्कैन करते थे उनके बैंक अकाउंट से पैसा साफ हो जाता था.
यही वजह है कि दिल्ली पुलिस ने ट्वीट करते हुए इस बात को लेकर लोगों को आगाह किया था कि यदि कोई आपके पास अनजान लिंक भेजे या यूपीआई आईडी या केवाईसी आईडी मांगे या फिर बारकोड भेजे तो उसको बिल्कुल स्कैन नहीं करना है. ये इन साइबर लुटेरों की चाल हो सकती है
पुलिस के मुताबिक पूछताछ में ये भी खुलासा हुआ है कि गैंग के मास्टमाइंड अल्ताफ अंसारी उर्फ रॉकस्टार और गुलाम अंसारी उर्फ मास्टरजी ने साइबर ठगी का तरीका सीखने के लिए बाकायदा दो लाख रुपये खर्च किए थे.
गैंग के इन दोनों मास्टरमाइंड्स ने जामताड़ा के टॉप मोस्ट साइबर ठग से बाकायदा जालसाजी की ट्रेनिंग हासिल की है. दिल्ली पुलिस साइबर सेल दोनों मास्टरमाइंड्स को ट्रेनिंग देने वाले इस महाठग की तलाश में जामताड़ा और गिरिडीह के उसके अलग-अलग ठिकानों पर दबिश दे रही है.
पुलिस के मुताबिक ये गिरोह नकली वेबसाइट और यूपीआई के जरिए पेमेंट लेता था. इस गिरोह को नकली वेबसाइट बनाने में महारत हासिल है. ये लोगों को जाल में फंसाने के लिए नकली वेबसाइट बना उसके जरिए लोगों को थोक में सैकड़ों संदेश भेजते थे.
जैसे ही शिकार इनकी जाल में फंस जाता था, उससे ये यूपीआई भुगतान के जरिए पेमेंट मंगाते थे. केवाईसी के नाम पर ये गिरोह ज्यादा ठगी करता था. पहले ये ठग लोगों को लगातार फोन कर उनकी बैंक डिटेल मांगते थे लेकिन अब ये भी मॉडर्न हो चुके हैं.
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