NRI के अकाउंट से ठगी कर रहे 12 लोग गिरफ्तार, एचडीएफसी बैंक के 3 कर्मचारी भी शामिल

12 fraudsters including three bank employees exposed while hacking NRI account

CrimeTak

19 Oct 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:07 PM)

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CYBER CRIME NEWS :

दिल्ली साइबर सेल CyPAD ने इंटरनेट बैंकिंग के ज़रिये हैकिंग में शामिल जालसाजों के एक रैकेट का भंडाफोड़ किया है. बदमाश एचडीएफसी बैंक के एक उच्च मूल्य वाले एनआरआई (NRI) ग्राहक की धोखाधड़ी से प्राप्त चेक बुक का उपयोग करके पैसे निकालने का प्रयास कर रहे थे. ठगों ने शातिर तरीके से केवाईसी (KYV) से जुड़े हुए अकाउंट होल्डर के अमेरिकी फोन नंबर के समान एक भारतीय मोबाइल फोन नंबर हासिल किया. वारदात को अंजाम देने में एचडीएफसी (HDFC) बैंक के 3 कर्मचारियों सहित 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया हैं.

मामले का खूलासा तब होता है जब एचडीएफसी बैंक ने स्पेशल सेल की साइबर क्राइम यूनिट में शिकायत दर्ज कराई. शिकायत में बताया कि एक एनआरआई के बैंक खाते में कई ट्रांसेक्शन देखे गए हैं. इसके अलावा, धोखाधड़ी से प्राप्त चेक बुक का उपयोग करके उसी खाते से नकदी निकालने का प्रयास भी किया गया है.

एचडीएफसी बैंक ने आगे आरोप लगाया कि खाते की इंटरनेट बैंकिंग तक पहुंचने के अब तक 66 प्रयास भी किए गए. पहले से रजिस्टर्ड अमेरिकी फोन नंबर के समान भारतीय मोबाइल फोन नंबर से बदलकर बैंक खाते के केवाईसी में अपडेट मोबाइल फोन नंबर प्राप्त करने का भी प्रयास किया गया.

साइबर सेल ने कुल मिलाकर अब दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में 20 स्थानों पर छापे मारे है जिसमें जांच के दौरान कुल 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया हैं. गिरफ्तार किए गए 12 आरोपियों में से 3 एचडीएफसी बैंक के कर्मचारी हैं, जो चेक बुक जारी करने, मोबाइल फोन नंबर अपडेट करने और खाते से कर्ज मुक्त करने में शामिल थे.

साइबर सेल के डीसीपी केपीएस मल्होत्रा ने बताया कि आरोपितों से पूछताछ में पता चला है कि गैंग के मास्टरमाइंड को पता चला है कि के एनआरआई खाता निष्क्रिय है और उसके पास भारी धनराशि है. उन्होंने अपने साथियों आर. जायसवाल, जी. शर्मा और ए. सिंघल के साथ मिलकर खाते के संबंध में जानकारी जुटाई थी एचडीएफसी की एक महिला कर्मचारी की मदद से उन्होंने उक्त खाते की चेक बुक जारी की और खाते का कर्ज फ्रीज भी कराया. जांच से पता चला है कि एचडीएफसी बैंक कर्मचारी को ठगी में 10 लाख रुपये और बीमा कारोबार को 15 लाख रुपये देने का वादा किया गया था.

इसके बाद, चेक बुक और मोबाइल फोन आर जायसवाल के कब्जे में आ गया, जिन्होंने चेक की निकासी के लिए अपनी अन्य उपलब्धियों को चेक बुक के पत्ते वितरित किए. जिसमें खाते से निकाले गए कुल धन का 50% देने के बदले में साझा करने की समझ थी. वास्तविक खाताधारक की ओर से फोन पर बैंक को सहमति

डी. चौरसिया और ए.सिंह (दोनों एचडीएफसी बैंक के कर्मचारी) ने केवाईसी से जुड़े फोन नंबर को अपडेट करने का प्रयास किया था. अन्य सहयोगियों ने राशि के हस्तांतरण के उद्देश्य से खाते की इंटरनेट बैंकिंग में लॉगिन करने का प्रयास किया था. निकासी के ये सभी प्रयास, इंटरनेट बैंकिंग के लिए अनधिकृत लॉगिन प्रयास, मोबाइल फोन नंबर को अपडेट करना बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत के कारण ही संभव था.

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