Lakhimpur Kheri News : गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष को मिली जमानत

लखीमपुर हिंसा के आरोपी गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को हाई कोर्ट से जमानत, जल्द आ सकते हैं बाहर, SIT रिपोर्ट में थे दोषी करार Minister Ajay Mishra's son Ashish mishra gets bail

CrimeTak

10 Feb 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:13 PM)

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Lakhimpur Kheri Violence News : लखीमपुर हिंसा केस में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है. आशीष मिश्रा को हाई कोर्ट से जमानत मिल गई है. ये जमानत हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से मिली है.

बताया जा रहा है कि कोर्ट के इस फैसले के बाद 10 फरवरी की शाम या फिर अगले दिन तक आशीष मिश्रा जेल से बाहर आ सकते हैं. बता दें कि इस मामले में उत्तर प्रदेश SIT ने 5 हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी.

इस चार्जशीट में आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपी बनाया गया था. एसआईटी ने ये भी दावा किया था कि घटना के दौरान आशीष मिश्रा मौके पर ही मौजूद था. साथ ही रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया था कि आशीष मिश्रा के असलहों से फायरिंग भी हुई थी. हथियार की बैलेस्टिक रिपोर्ट से इस बात की पुष्टि हुई थी.

3 अक्टूबर 2021 की घटना में हुई थी 8 की मौत

lakhimpur kheri violence case : बता दें कि लखीमपुर में 3 अक्टूबर 2021 को बड़ी घटना हुई थी. जिसमें 8 लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना में एक पत्रकार की भी जान गई थी. इस केस में किसानों की तरफ से मामला दर्ज कराया गया था.

इस केस में मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा मोनू समेत 13 लोगों को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था. आरोपी आशीष मिश्रा की तरफ से भी मामले में एक रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी.

जानकारी मिली है कि इस केस में जांच कर रही SIT यानी स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने अब 5 हजार पन्ने की चार्जशीट दाखिल की है. इसमें लखीमपुर के तिकुनिया में हुई घटना को लेकर किसानों की तरफ से एडवोकेट अमान ने मीडिया को बताया कि एफआईआर में आईपीसी की धारा-201 को जोड़ा गया है.

आईपीसी की धारा-201 का मतलब होता है तो साक्ष्यों को मिटाना. इसके साथ ही वीरेंद्र कुमार शुक्ला के नाम को जोड़ा गया है हालांकि मंत्री के नाम को इसमें शामिल नहीं किया गया है.

SIT ने हादसा नहीं, सोची-समझी साजिश बताया था

SIT files chargesheet in Lakhimpur Kheri violence : पिछले साल 3अक्टूबर को हुई इस घटना को 3 जनवरी को पूरे 90 दिन हुए थे. नियमानुसार पुलिस जांच के 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल करती है. इस केस की जांच के लिए गठित एसआईटी ने 90 दिनों के भीतर चार्जशीट बनाकर पेश कर दिया.

इस रिपोर्ट में ये बताया गया है कि ये कोई दुर्घटना नहीं थी. बल्कि सोची समझी साजिश थी. यानी चार्जशीट में ये दावा किया है कि किसानों को जिस तरह से गाड़ी से रौंदा गया था वो कोई अचानक हुआ हादसा नहीं था. बल्कि पूरा एक षड़यंत्र था. इसलिए कोर्ट में ये भी अनुरोध किया गया कि मामले में आरोपियों के खिलाफ धाराओं में कुछ बदलाव करने की जरूरत है.

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